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हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कलियुग में धरती पर मौजूद सिर्फ एक ही देवता साक्षात् मौजूद हैंं जो अपने भक्तों की हर विपदा हर संकट को दूर करने के लिए हाल हुजूर मौजूद रहते हैं. देवता का नाम है श्री हनुमान जी. (hindu religion and hanuman) जिन्हें हम बजरंगबली, पवनसुत के नाम से भी जानते हैं.

हनुमान भारत के लोक की स्मृति में विराजित हैं. बजरंग बलि एक ऐसे देव हैं जो हर भारतीय के ह्दय में विराजते हैं. आज हनुमान जयंती है, (hanuman jayanti)  ऐसे में भारत में एक ऐसी भी जगह है जहां हनुमान जी की पूजा नहीं होती है.

हनुमान जी और द्रोणागिरी पर्वत (sanjeevani booti parvat name) दरअसल, पूरी दुनिया में उन के अनन्य भक्त उन्हें पूरे मन से, श्रद्धा से पूजते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं एक जगह ऐसी भी है जहां पर हनुमान जी की पूजा पूर्ण रूप से निषेध है. वहां हनुमान जी से इतनी शिकायत है कि वहां बजरंग बली की पूजा करना एक अपराध माना जाता है. 

द्रोणागिरी पर्वत कहां स्थित है? (dronagiri parvat chamoli) 
वह जगह है द्रोणागिरि गांव उत्तराखंड के चमोली के जोशीमठ प्रखण्ड में 14000 फुट पर है. (hanuman sanjeevani parvat name) रामायण काल की मान्यताओं के अनुसार कहा गया है कि जब राम और रावण का युद्ध हुआ तब श्री लक्ष्मण जी को शक्ति लगी और लंका के वैद्यराज सुषेन वैद्य ने श्रीराम को संजीवनी बूटी का उपाय सुझाया.

राम की आज्ञा पाकर श्री हनुमान जी संजीवनी बूटी (hanuman sanjeevani parvat name) लेने के लिए सुमेरु पर्वत गए. लेकिन वहां रावण ने माया से सभी बूटियों को एक जैसा बना दिया. बूटी को पहचानने में असमर्थता के चलते हनुमान जी  पूरा पर्वत ही हाथ में उठाकर  वायु मार्ग से लक्ष्मण जी के पास आए. जहां उनका उपचार कर उन्हें शक्ति के असर से बाहर निकाला गया.

 

कहानी द्रोणागिरी पर्वत की  (story of dronagiri parvat) 
अब ऐसी मान्यता है कि जहां से पर्वत उठाया गया था वहीं पर आज द्रोणागिरी गांव बसा हुआ है. गांव वालों के अनुसार जब हनुमान जी पर्वत को अपनी हथेली पर उठा रहे थे, तब पर्वत के देवता और अन्य देवता उस पर तपस्या कर रहे थे.

हनुमान जी ने उनके तप पूरे होने तक रास्ता न देखते हुए उनका तप भंग किया.इसी बात से नाराज गांववाले युगोंं युगोंं से बजरंगबली की पूजा इस गांव में निषेध मानते हैं. और जहां पूरा देश पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ बजरंगबली की पूजन पाठ में लीन रहता है वहीं द्रोणागिरी गांव में आज भी हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती.

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