Fri. Apr 19th, 2024

हर व्यक्ति अपने जीवन में संतान सुख की प्राप्ति करना चाहता है, लेकिन आज के समय में कई दंपती संतान सुख से वंचित हैं. बदलती लाइफ स्टाइल, कई तरह के स्वाथ्य संबंधी समस्याओं के चलते कई दंपती माता-पिता नहीं बन पाते हैं. संतान सुख नहीं (jyotish me santan yog) मिलने के जहां कई स्वास्थ्य संबंधी कारण होते हैं वहीं इसके ज्योतिषीय दोष भी होते हैं. ज्योतिष शास्त्र से आप ये जान सकते हैं कि आपकी कुंडली में संतान सुख (kundali me santan yog) है या नहीं है. संतान सुख में क्या बाधा आ रही है? संतान प्राप्ति के क्या उपाय हैं? ये सारी बाते आप ज्योतिष के जरिए जान सकते हैं.

संतान सुख

अधिकतर लोगों को आपने कहते सुना होगा की संतान देना न देना सब ईश्वर के हाथ में है. संतान प्राप्ति में दो तरीके से बाधा आ सकती है. एक तो शारीरिक रूप से मतलब यदि पति या पत्नी में से कोई भी शारीरिक रूप से किसी कमी से जूझ रहा है तो उसे संतान प्राप्ति में बाधा आती है.

संतान प्राप्ति में बाधा का दूसरा कारण आपकी कुंडली में कोई दोष हो सकता है. हो सकता है कि आपकी कुंडली में संतान का योग न हो या फिर कोई ग्रह आपकी कुंडली में परेशानी दे रहा हो. ऐसे में आपको संतान प्राप्ति के लिए किसी उपाय की जरूरत हो.

कुंडली में कैसे जानें संतान योग? (kundli mein santan yog kaise dekhen)

किसी भी व्यक्ति की कुंडली में संतान भाव देखने के लिए उस व्यक्ति की कुंडली का पांचवा भाव देखा जाता है. पांचवे भाव में बैठा ग्रह तथा उस ग्रह का स्वामी संतान के संबंध में विशेष जानकारी देता है.

संतान प्राप्ति के लिए जन्म कुंडली में ‘गुरु’ ग्रह संतान का कारक होता है. कुंडली में गुरु की स्थिति, उच्च-नीच, केंद्र अथवा तरीकों के आधार पर इस बात का आंकलन किया जाता है की आपके बच्चे कितने होनहार होंगे.

संतान के लिए पति एवं पत्नी दोनों की कुंडलियां देखकर ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है. कुंडली में पांचवे भाव से पहली संतान और तीसरे भाव से दूसरी सांतन और उसी से तीसरी संतान का विचार किया जाता है.

– किसी भी जन्म कुंडली में पंचमेश बाली उच्च या मित्र राशि होकर लग्न, पंचम, सप्तम या नवम भाव में स्थित हो तथा कोई भी पापी व अशुभ ग्रह की न हो दृष्टि हो और न ही साथ हो तो ऐसे जातक को संतान सुख प्राप्त होता है.

– पंचम भाव में शुभ ग्रह हो तो पुत्र सुख की प्राप्ति होती है.

– जन्म कुंडली में लग्न तथा चन्द्र राशि से पंचम भाव के स्वामी और बृहस्पति अगर शुभ स्थान या केंद्र या तरीकों में स्थित हो तथा उन पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो संतान सुख निश्चित होता है.

– अगर कुंडली के पांचवे भाव का स्वामी गुरु बली अवस्था में हो और लग्नेश की दृष्टि गुरु पर हो तो जन्म लेने वाली संतान आज्ञाकारी होती है.

– पांचवे भाव में अगर सिंह, कन्या, वृष, वृश्चिक राशि सूर्य के साथ हो और आठवे भाव में शनि और लग्न स्थान पर मंगल विराजमान हो तो संतान सुख में देरी होती है.

– नवम भाव में गुरु, शुक्र और पंचमेश हो तो उत्तम संतान का योग बनता है.

– जिन लोगों की कुंडली में लग्न से पंचम भाव शुक्र अथवा चंद्रमा के वर्ग में हो तथा शुक्र और चंद्रमा से युक्त हो उनकी कई संताने होती हैं.

संतान प्राप्ति के उपाय

यदि आपको संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है और आपकी कुंडली में कोई दोष है तो आप दिये गए उपाय कर सकते हैं इनके परिणाम हमेशा सुखद ही रहते हैं.

– शुभ मुहूर्त में संतान गोपाल मंत्र का सवा लाख जाप करें. बाल मुकुन्द भगवान की पूजा करें. उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाएँ.

– शुक्ल पक्ष में अभिमंत्रित संतान गोपाल यंत्र को अपने घर में स्थापित करें और लगातार 16 गुरुवार के व्रत रखें, केले एवं पीपल के वृक्ष की सेवा करें उनह दूध-चीनी मिश्रित जल चढ़ाएं.

– संतान प्राप्ति के लिए किसी अच्छे ज्योतिश आचार्य से परामर्श करके रत्न धारण करें.

– 11 प्रदोश के व्रत करें, प्रत्येक प्रदोश को भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करें.

– संतान प्राप्ति में यदि महिला में कोई कमी है तो लाल गाय व बछड़े की सेवा करें या लाल या भूरा कुत्ता पालें.

– पति-पत्नी गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें और व्रत रखें. इसी दिन पीली वस्तुओं का दान करें और पीला भोजन करें.

कुंडली में संतान संबंधी योग जानने और किसी दोष के उपाय के लिए बेहतर होगा कि आप किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लें.

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By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

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