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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम : ग्राहक के साथ धोखा होने पर कैसे शिकायत करें?

दुकानदार के लिए ग्राहक भगवान होता है लेकिन कभी-कभी ग्राहक के साथ धोखा हो जाता है और ग्राहक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है. ऐसी स्थिति में ग्राहक सोचता है की वो उसके खिलाफ शिकायत करे लेकिन कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसने से डरता है. अगर आप वाकई में पीड़ित हैं तो आपको डरने की जरूरत नहीं भारत में आप उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 (Consumer protection act) के अंतर्गत उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकते हैं और अपनी समस्या का निदान पा सकते हैं.

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 क्या है? (What is consumer protection act?)

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ता को न्याय दिलाने के लिए बनाया गया है. इसके मुताबिक यदि वह कोई वस्तु खरीदता है और उस पर वह उत्पाद या वस्तु उस पर दिखाई गई जानकारी के अनुरूप खरी नहीं उतरती है और कंपनी इसके लिए ज़िम्मेदारी नहीं लेती है तो उपभोक्ता उसके खिलाफ शिकायत कर सकता है. इस अधिनियम के तहत हर वो व्यक्ति जो किसी सेवा या उत्पाद का उपभोग कर रहा है वो शिकायत कर सकता है.

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में कब शिकायत कर सकते है? (When consumer can case file in consumer protection act?)

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के मुताबिक कोई भी ग्राहक जो किसी उत्पाद को खरीदता है वो तब इसकी शिकायत कर सकता है जब वह उत्पाद गलत जानकारी के साथ बेचा गया हो, छपी हुई कीमत से ज्यादा कीमत पर बेचा गया हो, छपी जानकारी के अनुसार न हो, बताई गई जानकारी के अनुसार खरा न उतरे तो ग्राहक शिकायत कर सकता है.

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में शिकायत कैसे करें? (How to file case in cosumer protection act?)

कोई भी ग्राहक जो किसी उत्पाद से परेशान है. वो एक सादे कागज पर शिकायत लिखकर उसमें अपना व विरोधी पार्टी का नाम व विवरण लिखना होता है. इसके बाद आपको उस उत्पाद या सेवा से क्या समस्या है, ये समस्या कब हुई, उसका निवारण क्यों नहीं किया गया, कंपनी ने निवारण क्यों नहीं किया, ग्राहक द्वारा मांगी जा रही जुर्माने की राशि, ग्राहक का एक एफ़िडेविट जिसमें ये लिखा हो की उसके द्वारा दी गई जानकारी सत्य है. इन सभी के साथ न्यायालय शुल्क के साथ उपभोक्ता कोर्ट में जमा करना होता है. (इसे जमा करने तथा केस बनाने में वकील की मदद अवश्य लें.

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत शिकायत कहां करें? (Where customer can file against any company?)

ग्राहक पीड़ित होने पर उपभोक्ता संरक्षण के लिए जिले और राज्य के उपभोक्ता कोर्ट में आवेदन कर सकते हैं. अगर आपकी वस्तु 20 लाख से कम मूल्य की है तो उसके लिए जिला उपभोक्ता कोर्ट में आवेदन करें और 20 लाख से 1 करोड़ तक वस्तु के लिए आप राज्य आयोग में शिकायत कर सकते हैं. इसके अलावा 1 करोड़ से ज्यादा की वस्तु के लिए आप राष्ट्रीय आयोग में शिकायत कर सकते हैं.

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम केस की अवधि (Case duration in consumer protection act?)

कोई भी ग्राहक उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत केस फ़ाइल करता है तो उसका केस दोषी को नोटिस मिलने के 3 से 5 महीने के भीतर खत्म हो जाता है. अगर कोर्ट में केस ज्यादा हैं तो इसमें ज्यादा समय लग सकता है.

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में क्षतिपूर्ति और सजा (compensation and punishmant in consumer protection act)

उपभोक्ता कानून अधिनियम की धारा 27 के तहत अदालत दोषियों को 1 महीने से लेकर 3 साल तक की जेल की सजा तथा 2 हजार से लेकर 20 हजार तक के जुर्माने की सजा सुना सकती है. इसके अलावा कोर्ट अपने पावर का इस्तेमाल करते हुए दोषी की चल व अचल संपत्ति को भी जब्त कर सकती है.

क्या डॉक्टर पर भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू होता है?

डॉक्टर और हॉस्पिटल दोनों पर ही ये कानून लोगों होता है. लेकिन इसके लिए आपको कानून और इलाज दोनों की ही अच्छी परख होनी चाहिए. अगर डॉक्टर की लापरवाही की वजह से मरीज का स्वस्थ्य खराब होता है, उसके शरीर के अंग खराब होते है या उसकी मौत हो जाती है तो डॉक्टर और हॉस्पिटल के खिलाफ केस लगाया जा सकता है.

उपभोक्ता कानून के तहत आप शिकायत तो कर सकते हैं लेकिन शिकायत करने और केस जीतने के लिए आपके पास पुख्ता सबूत होने चाहिए. इसमें उस उत्पाद का बिल, अगर उत्पाद में कोई खराबी आई है और वारंटी है तो सर्विस बिल आदि होना चाहिए. अगर कंपनी ने आपको प्रॉडक्ट बदलने या सुधारने के लिए मना किया तो उसका सबूत यानि रिकॉर्डिंग होना चाहिए तब जाकर आप केस जीत सकते हैं.

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