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BBT Cars : बीबीटी क्या है, बीबीटी की सफलता की कहानी

हनी सिंह के गानों से लेकर फिल्मों के एक्शन में आपने कुछ सुपर कार देखी होगी. इन सुपर कारों पर आपने BBT लिखा देखा होगा. जिसे देखकर कई लोगों को लगा होगा की ये कार तो BBT Company की है लेकिन BBT नाम की तो कोई कार निर्माता कंपनी है ही नहीं. BBT क्या है? (What is BBT?) BBT भारत में इतनी लोकप्रिय क्यों है? (Why BBT famous in India?) ये सभी सवाल आपके दिमाग में घूमते होंगे.

BBT क्या है? (What is BBT?)

BBT एक ऐसी कंपनी है जो पुरानी लक्जरी कारों (Pre owned luxury cars) को खरीदती हैं और उन्हें रिफार्बिश्ड (Refurbished) करके बेचती है. BBT का पूरा नाम (BBT full form) Big Boy Toyz है. इस कंपनी का नाम भी इसके काम के जैसा ही है. जिस तरह बचपन में आप छोटी कार से खेलते हैं और ये सोचते हैं की बड़े होकर वे बड़ी और तेज स्पीड वाली कार खरीदेंगे तो उनका ये सपना BBT कंपनी पूरा करती है.

BBT में कौन सी कंपनियों की कार मिलती है? (BBT Car Brands)

BBT लक्जरी कारों की बिक्री के लिए जाना जाता है. BBT के पास कई लक्जरी ब्रांड जैसे Aston Martin, BMW, Ferrari, Jaguar, Lexus, Mini, Toyota, Ducati, Harley Davidson, Audi, Lamborghini, Maserati, Porsche, Triump, Jeep, Bently, Hummer, Land Rover, Mercedes-Benz, Rolls Royce, DC आदि की कार है.

BBT कैसे काम करती है? (How to work BBT?)

BBT के काम करने का तरीका काफी सिम्पल है. भारत में कई लोग होते हैं जिन्हें लक्जरी कारों का शौक होता है. कुछ लोग इन्हें खरीदकर थोड़े-बहुत दिनों में बेच देते हैं. BBT इन्हें खरीदकर उन्हें अच्छी कीमत देती है. इसके बाद BBT उस कार को अपने हिसाब से तैयार करती है और फिर से उसे बेच देती है. हालांकि BBT द्वारा तय की गई कीमत उस कार के नए प्राइस से कम होती है. यही कारण है की BBT भारत में तेजी से सफलता पा रही है.

BBT का मालिक कौन है? (Who is owner of BBT?)

BBT के मालिक जतिन आहूजा (Jatin Aahuja) हैं. जतिन दिल्ली में पले-बढ़े और महर्षि दयानन्द यूनिवर्सिटी से 2002 में बी.टेक की. बचपन से ही उनका कारों से लगाव था. कॉलेज पूरा होने के 6 महीने बाद ही उन्होने एक पुरानी कार 70 हजार रुपये में खरीदी. इसके बाद उन्होने उस पर 1.30 रुपये लगाए ताकि वो उनके अनुसार मोडीफाइ हो सके. इसके बाद उन्होने इसे बेचने का सोचा लेकिन उन्हें इस कार की कीमत 1.5 लाख से ज्यादा नहीं मिली. जिसमें उन्हें घाटा हो रहा था. उन्होने इसे बेचने का विचार छोड़ दिया. इस तरह वे कार के साथ जुड़े और आज बीबीटी खड़ी की.

BBT की सफलता की कहानी (BBT Success story)

अपनी लाइफ की पहली डील में नुकसान को देखकर उन्होने कुछ और बिजनेस करने का सोचा. साल 2006 में जतिन ने देखा की मार्केट में फ़ैन्सी मोबाइल नंबर जैसे 99999 सीरीज का काफी क्रेज है. उन्होने इस सीरीज के 1200 सिम कार्ड खरीद लिए और उन्हें बेचकर कम समय में 24 लाख रुपये कमाए.

साल 2007 में उन्होने अपनी सेविंग और पापा की मदद से Magus Cars Limited नाम की कंपनी शुरू की. जिसमें वे नई कार को इम्पोर्ट करके उन्हें इंडिया में बेचते थे. लेकिन इस बिजनेस में भी उन्हें मुसीबत का सामना करना पड़ा. जो लोग उनसे कार खरीदते थे वे पुरानी कार को एक्स्चेंज करके लेते थे. अब पुरानी कार का उपयोग कैसे किया जाए इसका उन्हें कोई आइडिया नहीं था तो कंपनी को घाटा होने लगा.

BBT की शुरुवात कैसे हुई (BBT establishment)

जब उनकी कंपनी को घाटा होने लगा तो उन्हें एक पुराना बिजनेस आइडिया याद आया जिसने उन्हें BBT की शुरुवात करने के लिए प्रेरित किया. साल 2005 में मुंबई बाढ़ के दौरान एक मर्सिडीज खराब हो गई थी जिसे उन्होने खरीद कर सही करवाया था. इसके बाद उसे बेच दिया था. इस कार की डील पर उन्हें 25 लाख का फायदा हुआ था. इसी आइडिया से उन्होने BBT की शुरुवात की.

जिस साल उन्होने BBT को शुरू किया था उस साल उनका टर्नओवर 6 करोड़ रुपये था. इसके बाद ये हर साल बढ़ता गया. अब इनका टर्नओवर 100 करोड़ पार कर चुका है. इनहोने सचिन तेंदुलकर, शाहरुख खान की उपयोग की गई कार को भी खरीदा. अपनी कंपनी का बिजनेस बढ़ाने के लिए इनहोने फिल्म निर्माताओं के साथ अपनी कारों की ब्रांडिंग की जिसके बाद इनकी कार पंजाबी गानों, हनी सिंह के गानों और फिल्मों के एक्शन सीन में दिखाई जाने लगी. इसके बाद इनकी कारों की बिक्री तेजी से बढ़ी और अब इनकी कंपनी का टर्नओवर लगभग 250 करोड़ रुपये है. इनका उद्देश्य है की ये कंपनी का टर्नओवर 1000 करोड़ रुपये तक लेकर जाए.

BBT जैसी कंपनी का भारत में सफल होना कोई सरल बात नहीं है. कोई भी व्यक्ति अपना पैसा पुरानी लक्जरी कारों पर लगाने से पहले सोचता है. ऐसे में BBT काफी मेहनत पुरानी कारों पर करती है. ये किसी भी कार को यूं ही नहीं खरीदते. ये कार के 150 टेस्ट लेते हैं जिनसे ये सर्टिफाइड हो जाता है की कार अच्छी है और इसके बाद उसे मोडीफ़ाई भी किया जाता है. तब जाकर लोग इन कारों में अपना पैसा लगाते हैं.

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By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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