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आकाश में 0 डिग्री से लेकर 30 डिग्री तक के भाग को मेष राशि (Mesh rashi) के नाम से जाना जाता है. जिस जातक (Mesh lagna) के जन्म के समय ये भाग आकाश के पूर्वी क्षितिज में रहता है उस जातक का लग्न मेष माना जाता है. यह अग्नितत्व वाली राशि मानी गई है और इस राशि का स्वामी मंगल है. इस राशि का रंग लाल है इसलिए इनमें तीव्रता अधिक होती है और ऊर्जावान होते हैं.

मेष लग्न में चंद्र (Mesh lagna me chandra)

मेष लग्न में मन का स्वामी चंद्र चतुर्थ भाव का अधिपति होता है. मेष लग्न में चंद्र की स्थिति उसकी माता, भूमि, वाहन, मित्र, शांति, संपत्ति, दया, परोपकार, छल-कपट, आर्थिक स्थिति, प्रेम, अफवाह, आरोप, विवाह आदि को दर्शाता है. इसमें चंद्रमा की कमजोर तथा बलशाली स्थिति ये तय करती है कि इन चीज़ों में उसे सुख प्राप्त होगा या दुख.

मेष लग्न में सूर्य (Mesh lagna me surya)

मेष लग्न में सूर्य पंचम भाव का स्वामी होता है. ये मेष लग्न के जातक की बुद्धि, आत्मा, स्मरण शक्ति, विद्या ग्रहण करने की शक्ति, आत्मविश्वास, प्रबंध कुशलता, भगवान की भक्ति, देश भक्ति की भावना, नौकरी का त्याग, धन मिलने की युक्ति, जुआ, लॉटरी, सट्टा, पुत्र संतान, व्रत, स्वभाभिमान, अंहकार के बारे में बताता है. कुंडली में सूर्य की स्थिति अच्छी और बुरी होने के अनुसार ही उसे इन चीज़ो में फल की प्राप्ति होती है. अगर मेष लग्न में सूर्य कमजोर स्थान पर है तो उसे इन चीज़ों में कम फल मिलेगा.

मेष लग्न में मंगल (Mesh lagna me mangal)

मेष लग्न में मंगल प्रथम तथा अष्टम भाव का स्वामी होता है. इसके अनुसार रूप, शारीरिक चिन्ह, जाति, शरीर, आयु, सुख-दुख, विवेक, बुद्धि, व्यक्ति का स्वभाव, शारीरिक आकृति और जीवन का संपूर्ण व्यक्तित्व तय हाता है. इसमें मंगल की स्थिति अच्छी जगह पर होने से इन सभी चीज़ों में उसे सुख मिलता है. मंगल के अष्टमेष होने के नाते मंगल व्याधि, जीवन, आयु, मृत्यु का कारण, मानसिक चिंता, नास्तिक विचार धारा, ससुराल, दुर्भाग्य, दरिद्रता, आलस्य, जेल यात्रा, अस्पताल, शारीरिक अक्षमता, भूत-प्रेत, जादू-टोना, जीवन के सभी दुख तय करता है. इन सभी फलों का अध्ययन मेष लग्न में मंगल के अष्टम में होने से किया जाता है.

मेष लग्न में शुक्र (Mesh lagna me shukra)

मेष लग्न में शुक्र दूसरे और सातवे भाव का स्वामी होता है. यह धन और कुटुंब के बारे में बताता है. साथ ही यह आपके विवाह के बारे में भी बताता है. मेष लग्न वालों को अगर इन सभी चीज़ों के बारे मे जानना है तो उसे अपनी कुंडली में शुक्र के स्थान को जरूर देखना चाहिए और उसका अध्ययन करना चाहिए. इन सभी के अलावा आपका कुल, आंख, नाक, गला, कान, स्वर, आभूषण, स्त्री, कामवासना, चोरी, झगड़े, व्यापार इन सभी बातों का फल भी शुक्र की स्थिति ही तय करती है.

मेष लग्न में बुध (Mesh lagna me budh)

मेष लग्न में बुध तीसरे भाव का स्वामी होता है. बुध नौकर, सहोदर, क्रोध, भ्रम लेखन, कंप्यूटर, अकाउंट्स, मोबाइल, पुरूषार्थ, साहस, शौर्य, योगाभ्यास, गुलामी आदि चीजों का प्रतिनिधित्व करता है. अगल आपकी राशि में बुध शक्तिशाली स्थान पर है तो यह आपके लिए शुभ फलों में वृद्धि करेगा. जबकि कमजोर बुध आपके जीवन में पाप प्रभाव वाले कारकों का प्रतिनिधित्व करेगा.

मेष लग्न में गुरू (Mesh lagna me guru)

मेष लग्न में बृहस्पति का स्थान नवे भाव में होता है. ये धर्म, पुण्य, भाग्य, गुरू, ब्राह्मण, देवता, तीर्थ यात्रा, भक्ति, मानसिक वृत्ति, भाग्योदय, शील, तप, प्रवास, पिता का सुख, तीर्थयात्रा, दान, पीपल इत्यादि का प्रतिनिधित्व करता है. बृहस्पति की बलशाली स्थिति इन सभी चीज़ों में अच्छा फल देती है.

मेष लग्न में शनि (Mesh lagna me shani)

मेष लग्न में शनि दसवें स्थान का अधिपतिहोता है. ये मान, प्रतिष्ठा, कर्म, पिता, प्रभुता, व्यापार, अधिकार, हवन, अनुष्ठान, ऐश्वर्य भोग, कीर्तिलाभ, नेतृत्व, विदेश यात्रा, पैतृक संपत्ति इत्यादि का प्रतिनिधित्व करता है. अगर आपकी राशि में ये ग्यारहवे स्थान पर है तो ये लोभ, स्वार्थ, गुलामी, संतान हीनता, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, बेईमानी आदि का प्रतिनिधित्व करता है.

मेष लग्न में राहु (Mesh lagna me rahu)

राहु छठे भाव का अधिपति होता है. ये रोग, कर्ज, शत्रु, अपमान, चिंता, शंका, पीड़ा, झूठ, योगाभ्यास, जमींदारी, साहुकारी, वकालत, व्यसन, ज्ञान, बुरे व्यसन आदि के फलों के लिए जिम्मेदार होता है. इसमें अगर राहु आपकी राशि में शुभ प्रभाव युक्त है तो शुभ फल देगा और अशुभ प्रभाव वाला है तो अशुभ फल देगा.

मेष लग्न में केतु (Mesh lagna me ketu)

मेष लग्न में केतु बारहवे भाग का अधिपति होता है. ये निद्रा, यात्रा, हानि, दान, व्यय, दंड, मूर्छा, मोक्ष, विदेश यात्रा, भोग, ऐश्वर्य, परस्त्री गमन, फालतू घूमना जैसी चीजों के लिए जिम्मेदार होता है. आपकी राशि में केतु की बलशाली स्थिति तय करती है कि इन सभी चीजों में आप कैसे होंगे.

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By विजय काशिव

ज्योतिषी

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