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International women’s day: महिलाओं को सुरक्षित करने वाले खास अधिकार

हर साल 8 मार्च को हम महिला दिवस (Woman’s day) के रूप में मनाते हैं. महिलाओं की खूबियों का बखान करते हैं और फिर अपने काम में लग जाते हैं. कई लोग कहते हैं की महिलाओं को समान दर्जा दिया जाना चाहिए, उन्हें समान स्वतन्त्रता और शिक्षा दी जानी चाहिए. बात सही है लेकिन उन्हें समान स्वतन्त्रता तब मिलेगी जब उन्हंद उनके अधिकार पता होंगे. महिलाओं के कई सारे अधिकार (Woman’s rights) हैं जो उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं.

महिलाओं के अधिकार (Woman’s right in India)

घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार (Right against domestic violence)

घरेलू हिंसा होना कई घरों में एक आम बात सी हो गई है लेकिन ये एक महिला के लिए आम बात नहीं है और सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए घरेलू हिंसा के लिए कानून बनाए हैं. इसके तहत यदि किसी महिला को घर में शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है तो ये घरेलू हिंसा है और ये दंडनीय अपराध है.

ये कानून 2005 में लाया गया था. इसके मुताबिक शादीशुदा महिलाएं अपने पति, ससुरालवालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का हक रखती है. इस कानून के तहत दोषी पाये जाने पर 1 साल की सजा और 20 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. इस तरह के केस में 60 दिन के अंदर फैसला सुनाने का प्रावधान है ताकि पीड़िता को जल्द से जल्द इंसाफ मिल सके.

सेक्सुअल हरासमेंट (Right against sexual harassment)

महिलाओं के साथ छेड़छाड़, यौन शोषण, यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं के लिए भी कानून है. इस कानून के तहत किसी सार्वजनिक स्थान पर किसी महिला को देखकर अश्लील गाने गाना सेक्सुअल हरासमेंट माना जाता है. इसके लिए 3 महीने की सजा या जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा किसी महिला या लड़की का लगातार पीछा करना भी सेक्सुअल हरासमेंट कहलाता है. इसके लिए दोषी को 3 से 5 साल की जेल हो सकती है. अगर कोई व्यक्ति महिला के इंकार करने पर उसे शारीरिक रूप से पीड़ित करता है और मानसिक रूप से परेशान करता है या फिर उसे समाज में बदनाम करता है तो उसके लिए 2 साल की सजा या जुर्माना तय है. किसी महिला की मर्जी के बिना उसकी फोटो खींचना भी एक अपराध है. फोटो खींचने और शेयर करने पर दोषी को 1 से 3 साल की सजा हो सकती है. वर्कप्लेस पर भी महिलाओं के साथ ऐसा कुछ होता है तो वे उसकी शिकायत कर सकती हैं.

मातृत्व संबंधी अधिकार (Right for pregnancy leave)

यदि कोई महिला किसी ऑफिस या संस्थान में काम कर रही है और वो गर्भवती है तो उसे मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत गर्भवती महिलाओं को 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलता है इसके लिए उनका वेतन काटा नहीं जाता है. ये अवकाश प्रसव के 8 सप्ताह पहले लिया जा सकता है. हालांकि कई जगह पर ये नियम लागू नहीं होता है. और कुछ कारणों में इसमें 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलता है.

पुलिस से संबन्धित अधिकार (Woman’s right for police FIR and investigation)

पुलिस का नाम सुनते ही सीधे-साधे लोग घबराने लगते हैं. महिलाएं भी घबरा जाती है. लेकिन अगर आपने कुछ गलत नहीं किया है तो आपको डरने की जरूरत नहीं है. अगर किसी मामले में पुलिस किसी महिला से पूछताछ करना चाहती है तो उसे पुलिस स्टेशन नहीं बुलाया जा सकता पुलिस उसके घर पर आती है वो भी महिला पुलिस के साथ. महिला चाहे तो पूछताछ के दौरान अपने साथ किसी निजी रिश्तेदार को रख सकती है. इसके अलावा यदि किसी महिला की गिरफ्तारी का वारंट निकला है तो उसे सूर्योदय से पहले और और सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.

जीरो एफ़आईआर (Zero FIR for Woman’s)

यदि किसी महिला के साथ शारीरिक शोषण या बलात्कार जैसा घिनौना कृत्य होता है तो उसके लिए उसके पास विशेष अधिकार होता है. महिला किसी भी पुलिस थाने में इसकी रिपोर्ट लिखवा सकती है. इस रिपोर्ट को वो चाहे तो घर बैठे किसी रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से भी भेज सकती है. इस तरह के केस में महिलाओं को मुफ्त में कानूनी सलाह भी मिलती है. इसके अलावा वे इस घटना के बीत जाने के कुछ समय बाद भी घटना की एफ़आईआर लिखवा सकती हैं.

इन्टरनेट पर सुरक्षा का अधिकार (Internet security for women)

आजकल लोग असली दुनिया से ज्यादा डिजिटल दुनिया में रहते हैं. डिजिटल दुनिया पर ही लोग एक दूसरे की तारीफ करते हैं, उन्हें ताना मरते हैं और बदनाम भी कर देते हैं. महिलाओं को लेकर ऐसा कई बार हुआ है. लेकिन महिलाओं के पास इन्टरनेट पर सुरक्षा को लेकर अधिकार है. अगर कोई व्यक्ति उनकी सहमति के बिना उनकी तस्वीर या विडियो इन्टरनेट पर अपलोड करता है तो इसके लिए वे केस कर सकती हैं. आपराधिक कानून अधिनियम 2013 की धारा 354 सी के तहत महिला की निजी तस्वीर को बिना अनुमति खींचना या साझा करना अपराध माना जाता है.

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By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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