Wed. Oct 9th, 2024

जीवन को समझने के लिए धर्म का मर्म समझना जरूरी है. एक तरह से जीवन के जटिल रहस्यों को धर्म की चाभी ही खोलती है. हिंदू धर्म में वेद जीवन के इसी रहस्य को सामने लाते हैं. जो वेेदों को जानता है, उसके सार को जानता है वह मुक्त है.

जीवन के इस जटिल रहस्य का असली मर्म है मुक्त हो जाना. जीवन ही हर गहराई और अंधेरे को धर्म की रौशनी से देखा जा सकता है.

कैसे समझें धर्म को?

जीवन के रहस्य धर्म से खुलते हैं. लेकिन सवाल धर्म को ठीक से समझने का है. क्या धर्म केवल कर्मकांड और अनुष्ठान भर है? दीपक जलाना, पूजा करना और ईश्वर के सामने अपनी इच्छाओं की पोटली खोलकर रख देना क्या यही धर्म है? नहीं.

हिंदू धर्म में केवल यही धर्म नहीं है. भक्ति और आस्था को अनुष्ठान से जोड़कर देखना एक सीमा तक ठीक है, लेकिन क्या फिर हमारी आस्था सूरदास, मीरा और तुलसी की है?

फिर क्या है धर्म?

दरअसल, ऐसे में सवाल यह उठता है कि धर्म क्या है? किसे धर्म कहा जाए? जिससे जीवन के रहस्य सामने आए. इस गूढ़ प्रश्न का उत्तर गीताकार देते हैं.

श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है- धारयति इति धर्मः, यानी की जिसे धारण किया जाए वही धर्म है. अब सवाल यह है कि धारण क्या किया जाए? हर व्यक्ति अपने कर्म के अनुसार और देश, काल और परिस्थिति और ज्ञान व अनुभव के मुताबिक जो धारण करता है वही उसका धर्म है.

कैसे जीवन के रहस्य खोलेगा धर्म

धर्म की परिभाषा बहुत व्यापक है. हर व्यक्ति का धर्म अलग है. लेकिन धर्म का नैतिकता से संबंध समाज को एक नियम में बांधता है. लेकिन धर्म का मूल अर्थ आत्मा को जानना है.

जानने की यही प्रक्रिया आध्यात्म से जुड़ती है. हम कौन है? हमने यहां क्यों जन्म लिया है? वेद, उपनिषदों और ब्राह्मण ग्रंथों का सार आत्मा को जानना है.

हमारे यही ग्रंथ हमें खुदको जानने की विधि बताते हैं. लेकिन धर्म का यह रास्ता केवल अकेले ही इस महायात्रा पर निकलने का नहीं है.

धर्म जीवन के रहस्यों को उजागर करने की चाभी तब बनता है जब गुरु रूपी मार्गदर्शक हमें मिलता है. याद रखें जीवन में धर्म तभी काम करता है जब वह आध्यात्म के रूप में धारण किया जाए.

आध्यात्म का अर्थ है खुदको जानना. उस आत्मा को जानना जो इस संपूर्ण ब्रह्मांड का सार है.

By विजय काशिव

ज्योतिषी

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *