Tue. Nov 5th, 2024

मसाज या मालिश जीवन शक्ति है जो पुनर्यौवन के लिए बहुत जरूरी है. इसे काफी हद तक जहां तक हाथ पहुंच सके और क्षमता काम दे सके, वहां तक स्वयं करने का कुछ नियम बना लेना अच्छा होता है. बीमारी होने पर बिस्तर पर लेटे-लेटे भी हाथ-पैरों को चलाने या मालिश करने जैसी क्रिया की जा सकती है. जिनको  सहयोग मिल सकता हो, वे अपनी मालिश दूसरों से भी करा सकते हैं.

क्यों जरूरी है मालिश

कई व्यक्ति मालिश इसलिए नहीं करना चाहते कि उनके कपड़े और बिस्तर ऑइल के कारण मैले हो जाएंगे. कमजोर व्यक्तियों की मालिश का तरीका वैसा ही होना चाहिए जैसे छोटे बच्चे की मांसपेशियां हिलाने-डुलाने के लिए उनकी माता काम में लाती है. यह तरीका वृद्ध व्यक्तियों के लिए भी काम में लाया जा सकता है. कम तेल लगाने से वह रगड़ने पर चमड़ी में ही सूख जाता है, जबकि अधिक तेल लगाने के बाद साबुन और गर्म पानी से नहाने से चिकनाई का असर नहीं रहता.

कैसी होनी चाहिए मसाज?

सूखी मालिश के लिए पिसा हुआ सीप स्टोन काम में लाया जा सकता है. कमजोर शरीर के व्यक्तियों के लिए  अधिक दबाव की मालिश उपयुक्त नहीं होती. उनके लिए सारे शरीर की मांसपेशियों में उत्तेजना भर देना काफी होता है. आमतौर से मालिश करते हुए छोरों को हृदय की ओर हाथों को चलाया जाता है पर दांयें-बांयें ऐंठने-मरोड़ने की क्रिया में कोई हर्ज नहीं. मालिश का उद्देश्य यही होता है कि मांसपेशियों की जड़ता दूर हो और उनमें हलचल पैदा हो जिससे रक्त संचार तेजी से हो सके और फेफड़े, गुर्दे, जिगर, पेट, हृदय आदि में सक्रियता आ सके.

Image Source:pixabay.com

कैसे शुरू हुई मालिश

विदेशों में मालिश के विज्ञान का विधिवत् विकास हुआ है और कौशलों का शिक्षण देने के कई केन्द्र स्थापित किये गये हैं. ईसा से 500 वर्ष पूर्व ‘हिप्पोक्रेटस‘ ने मालिश की कला का विकास किया था. कोलंबिया के मारेक ने अपने   शोध ग्रंथ ‘दि बुक ऑफ मसाज‘ में इस विषय पर बहुत गहराई से चर्चा की और उन लोगों के विषय में लिखा जो इस आधार पर रोगमुक्त हुए और बलिष्ठ बने.

मालिश के बारें में क्या कहते हैं डॉक्टर

विख्यात डॉ. वर्गसन की मानें तो शारीरिक एनाटॉमी में रक्त नलिकाओं और तंत्रिका तंतु के अलावा एनर्जी चैनल्स भी होते हैं जिनमें प्राण ऊर्जा का आवागमन होता रहता है. इसके प्रवाह में रुकावट आने पर स्वास्थ्य गड़बड़ाने लगता है और प्राण-प्रवाह अपने मार्ग में सहजता से बहने लगता है.

स्वीडन मैं हैंसिक, जापान में सियात्सु नामक मालिश की पद्धति काफी प्रचलित है. अमेरिका में भी मालिश से रोगों की चिकित्सा सिखाने के कई शिक्षण केन्द्र चलाये जा रहे हैं. मालिश एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके  माध्यम से पुनर्यौवन की प्राप्ति सहज ही की जा सकती है. 

By आनंद कुमार अनंत

लेखक और पत्रकार.

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *