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Govardhan Puja 2023 : गोवर्धन पूजा की कथा और पूजन विधि

दिवाली का त्योहार मनाने के बाद कार्तिक मास के पहले दिन को गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) की जाती है. गोवर्धन पूजा का अपना महत्व है और पूरे भारत में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन किसान अपने पशु जैसे गाय और बैल को सजा-धजाकर उनकी पूजा करते हैं.

इन सभी के अलावा भी ढेर सारी चीजें की जाती हैं लेकिन उनके लिए ये जानना जरूरी है की गोवर्धन पूजा (govardhan puja) क्या होती है? गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है? गोवर्धन पूजा का क्या महत्व है? गोवर्धन पूजा की कथा (govardhan puja story) क्या है? गोवर्धन पूजा को अन्नकूट (govardhan puja annkut) क्यों कहा जाता है.

गोवर्धन पूजा क्या है? (Govardhan Puja kya hai?)

दिवाली के अगले दिन कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा (govardhan puja) की जाती है. ये पूजा भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से शुरू हुई थी. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है. इसके अलावा गाय के गोबर से भगवान की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है. इस दिन गाय-बैल आदि पशुयों को स्नान कराकर उनका धूप, चन्दन और फूल की माला पहना कर पूजन किया जाता है. इस दिन गौमाता को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारते हैं.

गोवर्धन पूजा की कथा (Govardhan Puja katha)

गोवर्धन पूजा की कथा (govardhan puja story) भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है. पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन जब भगवान कृष्ण की माँ यशोदा भगवान इन्द्र की पूजा करने की तैयारी कर रही थी. तब श्री कृष्ण ने पूछा की आप इंद्र देव की पूजा (indra dev puja) क्यों कर रही हैं. तो मां यशोदा ने कहा की सारे गांव वाले और मैं इंद्र देव की पूजा इसलिए कर रहे हैं ताकि इन्द्र देव उनकी पूजा से प्रसन्न हों और गांव में बारिश हो जाए. बारिश के होने से उनके गांव में अच्छी फसल होगी, घास की पैदावार होगी ताकि गायों को चारा मिल सके.

मां यशोदा की ऐसी बातें सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने कहा की फिर तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा (govardhan parvat puja) करनी चाहिए क्योंकि इस पर जाकर ही गायों को खाने के लिए घास मिलती है. भगवान श्री कृष्ण की ऐसी बातें सुनकर मां के साथ-साथ पूरे ब्रजवासियों ने इन्द्र देव की जगह पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करना शुरू कर दी. गोवर्धन पर्वत की पूजा करते देख इन्द्र देव नाराज हो गए और क्रोधित होकर उन्होने उस गांव में तेज बारिश करना शुरू कर दी. बारिश के तेज होने के कारण उस गांव के लोग काफी ज्यादा परेशान हो गए.

इंद्र देव के प्रकोप के कारण पूरा गांव परेशान हो गया और चारो-तरफ सिर्फ पानी ही पानी नजर आने लगा. तेज बारिश के चलते लोगों के घरों में पानी भर गया और उनके पास सिर छुपाने के लिए भी जगह नहीं बची. ऐसी स्थिति में सब लोग श्री कृष्ण के पास मदद मांगने चले गए. भगवान श्री कृष्ण ने लोगों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया. सब लोग पर्वत के नीचे जाकर खड़े हो गए. भगवान श्री कृष्ण ने सात दिनों तक अपनी छोटी उंगली पर पर्वत को उठाकर रखा था. बाद में जब इंद्र देव को पता चला की भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु का रूप हैं तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होने बारिश को रोक दिया. बारिश के रुकने के बाद श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रख दिया और अपने गांव वालों को कहा की वो हर साल गोवर्धन पर्वत की पूजा करें जिसके बाद हर साल ये त्योहार मनाया जाने लगा.

गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja vidhi)

गोवर्धन पूजा करने का अपना महत्व है लेकिन इसे जानने से पहले हमें ये जरूर जानना चाहिए की गोवर्धन पूजा (govardhan puja vidhi) कैसे करें. गोवर्धन पूजा को वैसे तो कोई भी कर सकता है लेकिन आमतौर पर इसे किसान ज्यादा करते हैं. इस पूजा को करने के लिए किसान खेत की शुद्ध मिट्टी और गाय के गोबर से घर व आँगन में तथा अपने खेतों में छोटा गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और फिर उसकी पूजा करते हैं.

– गोवर्धन पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
– घर की रसोई में पूजा के लिए पकवान बनाएं.
– खेत से मिट्टी लाकर तथा ताजे गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाएं.
– इस दिन खेती से जुड़ी चीजें जैसे गाय, बैल, खेत के औज़ार, चूल्हा आदि भी गोबर और मिट्टी के जरिये बनाए जाते हैं.
– इन सभी को बनाने के बाद इनकी पूजा की जाती है, नैवेद्य चड़ाया जाता है और छप्पन भोग लगाए जाते हैं.
– इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की आरती की जाती है.
– इसके बाद पूरा कुटुंब एक साथ भोजन करता है.

गोवर्धन पूजा का महत्व (Govardhan Puja Importance) 

गोवर्धन पूजा (govardhan puja importance) सीधे तौर पर हमारी प्रकृति से जुड़ी हुई है. गोवर्धन पूजा का दिन हमें ये संदेश देता है की हमारा जीवन प्रकृति पर निर्भर है जैसे पेड़, पौधे, पशु, पक्षी, नदी, पर्वत आदि. इसलिए हमें उनका शुक्रगुजार करना चाहिए. इस दिन गाय माता की पूजा भी की जाती है क्योंकि उनकी हर एक चीज से मानव जाती का कल्याण हुआ है. इसलिए इस दिन गौमाता की पूजा जरूर की जाती है.

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट क्यों कहा जाता है? (Govardhan Puja and annakut) 

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट (govardhan puja annkut) भी कहा जाता है. गोवर्धन पूजा में हम अन्नकूट बनाकर श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं इसलिए इसे अन्नकूट महोत्सव भी कहा जाता है. अन्नकूट क्या होता है ये सवाल भी कई लोगों के दिमाग में रहता है. अन्नकूट एक तरह का भोजन होता है जिसे सब्जियाँ, दूध और चावल का प्रयोग करके बनाया जाता है. आज के युग में भंडारे को भी अन्नकूट कहा जाता है लेकिन अन्नकूट में तरह-तरह के अन्न से बने पकवान होते हैं.

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By विजय काशिव

ज्योतिषी

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