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जन्मदिन विशेष: राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी का वो आखिरी भाषण..!

Former Prime Minister Indira Gandhi, 100th Birth anniversary today (फोटो: साभार wikimedia.org)Former Prime Minister Indira Gandhi, 100th Birth anniversary today (फोटो: साभार wikimedia.org)
इंदिरा गांधी को आयरन लेडी कहा जाता था. (फोटो: साभार wikimedia.org)
इंदिरा गांधी को आयरन लेडी कहा जाता था. (फोटो: साभार wikimedia.org)

इंदिरा गांधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए ‘विश्वराजनीति’ के इतिहास में जानी जाती हैं. इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी का जन्म- 19 नवम्बर 1917 काेे हुआ था. वेे ना केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वे एक प्रभाव छोड़ गईं. वे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इकलौती पुत्री थीं. इंदिरा गांधी को ‘लौह-महिला’ के नाम से संबोधित किया जाता है. इंदिरा गांधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं. इंदिरा गांधी 1966 से 1980 तक लगातार तीन बार देश की प्रधानमंत्री रहीं उसके बाद 1980 से 1984 तक श्रीमती गांधी चौथी बार प्रधानमंत्री रहीं हालांकि 1984 में इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. नेहरू परिवार में जन्मी इंदिरा को उनका उपनाम “गांधी” उपनाम फिरोज़ गांधी से 26 मार्च, 1942 में हुए विवाह के पश्चात मिला था. इंदिरा गांधी को 26 जून, 1975 को आपातकाल लगाने का फैसला देश की प्रथम व एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रमुख फैसलों में एक था. जिसका काफी विरोध भी हुआ.

इंदिरा जी को जन्म के कुछ वर्षों बाद भी शिक्षा का अनुकूल माहौल नहीं उपलब्ध हो पाया था. श्रीमती इन्दिरा गांधी सादा जीवन, उच्च विचार की साकार मूर्ति थी. राष्ट्रीयता की भावना उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी. उनका कहना था कि जितनी देखभाल हम अपने शरीर की करते है, उससे कहीं अधिक देखभाल हमें अपनी राष्ट्रीय एकता की करनी चाहिए.

श्रीमती गांधी बड़ी स्वाभिमानी थी. वे किसी राष्ट्र से भयभीत नहीं होती थी. सन् 1982 में अपनी अमेरिका यात्रा के समय उन्होंने तटस्थता तथा गुट निरपेक्षता के सन्दर्भ में भारत का दृष्टिकोण रखते हुए कहा ’हम महाशक्तियों की गुटबन्दी में शामिल नहीं हो सकते. हम पूरे विश्व से मित्रता बनाये रखना चाहते है.’

इस अमेरिका सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में उन्होंने बलपूर्वक विश्वशांति हेतु परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों से विनाशकारी अस्त्रों के निर्माण और प्रयोग को बन्द करने की अपील की. उन्होंने आर्थिक विकास हेतु इसके सदस्य राष्ट्रों को  परस्पर सहयोग करने का भी आह्वान किया. 

राष्ट्रीय एकता बनाये रखने के लिए श्रीमती गांधी ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक भारत के गौरव को बढ़ाने के लिए भारतवासियों को सचेत किया मानो उन्हें मालूम हो उनकी मृत्यु के 24 घण्टे पहले भुवनेश्वर में दिये गये भाषण उनके जीवन का अंतिम भाषण होगा. हो सकता है कि उस महान विभूति को अपने स्थूल शरीर के छूटने का पूर्वाभास हो गया हो, तभी तो उन्होंने ऐसी सरगर्मी के साथ मार्मिक शब्दों में अपने देशवासियों से एकता बनाये रखने पर तथा देश की आंतरिक तथा बाह्य शत्रुओं से सामना करने की अपील करते हुए यहां तक कह डाला-मुझे चिंता नहीं कि मैं जीवित रहूं या न रहूं. राष्ट्र की सेवा में मैं मर भी जाऊं तो मुझे इस पर गर्व होगा. मुझे विश्वास है कि मेरे रक्त की एक-एक बूंद से अखण्ड भारत के विकास में मदद मिलेगी और यह सुदृढ़ तथा गतिशील बनेगा. उनके सम्बन्ध में कहीं गयी यह पंक्तियां पूर्णतया सत्य हैं. 

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