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देश में अगर आज सबसे ज्यादा किसी खेल के प्रति दीवानगी है तो उसका नाम क्रिकेट है. यूं कहें कि कई दशकों से इस इंग्लिश खेल का जादू कुछ इस तरह से चढ़ गया है कि दूसरे खेल इसके आगे दिखाई ही नहीं देते. कुछ ऐसा ही रुतबा क्रिकेटर्स का भी है. जेंटलमेन गेम के खिलाड़ी लोगों के दिलों में भगवान की तरह पूजे जाते है. लेकिन हर खिलाड़ी नहीं. कुछ खास होते है. विशेष प्रतिभा के धनी. सबसे जुदा. सबसे अलग. जैसे कपिल देव .

जी हां कपिल देव जिन्हें भारतीय क्रिकेट का पहला सितारा कह दिया जाना अतिश्योक्ति नहीं होगी. जब दुनिया में विदेशी टीमों का बोलबाला था और भारत ब्रिटेन के राष्ट्रीय खेल की दुनिया में अपने लिए जमीन तलाश रहा था, तब उदय हुआ था, कपिलदेव रामलाल निखंज नाम के सितारे का. 6 जनवरी 1959 को जन्में भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान और महान आलराउंडर आज दुनिया के सबसे श्रेष्ठ खिलाड़ियों में शुमार है.

कपिल देव का जीवन परिचय  (kapil dev childhood life and life story) 

भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय कपिल का परिवार पाकिस्तान के रावलपिंडी से भारत के फाजिल्का (पंजाब, भारत) में आकर बस गया. लकड़ी का व्यवसाय करने वाले कपिल के पिता के सात बच्चों में कपिल छठे थे.

कुछ समय बाद कपिल का परिवार चंडीगढ़ आकर बस गया.चंडीगढ़ में जन्में कपिल का पूरा नाम कपिल देव निखंज है. उनके पिता का नाम रामलाल निखंज और मां का नाम राजकुमारी निखंज है.

चंडीगढ़ में पैदा हुए कपिल ने डी.ए.वी. स्कूल से अपनी शिक्षा शुरू की और सेंट एडवर्ड कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की. देश प्रेम आजाद ने कपिल को क्रिकेट की शुरुआती पाठशाला में तराशा. 1980 में रोमी भाटिया से उनकी शादी हुई और 1996 में उनकी बेटी अमिया देव का जन्म हुआ.

मैदान पर कपिल देव का करियर  (kapil dev stats and profile) 
कपिल देव ने 1975 में हरियाणा के लिए घरेलू क्रिकेट से अपने क्रिकेट जीवन की शुरुआत की. उन्होंने यह मैच पंजाब के खेला. दाएं हाथ के बल्लेबाज और तेज़ गेंदबाज कपिल ने अंतराष्टीय मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ पदार्पण किया. हालांकि 16 अक्टूबर 1978 को फैसलाबाद में पाक के खिलाफ कपिल के सफर की शुरुआत खास नहीं रही, मगर उसके बाद जो हुआ उसे दुनिया जानती है.

1982-83 में कपिल भारत के कप्तान बने. 1983 के विश्व कप में टीम इंडिया की कमान कपिल के हाथों में थी पर वेस्ट इंडीज के एकतरफा दबदबे और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के आगे भारत की उम्मीदें न के बराबर ही थी. कहा जा सकता है कि उस समय भारत बस एक टीम हुआ करती थी.

एक औसत टीम के औसत खिलाड़ी और औसत कप्तान के रूप में कपिल ने टीम के लिए विश्वकप में कदम रखा. फिर हुआ चमत्कार, जिसे खेल से ज्यादा जज़्बे की जीत कहा गया. भारत विश्व कप जीत चूका था और उसने दुनिया की सबसे ताकतवर टीम वेस्टइंडीज को 183 रन नहीं बनाए दिए थे. अब कपिल क्रिकेट इतिहास का सबसे रोशन सितारा बन चुके थे. बाद में अज़हरुद्दीन की कप्तानी में उन्होंने 1992 में अपना अंतिम विश्व कप खेला .

कपिल की रिकॉर्ड बुक और क्रिकेट करियर (kapil dev records list in cricket) 
225 वनडे में कपिल के नाम 3783 रन दर्ज हैं. इस दौरान उनका औसत 23.79 रहा. विश्व के सबसे बड़े ऑराउंडर्स में से एक कपिल ने इस दौरान 253 विकेट भी लिए. वहीं उस समय ज्यादा प्रचलित क्रिकेट के मूल स्वरूप टेस्ट क्रिकेट में कपिल के नाम 131 मैच में 434 विकेट लेने का रिकॉर्ड है जो बरसों कायम रहा. कपिल ने टेस्ट में 31 के औसत से 5248 रन बनाए. टेस्ट में कपिल के नाम 8शतक दर्ज हैं.

कपिल देव को मिले सम्मान
भारतीय प्रादेशिक सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल 2008 में बने
अर्जुन पुरस्कार 1979 -80
पद्मश्री-1982 में
विज्डन क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर -1983
पद्मभूषण-1991
विज्डन इन्डियन क्रिकेटर ऑफ़ ओफ द सेन्चुरी-2002

कपिल के बारे में कुछ खास (Amazing facts about kapil dev)
उन्हें हरियाणा का तूफान कहा जाता था. वे कभी भी रन आउट नहीं हुए. अपनी फिटनेस पर उनका इतना ध्यान था कि वें कभी फिटनेस के कारण टेस्ट टीम से बाहर नहीं बैठाए गए.

जिम्बाब्वे के खिलाफ कपिल की 175 रनों की यादगार पारी (kapil dev 175 vs zimbabwe highlights)
1983 के विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ कपिल की 175 रनों की नायाब पारी एक दिवसीय क्रिकेट में उनकी एकलौती शतकीय पारी है.

विडम्बना यह है कि यह ऐतिहासिक इनिंग्स आज रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है, क्योंकि 138 गेंदों में 16 चौके और 6 छक्कों से सजी 9वें विकेट के लिए 126 रन की सबसे बड़ी साझेदारी जो सय्यद किरमानी के साथ की गई थी, जब आकार ले रही थी, तब बीबीसी हड़ताल के चलते इसे टेलीकास्ट नहीं कर रहा था.

कपिल का यह रिकॉर्ड आने वाले 27 सालों तक कायम रहा. इसी मैच में कपिल देव ने 5 विकेट भी लिए थे. मैन ऑफ़ द मैच कपिल को जीवन की सबसे यादगार पारी के लिए मर्सिडीज कार तोहफे में मिली .

मैदान के बाहर कपिल (What is the net worth of Kapil Dev?)
1994 में क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद कपिल 1999 में भारतीय क्रिकेट टीम के कोच बने. इस दौरान उनका अनुभव कुछ खास नहीं रहा और उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा .कपिल फिर सामाजिक सरोकारो से जुड़े और 2005 में उन्होंने खुशी नामक एक राष्ट्रीय सरकारी संगठन की नींव रखी जो गरीब बच्चों के लिए दिल्ली में तीन विद्यालय चलाती है.

कपिल फ़िलहाल उसके अध्यक्ष है. आज कपिल्स इलेवेन रेस्टोरेंट के मालिक कपिल कई भारतीय फिल्मों में फिल्मो छोटे-छोटे किरदार निभा चुके है. वे आज भी क्रिकेट की दुनिया में टीवी कमेंटेटर के रूप में और सामाजिक कार्यो में सक्रीय हैं. विभिन्न जरियों से कमाई उनकी दौलत आज लगभग 191.65 करोड़ रुपए से अधिक है.

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