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आपने कई बार लोगों के मुंह से सुना होगा की किसी का चेक बाउंस (Cheque bounce) हो गया तो उस पर कार्यवाही की गई. ये कार्यवाही कानूनी (legal action on cheque bounce) हो सकती है या फिर चेक बाउंस होने पर उनसे कुछ पेनल्टी लेकर उन्हें छोड़ा जा सकता है. लेकिन ज़्यादातर मामलों में आजकल कानूनी कार्यवाही की जाती है.

चेक बाउंस कैसे होता है? (Why Cheque bounce in banks?)

जब कोई अकाउंट होल्डर (account holder) अपने अकाउंट का एक चेक (Cheque) देता है और उसमें ये वादा करता है की इस तारीख तक वो चेक में लिखे पैसे आपको निकालने की अनुमति देता है लेकिन जब आप चेक बैंक में लगाते हैं तो पता चलता है की सामने वाले के अकाउंट में उतना पैसा ही नहीं है. इस स्थिति में चेक बाउंस (Cheque bounce meaning) हो जाता है. मतलब जिसको आपने चेक दिया था उसे चेक में लिखा पैसा उस समय पर नहीं मिल पाया. इस पूरी प्रक्रिया को चेक बाउंस (Cheque bounce process) होना कहते हैं.

चेक बाउंस होने के कारण (Reason of Cheque bounce)

1) चेक बाउंस (Cheque bounce reason) होने का सबसे बड़ा और सबसे प्रचलित कारण ये है की लोगों के अकाउंट में चेक पर जो राशि लिखी है उससे कम राशि होती है. ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा चेक बाउंस हो जाते हैं.

2) किसी वजह से चेक देने के बाद आपका अकाउंट फ्रीज़ (account freeze) हो गया हो तो अकाउंट में कितना ही पैसा क्यों न हो बैंक चेक को स्वीकार नहीं करेगा. ऐसे में चेक बाउंस हो जाता है.

3) कभी-कभी आप जो सिग्नेचर चेक पर करते हैं वो अगर आपके हस्ताक्षर से मैच (signature mismatch) नहीं होते तो बैंक द्वारा आपका चेक रिजेक्ट कर दिया जाता है. इस कारण भी चेक बाउंस हो जाते हैं.

4) कभी-कभी जिन्हें आप चेक देते हैं वो बहुत समय के बाद चेक लगाते हैं. ऐसे में जब वो चेक लगाते हैं तो वो चेक एक्सपायर (cheque expire condition) हो चुका होता है तो ऐसे में चेक बाउंस हो जाता है.

चेक बाउंस होने पर क्या करें? (Legal action against cheque bounce?)

किसी कारणवश जब चेक बाउंस (Cheque bounce) हो जाता है तो बैंक चेक लगाने वाले को एक रसीद देता है. इसमें चेक बाउंस होने की सारी जानकारी होती है. चेक बाउंस होने के 30 दिनों के अंदर देनदार को एक लीगल नोटिस (Legal notice for cheque bounce) भेजा जाता है. इसके लिए आप वकील की मदद लें. अगर 30 दिनों के अंदर देनदार आपके पैसे नहीं देता है तो आप 15 दिनों के बाद वकील की मदद से जिला कोर्ट (District court) में केस दर्ज कर सकते हैं. आरोपी व्यक्ति को सजा के साथ-साथ पेनल्टी या फिर दुगुना भुगतान करना पड़ सकता है.

चेक बाउंस हो जाने पर कैसे बचें? (Escape from cheque bounce case)

चेक बाउंस (Cheque bounce) हो जाने पर बचने का एक ही रास्ता है. जैसे ही आपको इस बात की जानकारी लगती है की आपका चेक बाउंस हो गया है तुरंत ही उस समस्या का समाधान कर दें. यानि की जिन्होने आपके चेक को लगाया है उन्हें या तो नया चेक दें या फिर अपने अकाउंट में पर्याप्त बेलेन्स रखें. अगर आप समय पर अपनी देनदारी नहीं चुकाते हैं तो आप पर कानूनी कार्यवाही होने से कोई नहीं रोक सकता.

चेक बाउंस होने पर कानूनी धारा तथा सजा (Cheque bounce act and punishment)

चेक बाउंस होने की स्थिति में लीगल नोटिस भेजा जाता है. अगर देनदार उस 1 महीने में पेमेंट नहीं कर रहा है तो लेनदार नेगोशिएबल इन्स्ट्रुमेंट एक्ट के सेक्शन 138 के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है. लेनदार को 30 दिन के भीतर ही अपनी शिकायत दर्ज करवानी होती है. अगर आपने 30 दिन के बाद शिकायत दर्ज कारवाई तो आपको देरी का कारण कोर्ट को बताना होता है जो उचित होना चाहिए. अगर कारण उचित नहीं हुआ तो कोर्ट आपका केस नहीं सुनता है.

अगर चेक बाउंस होने की सजा की बात करें तो अगर आपके अकाउंट में पर्याप्त बेलेन्स न होने की वजह से चेक बाउंस हुआ है तो ऐसे में 2 साल की सजा मिलती है साथ ही चेक पर लिखी राशि से दुगुना राशि का भुगतान सामने वाले को करना होता है.

चेक बाउंस होने पर सजा के नियम (Cheque bounce legal action rules)

– चेक बाउंस होना अपराध की श्रेणी में तब गिना जाएगा जब वह बैंक में उस समय पेश किया हो जब तक उसकी वैधता हो. यानि अगर चेक की वैधता की तारीख खत्म हो गई है और उसे बैंक में पेश किया गया जिसके बाद चेक बाउंस हो गया तो उसे अपराध की श्रेणी में नहीं गिना जाएगा.
– चेक बाउंस होने के बाद देनदार यदि लीगल नोटिस मिलने के 15 दिनों के भीतर चेक राशि का पेमेंट नहीं करता है तो लेनदार उसके खिलाफ आगे कार्यवाही कर सकता है.
– चेक बाउंस होने की जानकारी मिलने के 30 दिनों के अंदर ही लेनदार द्वारा देनदार को इसके बाउंस होने की सूचना नोटिस के द्वारा भेजनी होगी. अगर ये नोटिस नहीं भेजा जाता है तो इसे अपराध की श्रेणी में नहीं माना जाएगा.
चेक बाउंस होना वैसे एक आम बात है लेकिन अगर आप इसका ध्यान नहीं रखते हैं तो आपको जुर्माना और सजा दोनों भुगतना पड़ते हैं. इसलिए कभी ऐसी स्थिति में आप फंसे तो आपको इससे बचने तथा इसके नियम की जानकारी जरूर होनी चाहिए.

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