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Civil Judge : सिविल जज कैसे बनते हैं, जज की सैलरी कितनी होती है?

हर व्यक्ति का सपना होता है की वो अपना करियर एक ऐसी फील्ड में बनाए जिसमें उसे खूब सम्मान मिले और उसकी कमाई भी अच्छी हो. ऐसी ही एक फील्ड है न्याय और कानून (Law and justice) की. जिसमें आप जज या न्यायाधीश (Judge) बनकर लोगों का सम्मान पा सकते हैं और समाज के लिए काम कर सकते हैं. जज बनने के लिए आपको पता होना चाहिए की जज कैसे बनते हैं, जज बनने के लिए किन योग्यताओं की जरूरत होती है, जज बनने के लिए कौन सी परीक्षा देनी होती है, जज की सैलरी कितनी होती है, जज के काम क्या होते हैं?

जज बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता (Qualification for Civil Judge?)

जज बनने के लिए आपको सबसे पहले तो आपको 12वी कक्षा कम से कम 45% अंकों के साथ उत्तीर्ण करनी है. इसके बाद आपको या तो किसी विषय के साथ 3 साल का ग्रेजुएशन + एलएलबी (LLB) करना पड़ेगा या फिर 5 साल का इंटीग्रेटेड एलएलबी कोर्स (Integrated LLB course) करना पड़ेगा. इसके बाद जज बनने के दो रास्ते होते हैं.

1) प्रतियोगी परीक्षा के जरिये (Competitive exam for civil judge)
2) वकील बनकर अनुभव लेने के बाद जज की नियुक्ति (Without exam civil judge post)

जज बनने के लिए परीक्षा (Competitive exam for civil judge?)

जज बनने के लिए दो रास्ते हमने बताए. इनमें से पहला रास्ता है जिससे आप एक प्रतियोगी परीक्षा के जरिये जज बन सकते हैं. अगर आप बिना किसी अनुभव के फ्रेशर होने के नाते ही जज बनना चाहते हैं तो ये परीक्षा आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है. इस परीक्षा का नाम न्यायिक सेवा परीक्षा (Judicial Service Exam) है. ये पूरे भारत में रिक्त जजों की नियुक्ति के लिए आयोजित की जाती है. जिसमें हर साल लॉं के स्टूडेंट भाग लेते हैं. इस परीक्षा के जरिये जिला स्तरीय अदालतों में न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति की जाती है.

वकील बनकर कैसे बने? (How to become judge in India?)

अगर आप प्रतियोगी परीक्षा नहीं देना चाहते हैं तो आप कुछ सालों तक वकील बनकर भी जज बन सकते हैं. इसके लिए आपका एक अच्छा वकील होना और कुछ सालों का अनुभव होना जरूरी है. कुछ सालों के अनुभव के बाद जब आपके शहर के कोर्ट में जज की नियुक्ति होती है तो आप उस आधार पर उसमें भाग ले सकते हैं और जज बन सकते हैं.

जज की सैलरी (Civil judge salary)

भारत में जिला स्तर के जजों की सैलरी की शुरुवात लगभग 25 हजार रुपये से होती है. इनके साथ कई तरह की सुविधाएं भी दी जाती हैं. वैसे एक जज की सैलरी अलग-अलग राज्यों पर भी निर्भर करती है.

भारतीय न्यायव्यवस्था (Indian judicial system)

भारतीय न्यायव्यस्था के आधार पर इसे तीन भागों में बांटा गया है. सुप्रीम कोर्ट (सबसे शीर्ष कोर्ट), हाई कोर्ट, अधीनस्थ न्यायालय. आप बिना किसी अनुभव के सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जज की नौकरी नहीं पा सकते. जज बनने की शुरूवात आपको अधीनस्थ कोर्ट से ही करनी होगी.

अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate court)

अधीनस्थ न्यायालय को भी तीन भागों में बांटा गया है जिनके अंतर्गत भी अलग-अलग तरह के कोर्ट आते हैं.

1) सिविल कोर्ट (Civil court)

इन्हें डिस्ट्रिक्ट कोर्ट भी कहा जाता है. इसके अंतर्गत सबओर्डीनेट जज कोर्ट, मुंसिफ़ कोर्ट और लोक अदालत आते हैं. इनके अंतर्गत शादी, तलाक, भूमि, संपत्ति, नागरिक मामले आदि की सुनवाई होती है जिसमें कोई आपराधिक अपराध न हो.

2) क्रिमिनल कोर्ट (Criminal court)

इन्हें डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट कहा जाता है. इनके अंतर्गत चीफ़ जुड़ीशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट, जुड़ीशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट आते हैं. इस तरह के कोर्ट में हत्या, डकैती और अन्य तरह के आपराधिक मामलों की सुनवाई की जाती है.

3) रिवेन्यू कोर्ट (Revenue court)

इसके अंतर्गत रिवेन्यू बोर्ड, कमिश्नर और कलेक्टर तथा तहसीलदार आते हैं. ये कोर्ट एक जिले में उत्पन्न आय और राजस्व आय के रिकॉर्ड की गणना करने और उसका संग्रह करने के लिए जिम्मेदार होते हैं.

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