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श्री गणेश को लड्डू, मोदक के अलावा दूर्वा बहुत प्रिय है. बहुत कम व्यक्ति जानते हैंं कि दूर्वा श्री गणेश को सर्वप्रिय है. जिसे दूब भी कहा जाता है. वैसे तो गणेश जी हंंसमुख हैंं. वह अपने भक्तोंं की श्रद्धा भाव देखकर ही प्रसन्न हो जाते हैंं, किन्तु कहा जाता है कि यदि श्री गणेश को प्रसन्न (Ganesh Chaturthi 2021) करना हो तो उनके पूजन मे दूर्वा का प्रयोग अत्यंत आवश्यक है.

क्या होती है गणेश का अर्पित होने वाली दूर्वा 

दूर्वा एक प्रकार की घास होती है, जिसका प्रयोग सिर्फ गणेश पूजन में ही किया जाता है. लेकिन बहुत कम व्यक्ति जानते हैंं कि आखिर गणेश पूजन मे इसका इस्तेमाल क्योंं किया जाता है?

अधिकांश लोगो का यही सवाल मन मेंं होता है कि आखिर श्री गणेश को दूर्वा इतनी क्यों प्रिय है? आपकी जानकारी के लिए बता देंं कि इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित है.

पौराणिक कथाओ मे दूर्वा का जिक्र किया गया है, कहा जाता है कि प्राचीनकाल में एक दैत्य रहता था, जिसका नाम अनलासुर था, उसके डर से स्वर्ग और धरती पर त्राहि-त्राहि मच जाती थी.

गणेश जी और अनलासुर की कथा  (Ganesh ji durva grass story in hindi)

कहा जाता है कि अनलासुर मुनि-ऋषियों के अलावा साधारण मनुष्यों को जिंदा ही निगल जाता था. जब दैत्य के अत्याचारों से परेशान होकर इंद्र एवं सभी देवी-देवता, भगवान महादेव से प्रार्थना की याचना करने गए थे, तो सभी ने देवधिदेव से प्रार्थना की कि वह अनलासुर नामक दैत्य का खात्मा करें.

सभी की बातों को सुनकर महादेव ने कहा कि उस दैत्य का विनाश सिर्फ श्री गणेश ही कर सकते हैं. सभी ने फिर श्री गणेश से प्रार्थना की तो श्री गणेश ने अनलासुर को जिंदा निगल लिया, जिससे उनके पेट में जलन होने लगी.

कई तरह के प्रयोजन करने के बाद भी इस परेशानी का कोई भी उपाय न निकल पाया तो, कश्यप ऋषि ने श्री गणेश को खाने मे दूर्वा की 21 गांठें बनाकर दीं. जिसके बाद उनके पेट की जलन शांत हुई. माना जाता है, की श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने की यह परंपरा उसी समय से आरंभ हुई.

कैसे बनाई जाती हैंं दूर्वा की 21 गांठ (ganesh chaturthi ke upay in hindi)

कई व्यक्ति जानते तो हैंं कि गणेश जी को दूर्वा चढ़ाई जाती है, किन्तु यह मालूम नहीं होता है कि किस तरह दूर्वा से गणेश को प्रसन्न किया जाता है. 21 दूर्वा को एकसाथ मिलाकर 1 गांठ बनाई जाती है, एवं 21 गांठें श्री गणेशजी के मस्तक पर अर्पित की जाती हैं.

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By विजय काशिव

ज्योतिषी

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