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जब घर पर कथा होती है या हवन होता है तो आरती के बाद प्रसाद से पहले चरणामृत (Charnamrit) और पंचामृत (panchamrit) दिया जाता है. आपने ये दोनों ही नाम सुने होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं की पंचामृत क्या होता है? चरणामृत क्या होता है? इन्हें कैसे बनाया जाता है? इनके क्या लाभ है?

चरणामृत क्या है? (What is Charnamrit?)

शास्त्रों में कहा गया है की भगवान विष्णु के चरणों का अमृतरूपी जल सभी तरह के पापों का नाश करने वाला है. ये औषधि के समान है. इसे बनाने के (charnamrit kaise banate hai) लिए तांबे के बर्तन में चरणामृत रूपी जल रखने से उसमें तांबे के औषधीय गुण आ जाते हैं. इसमें आपको तुलसी की पट्टी, तिल भी मिलना चाहिए. बस तैयार हो गया आपका चरणामृत.

चरणामृत लेने के नियम (Charnamirt rule)

चरणामृत को हमेशा दायें हाथ से लेना चाहिए और श्रद्धाभक्तिपूर्वक मन को शांत रखकर ग्रहण करना चाहिए. इससे चरणामृत ज्यादा लाभप्रद होता है. कई लोग चरणामृत लेने के बाद सिर पर हाथ फेरते हैं. शास्त्रों के अनुसार ऐसा करना गलत है.

चरणामृत से लाभ (Charnamrit benefit)

आयुर्वेद के अनुसार चरणामृत स्वस्थ्य के लिए काफी अच्छा होता है. माना जाता है की तांबे में अनेक रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है. ये पौरुष शक्ति को भी बढ़ता है. इसमें तुलसी होती है जिसके सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है साथ ही इसका जल मस्तिष्क को शांति और निश्चिंतता देता है. ये आपकी स्मरण शक्ति और बुद्धि के लिए लाभकारी होता है.

पंचामृत क्या है? (what is panchamrit?)

पंचामृत के नाम में ही उसका मतलब छुपा हुआ है. पंचामृत यानि पाँच अमृत. ये पाँच चीजों से मिलकर बना है जिससे भगवान का अभिषेक किया जाता है. पंचामृत बनाने (panchamrit kaise banaye) के लिए कच्चा दूध, दही, घी, शक्कर और शहद मिलाकर बनाया जाता है. इन 5 चीजों का अपने-अपने गुण हैं जो आपको अलग-अलग फायदे देते हैं.

– दूध शुभ्रता का प्रतीक होता है. हमारा जीवन भी दूध की तरह निष्कलंक होना चाहिए.
– दही का गुण है की वो दूसरों को अपने जैसा बनाता है. पंचामृत को पहले भगवान पर चड़ाया जाता है इसके बाद इसे लेने पर भगवान के सद्गुण हमारे अंदर आते हैं.
– घी स्नेह और स्निघ्ध्ता का प्रतीक है.
– शहद मीठा होता है हम सब जानते हैं लेकिन ये शक्तिशाली भी होता है.
– शक्कर का गुण मिठास घोलना होता है. आपके जीवन में भी आपकी बोली में भी.

पंचामृत से लाभ (Panchamrit benefit)

पंचामृत का सेवन करने से शरीर हष्ट-पुष्ट और रोगमुक्त रहता है. पंचामृत से जिस तरह हम भगवान को सनन करवाते हैं थी उस तरह खुद स्नान करने से शरीर की कान्ति बढ़ती है. पंचामृत का सेवन उसी मात्र में करना चाहिए जिस मात्र में किया जाता है ज्यादा नहीं करना चाहिए.

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By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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