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डिबेंचर क्या होते हैं, डिबेंचर और बॉन्ड में क्या अंतर है?

अपने बचत के पैसों को हर कोई ऐसी जगह निवेश (Invest) करना चाहता है जहां से उसे निश्चित तौर पर लाभ हो. कई लोग अच्छे लाभ पाने के लिए शेयर मार्केट में निवेश (Share market invest) करते हैं तो कई लोग म्यूचुअल फ़ंड (Mutual fund) में. इन दोनों के अलावा भी कई सारे विकल्प हैं जिनमें आप निवेश करके निश्चित समय के बाद लाभ कमा सके हैं. ऐसा एक विकल्प है डिबेंचर (Debentures). डिबेंचर में पैसा निवेश करने से पहले आपको डिबेंचर क्या है तथा ये कैसे काम करता है? इस बात की जानकारी होनी चाहिए.

डिबेंचर क्या होते हैं? (What is debentures?)

डिबेंचर को हिन्दी में ऋणपत्र (debentures hindi meaning) कहा जाता है. ये किसी कंपनी के हो सकते हैं. कोई भी कंपनी जब विस्तार चाहती है या फिर कर्ज में फंसी है और वो अपने शेयर को नहीं बढ़ाना चाहती तो वो डिबेंचर जारी करती है. इससे लोगों के जरिये उसे पैसा मिल जाता है और उन लोगों को इसके बदले में कंपनी को शेयर नहीं देना पड़ता है.

डिबेंचर किस तरह काम करते हैं? (How debentures works?)

डिबेंचर एक बॉन्ड की तरह ही होता है. यदि आपने किसी कंपनी का डिबेंचर खरीदा तो उस पर रिटर्न आपको निश्चित समय के बाद मिलता है. मान लीजिये आपने कोई डिबेंचर खरीदा और उसकी निश्चित अवधि 5 साल है तो आपको उसे 5 सालों तक रखना होगा. इन 5 सालों में कंपनी के शेयर के प्राइस कुछ भी रहे. आपको आपके डिबेंचर पर 5 सालों का ब्याज मिलेगा जो हर बार शुरू में ही तय हो जाएगा. इसमें आपका मुनाफा पहले से तय होता है.

डिबेंचर के प्रकार (Types of debentures)

डिबेंचर 6 तरह के होते हैं.

1) सिक्योर्ड डिबेंचर
2) इनसिक्योर्ड डिबेंचर
3) कनवर्टेबल डिबेंचर
4) नॉन कनवर्टेबल डिबेंचर
5) रजिस्टर्ड डिबेंचर
6) बेयरर डिबेंचर

बॉन्ड क्या होते हैं? (What is bond?)

बॉन्ड भी डिबेंचर की तरह ही होते हैं लेकिन इन दोनों में थोड़ा सा अंतर है. बॉन्ड कोई निजी निगमों, सरकारी एजेंसियों और अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी किए जाने वाले ऋण साधन है. बॉन्ड अनिवार्य रूप से वो ऋण है जो भौतिक संपत्ति द्वारा सुरक्षित किए जाते हैं. इसमें जो बॉन्ड देता है वह तय समय पर फायदे के साथ दिया गया पैसा लौटने का वादा करता है.

डिबेंचर और बॉन्ड में अंतर (Difference between debentures and bond?)

1) बॉन्ड कोलैटरल द्वारा सुरक्षित होते हैं जबकि डिबेंचर सुरक्षित या असुरक्षित दोनों प्रकार के हो सके हैं. डिबेंचर को लोग कंपनी पर विश्वास के आधार पर खरीदते हैं.

2) बॉन्ड को सरकारी निकाय, निजी निगम तथा वित्तीय संस्थान जारी करते हैं तथा डिबेंचर को निजी कंपनियां जारी करती हैं.

3) बॉन्ड को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है क्योंकि ये कोलैटरल से समर्थित होते हैं इनका मूल्यांकन भी समय-समय पर किया जाता है. जबकि डिबेंचर उच्च जोखिम वाले होते हैं. इसमें आमतौर पर कोलैटरल का समर्थन नहीं होता है. ये पूरी तरह विश्वास पर आधारित होते हैं.

4) बॉन्ड की ब्याजदर कम होती है क्योंकि इनमें स्थिरता और सुरक्षा होती है वहीं डिबेंचर में ब्याजदर काफी उच्च होती है यानि आपको अच्छे रिटर्न मिलते हैं लेकिन इसमें जोखिम ज्यादा होता है. इन्हें ज्यादा सुरक्षित नहीं माना जाता.

5) बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज का भुगतान आमतौर पर निश्चित अवधि जैसे मासिक, अर्ध मासिक या वार्षिक रूप से कर दिया जाता है. जबकि डिबेंचर में ब्याज का भुगतान कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है.

डिबेंचर में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है लेकिन इसके लिए आपको मार्केट के बारे में अच्छी जानकारी होनी जरूरी है. आप जिस कंपनी के डिबेंचर में इन्वेस्ट कर रहे हैं यदि उसकी पूरी जानकारी आपको नहीं है तो आपका पैसा डूब भी सकता है क्योंकि डिबेंचर जोखिम के अधीन होते हैं. वहीं बॉन्ड में निवेश करने से आपको फायदा तो कम होता है लेकिन ये फायदा निश्चित होता है. इसमें पैसा डूबने जैसी घटना नहीं होती है.

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By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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