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Coronavirus: कब और किसे है जांच की जरूरत? कोरोना वायरस से बचने के उपाय

ओमिक्रॉन ने अपने शुरुआती दिनों में केवल 24 घंटे में 11 हजार से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया था.ओमिक्रॉन ने अपने शुरुआती दिनों में केवल 24 घंटे में 11 हजार से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया था.

भारत में पूरी दुनिया की तुलना में कोरोना वायरस (Corona virus disease (COVID-19) से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत कम है. यही नहीं अच्छी बात यह है कि भारत  में इससे अब तक केवल दो ही बुजुर्गों की मौत हुई है.

इधर मीडिया में कोरोना वायरस को लेकर लगातार चल रहे जागरूकता अभियान और फोन कॉल्स पर पब्लिक अवेयरनेस ने देश में इस महामारी से निपटने के लिए लोगों को सजग तो किया है, लेकिन Corona virus लेकर एक घबराहट और डर अब भी मन में है.

Corona virus के लक्षणों के बारे में अब भी कम लोगों को पता है और जिन्हें पता भी है वे (Influenza (Flu) and Corona viruses) मौसमी बुखार को भी कोराना वायरस मानकर मन में डर लिए घूम रहे हैं और इसकी जांच के लिए लंबी कतारों में खड़ेे दिखाई दे रहे हैं.

दरअसल, सामान्य फ्लू और कोरोना वायरस के मिलते-जुलते लक्षणों को समझना भी आसान नहीं है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किन लोगों को किस तरह की जांच करवाने की जरूरत है और जांच की कब जरूरत है.

कोरोना वायरस के लक्षण और जांच की जरूरत
कोरोना वायरस के लक्षण (coronavirus symptoms) सामान्य फ्लू की तरह ही हैं. बुखार, हाथ-पैरों और सिर में दर्द, सूखी खांसी और सांस लेने में तकलीफ होना. देखा जाए तो यह लक्षण मौसमी बुखार से मिलते-जुलते हैं. यदि आपको इस तरह के लक्षण शरीर में दिखाई दें तो आप अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें. बावजूद इसके इस बात का ध्यान रखें की यह जरूरी नहीं की हर वह व्यक्ति जिसे बुखार हो या सर्दी-खांसी की शिकायत हो तो वह कोरोना वायरस से ही संक्रमित हो.

इसके अतिरिक्त यह बात भी ध्यान देने लायक है कि जो व्यक्ति (corona virus in Italy and china) चीन, इटली अथवा संक्रमित देशों की यात्रा करके ना आया हो अथवा पहले से ही कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में नहीं आया हो उसे यह संक्रमण हो ये जरूरी नहीं है.  ध्यान रखें यह बदलता मौसम है और इसमें सामान्य बुखार होने की भी संभावना है.

(WHO) वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक यह एक महामारी है और इसका संक्रमण तेजी से फैलता है. सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को है जो डायबिटिक हैं, हार्ट के पेशेंट हैं और पहलेे से किसी सांस संबंधी बीमारी के शिकार हैं. हालांकि संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन भारत में ऐसे लोगों की भी संख्या है जो बाकायदा ठीक होकर घर वापस जा रहे हैं.

कोराना वायरस का  टेस्ट कैसे होता है (Corona virus Tests in India)
स्वाब का टेस्ट: कोराना टेस्ट के अंतर्गत सबसे पहले संक्रमण के संदेहजनक व्यक्ति के स्वाब का टेस्ट होता है. इसमें लैब के अंदर कॉटन के जरिए नाक या गले के अंदर से सैंपल लेकर टेस्ट किया जाता है.
नेजल एस्पिरेट: इसमें लैब में संक्रमण के संदेहजनक व्यक्ति की नाक में एक सॉल्यूशन डाला जाता है और फिर सैंपल लिया जाता है.
ट्रेशल एस्पिरेट: ब्रोंकोस्कोप नाम का एक पतला ट्यूब फेफड़े में डाला जाता है और फिर वहां से सैंपल की जांच होती है.
सप्टम टेस्ट: फेफड़े में जमा मैटेरियल या नाक से स्वाब सैंपल लेकर टेस्ट होता है.
ब्लड टेस्ट के जरिए भी कोरोना का टेस्ट होता है.

कोरोना वायरस से बचने उपाय 
साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
बार-बार अपने हाथ साबुन से धोएं.
खांसते-छींकते वक्त रुमाल मुंह पर लगाएं
जिसे खांसी-सर्दी है उससे तकरीबन 5 से 6 फीट की दूरी बनाए रखें
ज्यादा भीड़ भरे इलाके में ना जाएं
जरूरत पड़ने पर ही यात्रा करें
घबराए नहीं और लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से सलाह लें या फिर हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें. 

नोट: यह लेख आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि संक्रमण से संबंधित लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें अथवा सरकार द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर्स पर संपर्क करें.

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