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Jio Case study: जियो कैसे बनी देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी

jio case study hindi

Jio एक ऐसी कंपनी है जिसका नाम देश का हर व्यक्ति जानता है. इतना ही नहीं दुनियाभर की टॉप टेक कंपनी इस कंपनी में निवेश कर रही है. लेकिन ऐसी क्या वजह है जो कुछ सालों पहले ही आई Jio देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन गई. जियो की ऐसी क्या रणनीति थी जिसकी वजह से मार्केट में पहले से ही मौजूद दिग्गज वहीं रह गए और जियो तेजी से अपना कस्टमर बेस बनाती चली गई. जियो की सफलता के क्या कारण हैं (Jio Case Study) आप इस लेख में जानेंगे.

कैसे शुरू हुई जियो? | How Jio start in India?

जियो को शुरू करने वाले मुकेश अंबानी (Jio Owner Name) है इस बात को तो सभी जानते हैं लेकिन इसे शुरू करने के पीछे क्या कहानी है इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं. मुकेश अंबानी ने जियो को शुरू करने के लिए काफी मेहनत की है और काफी ज्यादा इंतज़ार भी किया.

बात साल 2002 की है जब मुकेश अंबानी के पिता धीरुभाई अंबानी की मृत्यु हो गई. पिता की मृत्यु के बाद मुकेश अंबानी को रिलायंस इंडस्ट्रीज का चेयरमेन बनया गया और उनके छोटे भाई अनिल अंबानी को वाइस चेयरमेन बनाया गया. दोनों भाइयों के बिजनेस करने का तरीका अलग-अलग था इस कारण से दोनों के बीच अन-बन होने लगी. तब इन दोनों के बीच बंटवारा हुआ.

anil and mukesh ambani

साल 2005 में जो बंटवारा किया गया इसमें अनिल अंबानी के पास Reliance info communication, reliance energy power, reliance capital, reliance national resource का बिजनेस आया. वहीं मुकेश अंबानी के पास Reliance Oil Business, RIL, IPCL आए. बँटवारे में जो टेलीकॉम कंपनी थी वो अनिल अंबानी के पास चली गई. जबकि मुकेश अंबानी का सबसे ज्यादा इन्टरेस्ट टेलीकॉम सेक्टर में ही था.

जब बंटवारा हुआ तब मुकेश अंबानी से एग्रीमेंट साइन कराया गया जिसमें मुकेश अंबानी ने ये स्वीकार किया कि 5 सालों तक वे रिलायंस टेलीकॉम की प्रतियोगिता में अपना कोई भी बिजनेस शुरू नहीं करेंगे. मतलब वे कोई भी टेलीकॉम कंपनी 5 साल तक शुरू नहीं करेंगे. साल 2010 में मुकेश अंबानी का ये एग्रीमेंट पूरा हुआ और उन्होने टेलीकॉम सेक्टर में आने की शुरुवात की. हालांकि जियो को उन्होने साल 2015 में लांच किया था.

जियो आते ही कैसे सफल हुई? | How Jio Succeed?

कई लोगों को ऐसा लगता होगा कि जियो आते ही कैसे सफल हो गई. कैसे इतने सारे कस्टमर ने जियो पर अपना भरोसा दिखाया और जियो ने कमाना भी शुरू कर दिया. तो जियो आते ही सफल नहीं हुई बल्कि इसके पीछे मुकेश अंबानी की सालों की मेहनत थी. साल 2010 से 2015 के बीच मुकेश अंबानी ने जियो को शुरू करने पर काफी मेहनत की जिसका असर साल 2015 में जियो की लांचिंग के बाद दिखा.

– साल 2010 में बॉन्ड खत्म होने के बाद मुकेश अंबानी ने ISBL नाम की कंपनी को 4800 करोड़ रुपये में खरीदा जो पूरे भारत के 22 जोन में इन्टरनेट सेवाएँ देती थी.

optical fiber cable

– मुकेश अंबानी ने समुद्र के रास्ते ऑप्टिकल फाइबर की केबल बिछाई ताकि अच्छी इन्टरनेट स्पीड कम दाम पर मिल सके.

– साल 2013 में मुकेश अंबानी ने नुकसान में चल रही अपने भाई की कंपनी Aircel को खरीद लिया. इसकी वजह से मुकेश अंबानी के पास Tower Network आ गया.

– मुकेश अंबानी ने जियो को शुरू करने में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये लगाए जो भारत की टॉप 3 टेलीकॉम कंपनियों के इनवेस्टमेंट से 3 गुना से भी ज्यादा था.

जियो की सफलता का क्या राज है? | Secret of Jio Success?

जियो की सफलता के पीछे कारण की बात करें तो इसके पीछे मुकेश अंबानी का दिमाग है. मुकेश अंबानी काफी आगे की सोचते हैं और उन्होने 2जी के जमाने में ही ये भाँप लिया था कि आगे की दुनिया में इन्टरनेट ही सबकुछ होने वाला है. जिस समय मार्केट में एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी कंपनियाँ कॉलिंग पर अपना ध्यान फोकस कर रही थी. उसी समय मुकेश अंबानी ने अपना ध्यान 4जी नेटवर्क पर लगाया. आपको याद होगा कि 4जी के आने से पहले हमे 3जी इन्टरनेट मिलता था जिसकी बहुत ज्यादा कीमत होती थी. इन्हीं सभी कमियों को देखते हुए. उन्होने एक नया प्रॉडक्ट जियो तैयार किया.

जियो ने दूसरी कंपनियों को कैसे पछाड़ा? | How jio beat other telecom company?

जियो जिस समय आई उस समय तीन कंपनियाँ एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सबसे ज्यादा पोपुलर थी. ये तीनों कंपनियाँ कॉलिंग और 3जी नेटवर्क के मालमे में बेहतर थी और दोनों चीजों पर कंपनियों ने अपना काफी पैसा खर्च कर चुकी थी. ऐसे में मुकेश अंबानी ने अपना सारा पैसा एक नई टेक्नोलॉजी 4जी को भारत में शुरू करने पर लगा दिया. जिसकी वजह से उनके सामने कोई competitor ही नहीं रहा.

जब Jio लांच हुआ तब कंपनियों के पास 4जी नेटवर्क नहीं थे. जब तक दूसरी कंपनी 4जी नेटवर्क भारत में लगाती तब तक जियो भारत में अपना कस्टमर बेस तेजी से बना चुकी थी. मुकेश अंबानी ने साल 2010 से 2015 के बीच जो भी कंपनियाँ खरीदी उन कंपनियों के बने बनाए मॉडल का उपयोग करके उन्होने जियो को शुरू किया और ऑप्टिकल फाइबर केबल को बिछाकर इन्टरनेट को सस्ते दामों में उपलब्ध करा दिया.

जियो ने कस्टमर बेस कैसे बनाया? | Why Jio favorite of customer

अगर आपको याद हो तो जब जियो लांच हुई थी तब जियो ने फ्री में सिम बांटी थी. जियो का कस्टमर बेस बनाने का ये पहला कदम था. जिस भी व्यक्ति ने फ्री सिम ली थी उसने करीब 6 महीने तक फ्री सिम चलाई. इन 6 महीने में लोगों को तेज इन्टरनेट चलाने की आदत हो गई. इसके बाद जियो ने काफी कम कीमत पर महीने, तीन महीने और सालभर के प्लान लांच किए. ये प्लान लोगों को पसंद आए और लोगों ने किसी दूसरी कंपनी की सिम इस्तेमाल करने से अच्छा जियो की सिम इस्तेमाल करना बेहतर समझा.

जियो आज भारत की टॉप टेलीकॉम कंपनी बन चुकी है और भारत को दुनिया की सबसे ज्यादा डाटा इस्तेमाल करने वाला देश बना चुकी है. भारत में यदि डिजिटल क्रांति की बात की जाए तो वो करने वाली जियो ही पहली कंपनी है. जियो के आने से पहले किसी ने नहीं सोचा होगा कि इन्टरनेट इतना फास्ट और इतना सस्ता हो सकता है.

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