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ज्योतिष में गुरु ग्रह का महत्व और कुंडली के 12 भावों में गुरु का फल

हमारे जीवन में आने वाले समय में क्या होने वाला है ये हमारी कुंडली में ग्रहों की चाल निर्भर करती है. ज्योतिष के अनुसार आपकी कुंडली में 9 ग्रह होते हैं जो अलग-अलग चीजों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन 9 ग्रहों में से एक प्रमुख ग्रह बृहस्पति होता है जिसे हम गुरु भी कहते हैं.

बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह सौरमंडल का एक प्रमुख ग्रह है. ज्योतिष में बृहस्पति यानि गुरु को एक शुभ और मजबूत ग्रह माना जाता है. ये काफी शुभ परिणाम देता है. बृहस्पति सूर्य से पांचवे स्थान पर है और सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है. इसके 79 प्राकृतिक उपग्रह है. इसे ज्योतिष में शिक्षा का कारक माना जाता है. यानि जिसकी कुंडली में गुरु मजबूत स्थान पर होता है वो शिक्षा में काफी अच्छा होता है.

बृहस्पति का महत्व

ज्योतिष के नौ ग्रह में बृहस्पति को गुरु माना जाता है. ज्योतिष में गुरु को धनु और मीन राशि का स्वामी माना गया है. इसकी उच्च राशि कर्क है तथा निम्न राशि मकर है. गुरु ज्ञान के साथ-साथ संतान, धार्मिक कार्य, दान-पुण्य का भी कारक होता है. जातक शिक्षा में कैसा रहेगा इसके लिए हमेशा गुरु का ही स्थान देखा जाता है.

बृहस्पति का प्रभाव

जिस जातक की कुंडली के लग्न भाव में गुरु होता है वो बहुत भाग्यशाली व्यक्ति होता है. ऐसे व्यक्ति की शारीरिक संरचना व बनावट काफी सुंदर, मनमोहक और आकर्षक होती है. ऐसे जातक अपने जीवन में उच्च शिक्षा हासिल करने में सफल होते हैं तथा वे तार्किक तथा उदारवादी विचार जन्म देते हैं. ये जातक धार्मिक तथा दान पुण्य के कार्यों में अधिक रुचि लेते हैं.

ज्योतिष के अनुसार कर्क गुरु के लिए उच्च राशि है. अगर कोई व्यक्ति की राशि कर्क है तो उसमें गुरु बलवान होगा. इसके कारण जातक को कई क्षेत्रों में लाभ होगा. उसके जीवन में धन की वृद्धि होगी, वह धार्मिक कार्यों में अधिक रुचि लेगा, धर्म के प्रति अधिक झुकाव होगा और वह सत्य के मार्ग पर ही चलेगा.

गुरु के बलवान होने से जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. उसे संतान सुख की भी प्राप्ति होती है. अगर गुरु विपरीत परिस्थितियों में होता है ये अच्छा परिणाम नहीं देता है. इसके कारण जातक को जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऐसा जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रह जाता है. उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उसे काफी प्रयास करना पड़ता है। इसके साथ ही बिना जातक को शारीरिक कष्ट भी होते हैं. उसका करियर भी उतार-चढ़ाव भरा रहता है. वैवाहिक जीवन में भी उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

कुंडली के 12 भावों में बृहस्पति का प्रभाव

 कुंडली के पहले भाव में बृहस्पति का प्रभाव : पहले भाव में बैठा गुरु आपको धनी, बलवान और दीर्घायु बनाता है. आप एक मनोहर व्यक्तित्व के धनी होते हैं. आप अच्छे वक्ता और स्वाभिमानी होते हैं. हालांकि आप देवताओं के प्रति काफी उदार होते हैं.

कुंडली के दूसरे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : दूसरे भाव में बैठा गुरु आपको दानी बनाता है. आप दूसरों के लिए अच्छे और परोपकारी काम करते हैं. आपका जीवनसाथी उत्तम होता है जो आपका हर घड़ी में साथ देता है. आप विवादों में पड़ना पसंद नहीं करते.

कुंडली के तीसरे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : तीसरे भाव में बैठा गुरु आपको धार्मिक बनाता है. लेकिन आप कंजूस होते हैं. इसके साथ ही आप अपने परिवार और बच्चों के प्रति ज्यादा मोह नहीं रखते.

कुंडली के चौथे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : चौथे घर में बैठा गुरु आपको ज्ञानी बनाता है. जिसका आपको जीवन में कई जगह लाभ मिलता है. आपको शत्रुओं से ज्यादा भय रहता है. आप ज्ञानी तो होते ही हैं साथ ही धार्मिक प्रवृत्ति के भी होते हैं.

कुंडली के पांचवे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : यहाँ बैठा गुरु आपको अच्छे मित्र देता है जो हर परिस्थिति में आपके साथ खड़े होते हैं. आप एक अच्छे सलाहकार बनते हैं. आपकी सलाह पर लोग ध्यान देते हैं और आपका सम्मान करते हैं.

कुंडली के छठे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : छठे भाव में बैठा गुरु आपको आलसी बनाता है. आपकी रुचि काले जादू जैसे कामों में होती है. हालांकि आपका भाग्य आपका साथ नहीं देता है. इस वजह से आप कटुवचनों से दूसरों को दूर करते रहते हैं.

कुंडली के सातवे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : सातवे भाव में बैठा गुरु आपको विनम्र बनाता है. आप एक अच्छे राजनायिक बन सकते हैं. आपको जीवनसाथी भी अच्छा मिलता है. आपकी शिक्षा भी बहुत अच्छी होती है. आपको विवाह के उपरांत अच्छे लाभ मिलते हैं.

कुंडली के आठवे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : यहाँ बैठा गुरु आपको विशाल हृदय देता है लेकिन इस बात का संकेत भी देता है की आपको बोलने में परेशानी होगी. आप हमेशा दूसरों के हित के बारे में सोचते हैं. लेकिन आपकी ये आदत आपके दुख का कारण बन जाती है.

कुंडली के नौवे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : नौवे घर में बैठा गुरु आपको धर्म, कानून और आध्यात्म के क्षेत्र में रुचि पैदा करता है. आप इन क्षेत्रों में अच्छा नाम कमाते हैं. इस भाव में बैठा गुरु आपको अपनी बात का पक्का बनाता है.

कुंडली के दसवे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : दसवे भाव में बैठा गुरु आपके लिए बहुत फायदेमंद होता है लेकिन इसका फायदा लेने के लिए आपको चालक होना जरूरी है. आप जितने चालक और धूर्त होंगे इस भाव में बैठा गुरु आपको लाभ पहुंचाएगा.

कुंडली के ग्यारहवे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : यहाँ बैठा गुरु आपके जीवनसाथी को दुखी रखने का काम करता है. आपका जीवनसाथी बिना कारण ही दुखी रहता है. इसके अलावा कर्ज का बोझ भी आप पर रहता है.

कुंडली के बारहवे भाव में बृहस्पति का प्रभाव : इस भाव में बैठा गुरु आपको धन की कमी नहीं होने देता है. आप बहुत शक्तिशाली होते हैं लेकिन आप शक्ति का इस्तेमाल गलत कामों में करते हैं. आपका आकर्षण बुरे कामों में ज्यादा होता है.

गुरु के उपाय

जिन जातकों की कुंडली में गुरु कमजोर स्थान पर होता उन्हें विष्णु की आराधना करनी चाहिए. इसके अलावा आप गुरुवार का उपवास भी रख सकते हैं. आप सत्य नारायण की पूजा करें इससे गुरु बलवान होते हैं.

यंत्र : गुरु यंत्र

मंत्र : ॐ बृहस्पति देवो भवः

जड़ : केला की जड़

रत्न : पुखराज

रंग : पीला

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By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

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