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बदलते समय के साथ शिक्षा में भी कई तरह के बदलाव आए हैं. इन बदलाव के चलते ही दुनियाभर में जेनेटिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering Course in India) जैसा कोर्स शुरू हुआ. जेनेटिक इंजीनियरिंग की दुनिया में तेजी से डिमांड बढ़ती जा रही है. हालांकि भारत में इसका इतना प्रभाव नहीं दिखता है लेकिन विदेशों में तेजी से जेनेटिक इंजीनियर हायर किए जा रहे है और उनसे नए-नए प्रयोग कराये जा रहे हैं. अगर आप जेनेटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में रुचि रखते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि जेनेटिक इंजीनियर कैसे बनें?

जेनेटिक इंजीनियरिंग क्या होती है? (What is Genetic Engineering?)

जेनेटिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering) विज्ञान की एक आधुनिक ब्रांच है जिसमें सजीव प्राणियों और पौधों के डीएनए कोड (DNA Code) में मौजूद जेनेटिक को नई तकनीक के जरिये परिवर्तित कर उसे बेहतर बनाया जाता है. आजकल जेनेटिक तकनीक के जरिये ही नई-नई किस्म के पौधे आ रहे हैं, नई-नई नस्ल के जानवर आ रहे हैं, रोग प्रतिरोधक फासले उगाई जा रही है, ऐसी फसलों का उत्पादन किया जा रहा है जो सूखे क्षेत्रों में उगाई जा सके. ये सब कमाल जेनेटिक इंजीनियरिंग का ही है.

Genetic Engineering में मनुष्य, जानवर, पेड़-पौधों आदि के डीएनए पर रिसर्च की जाती है, उनके डीएनए में मौजूद जेनेटिक्स को रिसर्च करके एक दूसरे से मिलाया जाता है और नई किस्म की चीज बनाई जाती है. जैसे दो प्रकार की पौधों के डीएनए को मिलकर एक नया पौधा तैयार किया जाता है.

जेनेटिक्स इंजीनियरिंग का उद्देश्य जन कल्याण ही है लेकिन कई बार इससे जन हानि भी हो सकती है. अनुमान लगाया जाता है कि दुनिया में जो कोरोना महामारी है वो इस तरह जेनेटिक इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करके किसी लैब में बनाया गया था और दुनियाभर में फैला दिया गया. हालांकि इस बारे में कोई पता नहीं लगा पाया है कि कोरोना वायरस कैसे बना?

जेनेटिक इंजीनियर के क्या काम होते हैं? (Genetic Engineer work profile)

जेनेटिक इंजीनियर का मुख्य काम रिसर्च करने का होता है. ये किसी कंपनी की लैब में काम करते हैं या फिर सरकार या खुद के लिए काम करते हैं. अगर ये किसी कंपनी या सरकार के लिए काम करते है तो उन्हें उनके बताए मुताबिक चीजों पर काम करना होता है.

– इन्हें अलग-अलग जेनेटिक्स की मदद से पेड़-पौधों, जानवरों की नई नस्ल तैयार करना होती है जो जनहित में हो.
– जेनेटिक्स का उपयोग करके इन्हें कई गंभीर बीमारियों के लिए दवाइयों की खोज करनी होती है.
– जेनेटिक्स का उपयोग करके ये पेड़-पौधों को लगने वाली बीमारी पर खोज कर सकते हैं.
– जेनेटिक्स इंजीनियर फसल की उन्नत किस्म बना सकते हैं.

जेनेटिक इंजीनियर कैसे बनें? (How to become genetic engineer?)

जेनेटिक इंजीनियर बनने के लिए भारत में अलग से कोई ऐसा कोर्स नहीं कराया जाता है जिसे आप सीधे 12वी के बाद जॉइन कर सके. जेनेटिक इंजीनियर बनने के लिए आपको नीचे दिये गए स्टेप्स को फॉलो करना है.

– सबसे पहले अच्छे अंकों के साथ 10वी पास करें.
– 11वी और 12वी में बायो, केमेस्ट्री और फिजिक्स के साथ पास करें.
– 12वी के बाद बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी या बायोकेमेस्ट्री से संबन्धित ग्रेजुएशन करें. आप इन विषयों में बीएससी कर सकते हैं.
– इसके बाद आप जेनेटिक इंजीनियरिंग में एमएससी कर सकते हैं.
– जेनेटिक इंजीनियरिंग में एमएससी करने के लिए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी हर साल 120 सीटों के लिए एंट्रैन्स एक्जाम आयोजित करती है.
– इसके अलावा आप SRM Institute से Genetic Engineering के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

जेनेटिक इंजीनियरिंग में करियर (Career Scope in Genetic Engineering?)

जेनेटिक इंजीनियर की मांग दुनिया में तेजी से बढ़ती जा रही है. जैसे-जैसे दुनिया नए खतरों से अवगत होती जा रही है वैसे-वैसे जेनेटिक इंजीनियर का काम बढ़ता जा रहा है. अगर आप ये कोर्स करते हैं तो आप भारत के साथ-साथ विदेश में भी काम कर सकते हैं. आपके लिए मुख्यतः रोजगार फार्मा कंपनी, एग्रीकल्चर कंपनी, प्राइवेट और गवर्नमेंट रिसर्च सेक्टर आदि में काफी संभावना है.

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By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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