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पुरी का जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple, Puri) भारत का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जहां हर साल रथ यात्रा निकलती है. इस रथ यात्रा में देश और विदेश से लाखों लोग आते हैं और भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Jagannath puri rath yatra) देखते हैं. आप चाहे तो आप भी जगन्नाथ यात्रा पर जा सकते हैं और पुरी रथ यात्रा के साक्षी बन सकते हैं.

जगन्नाथ मंदिर के बारे में (About Jagannath Temple, Puri)

जगन्नाथ मंदिर ओड़ीशा राज्य के ‘पुरी’ शहर में स्थित है. भारत में चार धाम काफी प्रसिद्ध है उन्हीं में से एक धाम जगन्नाथ पुरी है. ये मंदिर वैष्णव संप्रदाय का मंदिर है और ये श्री कृष्ण को समर्पित है. यहां भगवान श्री कृष्ण अपने बड़े भाई (दाऊ) बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं.

जगन्नाथ मंदिर चार लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैला है. इस मंदिर में चारो ओर 20 फुट ऊंची दीवारें हैं. मंदिर की ऊंचाई 214 फुट है. मंदिर के शिखर पर सुदर्शन चक्र है जो अष्टधातुओं से बना है. इसे नीलचक्र भी कहा जाता है. मंदिर की चारों दिशाओं में चार द्वार हैं.

पूर्व दिशा : सिंह द्वारा है यहां से आम लोगों को प्रवेश दिया जाता है.
दक्षिण दिशा : अश्व द्वार है यहां से वीआईपी लोगों को प्रवेश दिया जाता है.
पश्चिम दिशा : हाथी द्वार है यहां से पुजारी और पंडित प्रवेश करते हैं.
उत्तर दिशा : व्याघ्र द्वार है यहां से विकलांग और बीमार लोग प्रवेश करते हैं.

जगन्नाथ यात्रा की प्लानिंग (When go to Jagannath Temple, Puri?)

जगन्नाथ पुरी जाने की योजना आपको सर्दियों के मौसम में बनानी चाहिए क्योंकि यहां बारिश के मौसम में बहुत बारिश और गर्मियों के मौसम में बहुत ज्यादा गर्मी होती है. अगर आप जाना चाहते हैं तो अक्टूबर से मार्च के बीच में जगन्नाथ पुरी जा सकते हैं.

जगन्नाथ पुरी में ठहरने की व्यवस्था (Room and hotel in Jagannath Temple, Puri?)

जगन्नाथ पुरी में मंदिर के आसपास ही कई सारे होटल हैं. आप चाहे तो ऑनलाइन या फिर वहाँ जाकर रूम बुक कर सकते हैं. अगर आप सभी दर्शनीय स्थलों को देखना चाहते हैं तो कम से कम दो दिन के लिए आपको होटल बुक करना चाहिए. होटल के अलावा मंदिर प्रशासन के भक्त निवास में भी आप एसी और नॉन एसी रूम बुक कर सकते हैं. इन्हें ऑनलाइन बुक करने के लिए आप इनकी वेबसाइट https://accomodation.jagannath.nic.in/ पर जा सकते हैं.

पुरी कैसे जाएं? (How to go Jagannath Temple, Puri?)

जगन्नाथ पुरी आप रेल, हवाई जहाज और खुद के वाहन के द्वारा जा सकते हैं. अगर आप रेल के द्वारा आना चाहते हैं तो कई प्रमुख शहरों से जगन्नाथ पुरी के लिए ट्रेन चलती है. आपके आसपास प्रमुख शहर से जो ट्रेन जगन्नाथ पुरी आती हो उसी से आप आ सकते हैं. अगर आप हवाई जहाज से आना चाहते हैं तो पुरी में कोई हवाई अड्डा नहीं है. आपको हवाई जहाज से भुवनेश्वर आना होगा. यहां से 60 किलोमीटर दूर पुरी की यात्रा किसी अन्य वाहन से करनी होगी.

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा की जानकारी (About Jagannath Puri Rath Yatra)

पुरी में हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलती है. इस रथ यात्रा में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम दाऊ, और बहन सुभद्रा के तीन रथ होते हैं. सबसे आगे बलराम दाऊ का रथ, उनके पीछे बहन सुभद्रा का रथ और सबसे आखिरी में जगन्नाथ का रथ होता है. रथ यात्रा के दौरान अपने हाथों से रथ खींचना बेहद शुभ माना जाता है. इसलिए यहां विश्वभर से लाखों लोग आते हैं. ये महोत्सव पूरे दस दिन तक चलता है. रथयात्रा में तीनों रथ को श्रद्धालु खींचकर जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर ले जाते हैं 7 दिनों तक जगन्नाथ अपने भाई तथा बहन के साथ यहां निवास करते हैं और फिर दशमी को पुनः जगन्नाथ मंदिर में इन्हें स्थापित कर दिया जाता है.

जगन्नाथ पुरी के दर्शनीय स्थल (Nearby place at Jagannath Temple, Puri)

जगन्नाथ पुरी के आसपास व जगन्नाथ पुरी में कई रमणीय स्थान हैं जिन्हें आपको जरूर देखना चाहिए.

चिल्का झील (Chilka Lake)

ये भारत की सबसे बड़ी तथा खारे पानी की झील है जो ओड़ीशा में है. पुरी से इसकी दूरी मात्र 55 किलोमीटर की है. आप ओटीडीसी की बस के जरिये यहां आसानी से जा सकते हैं. यहां डोलफ़िन मछ्ली समेत कई प्रजाति के पक्षी दिखाई देते हैं. चिल्का झील में अनेक छोटे द्वीप भी बने हुए हैं. इन द्वीप पर आप नांव के जरिये जा सकते हैं.

साक्षी गोपाल मंदिर (Sakshi Gopal Mandir)

ये मंदिर पुरी से 20 किलोमीटर दूर भुवनेश्वर राजमार्ग पर है. पुरी के सबसे पवित्र मंदिर में एक गोपाल मंदिर को कलिंग शैली में बनाया गया है. यहां श्री कृष्ण और राधा रानी एक साथ विराजते हैं. यहां जाने से पहले ध्यान रखें की यहां प्रवेश पुरी तरह मुफ्त है इसलिए किसी को एंट्री करने के पैसे न दें.

गुंडिचा मंदिर (Gundicha Temple)

जगन्नाथ मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुंडिचा श्रीकृष्ण की मौसी का घर है. यहां रथ यात्रा के जरिये श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा आते हैं और हफ्ते भर तक रुकते हैं. रथयात्रा में तीनों की मूर्तियाँ यहीं विराजती हैं.

लोकनाथ मंदिर (Loknath Temple)

जगन्नाथ मंदिर से एक किलोमीटर दूर स्थित या शिवजी का प्रसिद्ध मंदिर है. माना जाता है की भगवान राम ने इस जगह पर अपने हाथों से शिवलिंग स्थापित किया था. ये शिवलिंग पानी के नीचे है और पानी लगातार इसके ऊपर रहता है. त्योहार पर पुजा के लिए पूरा पानी निकाला जाता है. तब शिवलिंग के दर्शन होते हैं.

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