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द्वारका धाम यात्रा : द्वारका कैसे जाएं, द्वारका दर्शन का समय

भगवान श्रीकृष्ण से संबन्धित एक बेहद ही खास स्थान है ‘द्वारका’ (Dwarka). श्रीकृष्ण द्वारा बसाई गई इस नगरी का आज अस्तित्व नहीं है क्योंकि ये समुद्र में डूब गई थी. लेकिन इसके आसपास ही गुजरात (Gujarat) में द्वारका मंदिर की स्थापना की गई है जहां लोग भगवान श्रीकृष्ण और उनके परिवारजनों के दर्शन के लिए जाते हैं. द्वारका एक भव्य और मनमोहक मंदिर है जो श्रीकृष्ण की द्वारिका के दर्शन कराता है.

द्वारका कहां है? (Where is Dwarka?)

द्वारका का मंदिर गुजरात में जाम नगर (Gujarat, Jamnagar) के पास ‘द्वारका’ नामक शहर में स्थित है. द्वारकाधीश मंदिर गोमती नदी के संगम पर बना हुआ जो आगे चलकर अरब सागर में मिलती है. इसी समुद्र में भगवान श्री कृष्ण की द्वारका नगरी हुआ करती थी.

द्वारका समुद्र में कैसे डूबी? (How did Dwarka sink?)

द्वारका के समुद्र में डूबने का कारण कौरवों की माता गांधारी का श्राप था. महाभारत युद्ध खत्म होने पर अपने 100 पुत्रों की मौत से गांधारी विचलित हो गई थी और उन्होने श्रीकृष्ण को श्राप दिया की जिस तरह मेरे वंश का नाश हुआ है ठीक वैसे ही यदुवंश का नाश होगा. तुम्हारी द्वारका समुद्र में समा जाएगी. तुम्हारे नगर में लोग एक दूसरे के दुश्मन बन जाएंगे. इस श्राप के स्वरूप श्रीकृष्ण के नगर में ऐसी घटनाएं घटित हुई जिनसे द्वारका में श्रीकृष्ण को कई लोगों का वध करना पड़ा. आखिर में श्रीकृष्ण द्वारका को छोड़कर अपने बड़े भाई बलराम के पास गए तो देखा की वहां बलराम ने समाधि ले ली है और वे अपने शेषनाग अवतार में आ गए हैं. ये देखकर श्रीकृष्ण भी समाधि में लीन हो गए. इस दौरान वहां हिरण का शिकार करने वाला शिकारी आया. उसने दूर से श्रीकृष्ण को हिरण समझ लिया और उन्हें बाण मार दिया. जब शिकारी ने देखा की वो श्रीकृष्ण थे तो उसे अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ. तब श्रीकृष्ण ने उसे आश्वासन दिया और परमधाम चले गए.

द्वारका को छोड़ने से पहले श्रीकृष्ण ने अपने सारथी दारुक को हस्तीनपुर जाकर अर्जुन को इस पूरी घटना के बारे में सूचित करने के लिए कहा था. पांडवों को जैसे ही ये पता लगा तो अर्जुन तुरंत द्वारिका की ओर गए. वहां जाकर उन्होने मृत द्वारका वासियों का अंतिम संस्कार किया. वे अपने साथ श्रीकृष्ण के परिजनों तथा नगरवासियों को लेकर इंद्रप्रस्थ की ओर चल दिये. उन सभी लोगों ने जैसे ही द्वारका को छोड़ा. द्वारका समुद्र में डूब गई.

द्वारका कैसे जाएं? (How to go dwarka?)

द्वारका जाने के लिए आप हवाईजहाज, ट्रेन और निजी वाहन या बस से जा सकते हैं.

– अगर आप हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो आपको निकटतम हवाई अड्डा जाम नगर जाना होगा. आप अपने शहर से जाम नगर के लिए फ्लाइट लेकर आ सकते हैं. यहां से टैक्सी करके आप द्वारका पहुंच सकते हैं.

– अगर आप ट्रेन से आना चाहते हैं तो आपको नजदीकी रेल्वे स्टेशन जाम नगर पड़ेगा. हालांकि द्वारका में भी रेल्वे स्टेशन है. अगर आपके शहर से सीधे द्वारका के लिए ट्रेन मिलती है तो काफी अच्छी बात है अगर नहीं मिलती है तो आप जाम नगर आकार द्वारका के लिए ट्रेन बदल सकते हैं.

– अगर आप बस या किसी निजी वाहन के जरिये द्वारका जाना चाहते हैं तो आप अहमदाबाद, राजकोट पोरबंदर, जाम नगर होते हुए किसी भी शहर से द्वारका आ सकते हैं. आपको देखना होगा की आपके शहर से कौनसा रास्ता पास पड़ता है.

द्वारका का दर्शनीय स्थल (Dwarka famous place)

द्वारका एक धार्मिक तथा दर्शनीय स्थान है और इसका विवरण महाभारत में मिलता है. यहां कई सारे दर्शनीय स्थल है जिनके दर्शन आपको जरूर करना चाहिए. यहां के प्रमुख दर्शन स्थल हैं गोमती संगम घाट, निष्पाप कुंड, दुर्वासा और त्रिविक्रम मंदिर, कुशेश्वर मंदिर, शारदा मठ, हनुमान मंदिर, चक्र तीर्थ, कैलाश कुंड, गोपी तालाब, नागेश्वर मंदिर, गीता मंदिर, रुक्मणी मंदिर, नागेस्व्हर ज्योतिर्लिंग मंदिर, शंख तालाब.

द्वारक मंदिर का दर्शन समय (Dwarka temple time table)

यहां जाने के लिए मंदिर का टाइम-टेबल जरूर पता होना चाहिए. यहां दिन भर कई तरह के कार्य क्रम जैसे स्नान, भोग आदि के समय पट बंद रहते हैं. इसलिए आपको पता होना चाहिए की आपको द्वारका कब और किस समय जाना चाहिए.
द्वारका मंदिर सुबह 6:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम को 5 बजे से रात 9:00 बजे तक खुलता है.

सुबह 6:30 बजे – मंगला आरती
7 से 8 बजे तक – मंगला दर्शन
8 से 9 बजे तक – अभिषेक पुजा (दर्शन बंद)
9 से 9:30 बजे तक – श्रंगार दर्शन
9:30 से 9:45 तक – स्नान भोग (दर्शन बंद)
9:45 से 10:15 तक – श्रंगार दर्शन
10:15 से 10:30 तक – श्रंगारोगोग (दर्शन बंद)
10:30 से 10:45 तक – श्रंगार आरती
11:05 से 11:20 तक – ग्वाल भोग (दर्शन बंद)
11:20 से 12 बजे – दर्शन
12 से 12:20 तक राजभाग (दर्शन बंद)
1 बजे से 5 बजे तक – अनोसार (दर्शन बंद)
5 से 5:30 बजे तक – पहला दर्शन
5:30 से 5:45 तक – उथप्पान भोग (दर्शन बंद)
5:45 से 7:15 तक – दर्शन
7:15 से 7:30 तक संध्या भोग (दर्शन बंद)
7:30 से 7:45 तक – संध्या आरती
8 से 8:10 तक – शयनभोग (दर्शन बंद)
8:10 से 8:30 तक – दर्शन
8:30 से 8:35 – शायन आरती
8:35 से 9 – दर्शन
9 से 9:20 तक – बंटभोग और शयन (दर्शन बंद)
9:20 से 9:30 – दर्शन
9:30 – दर्शन मंदिर बंद

द्वारका चारधाम यात्रा का ही एक धाम है इसलिए जब आप चारधाम यात्रा करते हैं तो आपको यहां भी जाना पड़ता है. आप यहां जाने से पहले इसके बारे में अच्छी तरह जान गए होंगे. द्वारका मंदिर को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं जिन्हें वहां जाकर ही महसूस किया जा सकता है. इसलिए पवित्र धाम द्वारका के दर्शन जरूर करें.

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