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बैठे-बैठे काम करना और लगातार एक ही जगह पर बैठे रहने से हाथ-पैर में जकड़न और ब्लड सर्कुलेशन का होना आम बात है. ऐसे में जरूरी है कि शरीर की मसाज करवाई जाए. मालिश शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मसाज कई बीमारियों से बचने का बेहतर उपाया है.

दरअसल, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मालिश बेहद ज़रूरी है. रोजाना और सही ढंग से यदि आप मालिश करते हैं तो इससे आप कई रोगों से मुक्ति पा सकते हैं. मालिश शरीर को पुष्ट बनाकर मांसपेशियों को भी नवजीवन देता है. इसी कारण है कि जन्म के बाद से ही शिशुओं की व प्रसव के बाद कुछ दिनों तक स्त्रियों का मालिश कराया जाता है. 

कैसे करनी चाहिए मालिश (How to massage know scientific benefits) 

सबसे पहले तो मालिश के लिए एक स्वच्छ और आरामदायक कक्ष होना ज़रूरी है. दूसरी महत्वपूर्ण चीज है मसाज ऑयल का होना. हमेशा मालिश की शुरुआत तलवों से करें और पैरों से ऊपर की ओर जाएं. पीठ की मालिश करते समय नीचे से ऊपर की तरफ जाएं. पहले गर्दन और पीठ पर और फिर हाथों और बाजुओं की मालिश करें.

मालिश को सिर पर जाकर समाप्त करें. मालिश के लिए तेल उपयुक्त होने पर भी यदि मालिश करने का तरीका गलत है तो फायदे की बजाए हानि होने की आशंका रहती है. मालिश से शरीर को सीधे ही खुराक पहुंचती है. कमजोर व्यक्ति के लिए मालिश रामबाण दवा है. वहीं मोटापे से ग्रसित व्यक्ति भी मालिश से चर्बी कम कर सकते हैं.

बीमारियों व समस्याओं के मुताबिक करें मालिश (what is massage therapy)

मालिश कई तरह की होती है. जानकार आपकी बीमारी या समस्या के हिसाब से मालिश करने या कराने की सलाह देते हैं. जैसे कि शारीरिक रूप से कमजोर व दुबले-पतले व्यक्तियों के लिए तेल मालिश लाभदायक है. वहीं मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए सूखी व ठंडी मालिश लाभदायक होटी है.

जोड़ों के दर्द, पीठ दर्द, टांगों के दर्द, सायटिका व बच्चों के पोलियो आदि में गर्म मालिश लाभदायक है. यदि आप थकान दूर करन चाहते हैं तो भी सूखी मालिश, पाउडर या तेल से मालिश करवा सकते हैं. रोग विशेष में उस अंग की मालिश करने से लाभ होता है.

तनाव और डिप्रेशन को दूर करने में मालिश की अरोमाथेरेपी काफी कारगार सिद्ध होती है. इस अरोमा थैरेपी में विशेष प्रकार के तेलों के एसेंस का प्रयोग भी किया जाता है. जो नस-नाड़ियों की निर्जीवता को दूर करके मन-मस्तिष्क को शांति प्रदान व तरावट कर देते हैं. 

मालिश में किन तेलों का करें प्रयोग  (which is the best body massage oil) 

आयुर्वेद में मालिश करने के लिए विविध प्रकार के तेलों का प्रयोग करने को कहा गया है. शुद्ध सरसों के तेल को मालिश के लिए सबसे अच्छा माना गया है. हालांकि मौसम और ज़रूरत के मुताबिक भी मालिश के लिए तेल का चयन महत्वपूर्ण है. 

यदि आप किसी बच्चे को सर्दी से बचाने या फिर ठंड के मौसम में मालिश कर रहे हैं तो सरसों तेल में थोड़ी सी अजवाइन या लहसुन डालकर गुनगुना कर प्रयोग करें. वैसे मालिश के लिए तिल, जैतून, नारियल, बादाम रोगन व सरसों तेल लाभकारी होते हैं. मालिश से पहले तेल को थोड़ा गुनगुना कर ही प्रयोग में लाएं. 

एरोमा थेरेपी में खुशबू का भी महत्व 

एरोमा मसाज थेरेपी में चंदन, लैवेंडर, गुलाब या चमेली आदि के शुद्ध एसेंसियल ऑयल को मालिश करने वाले तेल के साथ मिलाया जाता है. जिससे मालिश करने वाले तेल में खुशबू आ जाए और एरोमा मसाज थेरेपी के बाद आपके मन-मस्तिष्क को ताजगी मिल सके. इससे तनाव को दूर करने में भी मदद मिलती है.

तेल में जड़ी-बूटियों का प्रयोग 

आयुर्वेद में किसी बीमारी को दूर करने के लिए जब मालिश की सलाह दी जाती है तो तेल को कुछ जड़ी-बूटियों के साथ उबाला जाता है. जिससे तेल में जड़ी-बूटियों के तत्व मिल जाएं और मरीज को मालिश के बाद लाभ मिल सके. जैसे मोटापा कम करने जैतून या तिल के तेल में नीम, अश्वगंधा, देवदारू और चंदन के एसेंशियल ऑयल को मिला कर प्रयोग किया जाता है.

जाने मालिश से होने वाले फायदे (what is the benefits of massage therapy)

मालिश हमारे शरीर से कई प्रकार के रोगों को दूर करने के साथ ही कई बीमारियों से सुरक्षा भी करता है. रोजाना मालिश करने से शरीर के विकार निकल जाते हैं और रक्त संचार ठीक होता है. इससे त्वचा भी सेहतमंद रहती है व मांसपेशियों की टोनिंग भी हो जाती है. साथ ही शरीर के जोड़ भी लचीले हो जाते हैं. 

मालिश से पाचन अंग अपना काम सुचारु रूप से कर पाते हैं और नाड़ी संस्थान को उत्तेजना मिलती है, जिससे शरीर की अन्य क्रियाओं का संचालन भी सही ढंग से हो पाता है. मालिश फेफड़ों, बड़ी आंत, गुर्दे और स्किन आदि को भी शक्तिशाली बनता है.

मालिश चर्बी को गलाकर मोटापा कम करने के साथ ही रोमकूप विकसित करने करने में भी सहायक सिद्ध होता है. मांसपेशियों को सुदृढ़ कर पुरानी बीमारियों को ठीक करने में भी मालिश का सहारा लिया जाता है. शारीरिक रूप से कमजोर या व्यायाम न कर पाने वाले लोग भी मालिश से स्वास्थ्य लाभ ले हैं. 

मालिश करते समय सावधानी भी ज़रूरी  (what is disadvantages of massage therapy)

मसाज करते समय आपको कुछ सावधानियां विशेष रूप से बरतना चाहिए, ताकि आपको आराम मिल सके और कोई नुकसान न हो. शरीर पर किसी भी तरह की चोट लगी होने पर मालिश न करें. मालिश के लिए साफ कमरा चुने एकदम खुले स्थान पर भी मालिश नहीं करनी चाहिए. 

मालिश करते हुए हड्डियों और जोड़ों पर अधिक नहीं डालना चाहिए. इसी तरह रीढ़ की हड्डी के दाएं-बाएं ही मालिश करें. मालिश करते समय जितनी जरूरत हो उतने ही वस्त्र पहनें. बच्चों, वृद्धों व कमजोर व्यक्तियों की मालिश हलके हाथ से करें.

(नोट : यह लेख आपकी जागरूकता, सतर्कता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि किसी बीमारी के पेशेंट हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.)

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