Sun. Oct 6th, 2024

सोशल मीडिया पर लगातार अपेडट करना इस समय लोगों की आदत में शुमार हो चुका है. लाइफ के कई तरह के इवेंट जिसमें बर्थडे, शादी और पार्टी के फोटोज और वीडियो लोग शेयर करते हैं. कई मायनों में ये अच्छा भी है और बुरा भी. अपनी प्राइवेट लाइफ के बारे में पब्लिक में शेयर करने के बारे में आपको एक बार सोचने की जरूरत है क्योंकि कॉर्पोरेट कंपनियां सोशल मीडिया को लेकर अलर्ट हो चुकी हैं. दरअसल, ये कंपनियां अपने कर्मचारियों सोशल मीडिया के  बढ़ते प्रभाव के बाद सतर्क नजर आ रही हैं. 

किस बात पर सतर्क हैं कंपनियां-

दरअसल, कंपनियां इस बात को लेकर अलर्ट है कि कहीं उनके कर्मचारी फेसबुक और टि्वटर पर कुछ ऐसा तो नहीं बोल रहे हैं, जिससे कंपनी की इमेज पर फर्क पड़ रहा हो. इसीलिए अब कंपनियां सोशल मीडिया को लेकर गाइडलाइंस तैयार कर रही हैं. इस मामले में बड़ी कंपनियां आगे हैं और वह पहले ही गाइडलाइंस जारी कर चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इन कंपनियों ने गाइड लाइन्स के जरिये साफ कर दिया है कि जो इंप्लॉयी इसे फॉलो नहीं करेंगे  उसकी जॉब भी जा सकती है. हाल में ही आई एक खबर के मुताबिक कोटक महिंद्रा बैंक ने केरल में अपने एक कर्मचारी को सोशल मीडिया पर पोस्ट के इसी तरह के मामले में निकाल दिया.

सोशल मीडिया पर क्यों रहे अलर्ट-

फेसबुक, टि्वटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ भी लिखते वक्त अलर्ट रहना ज्यादा जरूरी है. कई बार हम अपने फ्रेंड्स, रिलेटिव या फिर चाहने वालों के लाइक्स और शेयर पाने के चक्कर बिना सोचे-समझे पोस्ट 
शेयर कर बैठते हैं. ऐसे में हम शायद ही ये सोचते हैं कि इसका असर क्या होगा. कई बार कुछ बातें सिर्फ मजाक के तौर पर लिख दी जाती हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वो सबको अच्छी लगे. देखा जाए तो अक्सर किसी फेसबुक पोस्ट 

को उसके लिखने वाले की राय या विचारधारा के तौर पर ही देखा जाता है. लेकिन अब ये बातें कॉरपोरेट सेक्टर में सवाल बनने लगी है. दरअसल, ये जरूरी नहीं है कि किसी इंप्लॉयी की डाली गई पोस्ट कंपनी की राय के तौर पर देख 

लिया जाता है और इससे सीधे कंपनी की इमेज पर इफेक्ट पड़ता है. अब कंपनियों ने कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया गाइडलाइंस बनाना शुरू कर दिया है. 


Image Source: unsplash.com

दुनिया के दूसरे मुल्कों में बनी गाइड लाइंस-

दरअसल, यूरोप और अमेरिका की तुलना में सोशल मीडिया पर इंडिया में ज्यादा नियम कायदे बने नहीं हैं और जो जरूरी हैं वह अभी बन रहे हैं. जहां तक कॉर्पोरेट की बात है अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में सोशल मीडिया को लेकर  पहले से ही कॉर्पोरेट गाइडलाइंस बनी हुई हैं. 
खास बात यह है कि वहां पर कर्मचारियों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर बाकायदा नजर भी रखी जाती है. बीते एक दशक में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण अब भारतीय  कंपनियों को भी ऐसी गाइडलाइंस की जरूरत महसूस हो रही है. देखा जाए तो बीते दो सालों में सोशल मीडिया की सीमाओं को लेकर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा चली है. सामाजिक मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने के चक्कर में लोग दूसरों के

साथ व्यवहार को संयमित नहीं रख पाएं हैं. समाज में ऐसे लोग अब खुलकर सामने आए हैं कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग अक्सर विवादों और संवेदनहीनताओं को जन्म देता है, ऐसे में इस आज़ादी की 

कीमत कंपनी की ब्रांड इमेज को न चुकानी पड़े लिहाजा कॉर्पोरेट अब सोशल मीडिया को  लेकर गाइडलाइन्स बनाने पर विचार कर रहे हैं. 

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