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HDFC Case Study: कंपनी के गोडाउन से शुरू हुआ HDFC, कैसे बना देश का सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक?

HDFC bank case study hindi

भारत में जब किसी लोन देने वाली बैंक की चर्चा की जाती है तो सबसे पहला नाम एचडीएफ़सी का आता है. HDFC भारत की प्राइवेट बैंक की लिस्ट में सबसे टॉप पर आती है. HDFC भारत में तेजी से ग्रोथ करने वाली बैंक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एचडीएफ़सी कैसे इतना सफल बैंक बना? एचडीएफ़सी बैंक कैसे शुरू हुआ? एचडीएफ़सी का मालिक कौन है? अगर आप इन सवालों के जवाब नहीं जानते हैं तो इस लेख में आपको एचडीएफ़सी के बारे में सारी डिटेल्स जानने को मिलेगी.

एचडीएफ़सी बैंक कैसे शुरू हुआ? | HDFC Case Study Hindi

एचडीएफ़सी बैंक के बनने की शुरुआत होती है साल 1994 में जब एचडीएफ़सी ग्रुप के बोर्ड ऑफ मेम्बर दीपक पारेख के मन में दुनिया का बेस्ट बैंक बनाने का ख्याल आया. इस ख्याल को साकार करने के लिए दीपक पारेख ने आदित्य पुरी को चुना. आदित्य पुरी उस समय मलेशिया में सिटी बैंक के सीईओ थे और अच्छी ख़ासी कमाई कर रहे थे.

जब आदित्य पुरी के पास दीपक पारेख का प्रपोज़ल आया तो उन्होने इसे मना कर दिया. लेकिन बाद में आदित्य पुरी खुद मलेशिया गए और उन्होने आदित्य पुरी को एचडीएफ़सी बैंक का सीईओ पद ऑफर किया. लेकिन उन्होने शर्त रखी कि उनके कामकाज में दीपक पारेख और बोर्ड ऑफ मेम्बर दखल नहीं देंगे. उन्हें बैंक चलाने के लिए मनचाही छूट दी जाएगी. आदित्य पुरी की इस शर्त को दीपक पारेख ने माना और साल 1994 में एचडीएफ़सी बैंक को शुरू किया.

एचडीएफ़सी ने बैंक कैसे शुरू किया? | How HDFC Bank Start? 

साल 1994 में जब दीपक पारेख और अदित्य पुरी ने एचडीएफ़सी बैंक को शुरू किया तो इनके पास ऑफिस का काम करने के लिए कोई ढंग का ऑफिस नहीं था और न ही ट्रेनिंग देने के लिए ढंग के मीटिंग रूम थे. बैंक शुरू करने के लिए इन्हें मुंबई के कमला मिल्स में गोडाउन में ऑफिस खोलने की जगह मिली. जहां पर काफी सारे चूहे थे. ये चूहे कंप्यूटर के वायर को काट देते थे और कागजों को कुतर देते थे. वहीं जब इन्हें ट्रेनिंग देना होता या मीटिंग करना होता था तो ये पेड़ के नीचे मीटिंग लेते थे. इन हालातों से शुरुवात करने वाला बैंक आज देश का नंबर वन प्राइवेट बैंक बन चुका है.

एचडीएफ़सी बैंक का मालिक | HDFC Bank Owner

एचडीएफ़सी बैंक के मालिक के तौर पर कई लोग अदित्य पुरी को जानते हैं लेकिन वे इसके सीईओ थे और साल 1994 से लेकर 2020 तक उन्होने इस पद पर रहकर एचडीएफ़सी बैंक को देश का टॉप प्राइवेट सेक्टर बैंक बनाया. इसके फाउंडर और चेयरमेन दीपक पारेख है. देखा जाए तो इसमें पैसा लगाने वाले व्यक्ति दीपक पारेख है और इसे नंबर वन बैंक बनाए वाले अदित्य पुरी हैं.

एचडीएफ़सी का फुल फॉर्म क्या है? | HDFC Full Form

एचडीएफ़सी का पूरा नाम Housing Development Finance Corporation है.

एचडीएफ़सी कैसे सफल हुआ? | How HDFC bank Success in India?

एचडीएफ़सी की सफलता के पीछे कई कारण हैं जो आपको जरूर जानना चाहिए.
#1. एचडीएफ़सी जिस दौर में शुरू हुआ उस दौर में अधिकतर बैंक बड़े संस्थानों को लोन देने पर फोकस करते थे. जिस कारण इन बैंक का बहुत सारा पैसा इन कंपनियों के पास रहता था और बैंक लॉस में जाने की स्थिति में रहते थे. उसी दौर में एचडीएफ़सी ने छोटे व्यापारियों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया और उन्हें तेजी से लोन प्रोवाइड करना शुरू किया.

#2. एचडीएफ़सी ने एक तरफ जहां छोटे व्यापारियों को लोन दिया. वहीं दूसरी ओर उनका सारा इनवेस्टमेंट अपनी बैंक में करवाने की कोशिश की. उनके बिजनेस के करंट अकाउंट और उनके कर्मचारियों के सैलरी अकाउंट एचडीएफ़सी में खुलवाने के लिए प्रेरित किया. जिसकी वजह से इनके पास फंड आने लगे.

#3. एचडीएफ़सी ने जिन लोगों के करंट और सैलरी अकाउंट खोले उनके बारे में वे अच्छी तरह जानते थे. इसलिए उन्हें बिना डरे बहुत आसानी से हर तरह के लोन उपलब्ध कराये गए. जिस वजह से कस्टमर का भरोसा एचडीएफ़सी पर तेजी से बढ़ने लगा.

#4. आज के समय में HDFC देश का ऐसा पहला बैंक है जो हर तरह के लोन देने का काम सबसे तेज स्पीड के साथ करता है. आपने भी देखा होगा कि कई सारे बैंक आपको लोन देने से मना कर देते हैं तब एचडीएफ़सी आपको लोन दे देता है.

एचडीएफ़सी आज बैंकिंग की दुनिया में बादशाह बना हुआ है. अगर हम एसबीआई को छोड़ दे तो उसके बाद एचडीएफ़सी ही भारत की सबसे बड़े नेटवर्क वाली बैंक कहलाती है. इसमें आपको हर तरह की सुविधा भी मिलती है. आज एचडीएफ़सी के पास 5.6 करोड़ कस्टमर है. वहीं इसकी 5416 ब्रांच है जिनमें 116971 कर्मचारी काम करते हैं.

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