Wed. Apr 24th, 2024

पूरी दुनिया में अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं और इन अपराधों के बढ्ने की वजह से सरकार ने इन अपराधों को लेकर नियम-कानून भी सख्त किए हैं. अपराधी कई बार पकड़े जाने पर पुलिस को सब सच-सच बता देता है लेकिन कभी-कभी अपराधी काफी कट्टर किस्म का होता है और कुछ बताता नहीं इस अवस्था में पुलिस अपराधी का नार्को टेस्ट (Narco test) लेती है और उससे सच उगलवाती है.

नार्को टेस्ट क्या है? (What is narco test)

नार्को टेस्ट एक तरीके का साइकोलोजिकल टेस्ट है. इसमें अपराधी को कुछ विशेष प्रकार की दवाई दी जाती है जिससे की वो बेहोशी और होश के बीच में रहता है मतलब कुछ समय के लिए उसकी सोचने की क्षमता कम हो जाती है(Brain fingerprinting). ऐसी स्थिति में ये चांस रहता है की अपराधी अब सच ही बोलेगा. हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं है की वो सच बोले लेकिन माना जाता है की इन दवाई के इस्तेमाल से उसकी सोचने की क्षमता खत्म हो जाती है और वो झूठ बोलने के लिए उस समय दिमाग नहीं लगा पाता.

नार्को टेस्ट कैसे होता है? (Narco test procedure)

नार्को टेस्ट करने के लिए सबसे पहले तो अपराधी का मेडिकल किया जाता है. उसके शरीर के हिसाब से कितनी दवाई देनी है ये तय किया जाता है. नार्को टेस्ट करते समय वह पर इंवेस्टिगेशन अधिकारी, डॉक्टर, फोरेंसिक एक्सपेर्ट, सायकोलोजिस्ट रहते हैं.

इसमे सबसे पहले तो अपराधी का मेडिकल करने के बाद उसे सोडियम पेंटोथोल नामक दवा जिसे ट्रुथ दृग भी कहते हैं (Which chemical is used in narco test?) का इंजेक्शन दिया जाता है. इंजेक्शन देने के बाद अपराधी ऐसी अवस्था में पहुच जाता है जहां वो ज्यादा सोच नहीं पाता. उससे जो पूछा जाता है वो सिर्फ उसका जवाब देता है. यहा पर अगर वो झूठ बोलना चाहे तो भी नहीं बोल पाता क्योंकि दवाई के असर से वो झूठ के बारे में सोच ही नहीं पाता.

नार्को टेस्ट करने के दौरान सभी लोग अलग-अलग नजरिए से अपराधी पर नजर रखते हैं. कोई उसकी मानसिक स्थिति को देखता है तो कोई उसके शरीर के हावभाव के देखता है. इन सभी परीक्षण के आधार पर ही नार्को टेस्ट का रिजल्ट तैयार किया जाता है.

कौन करता है नार्को टेस्ट का प्रयोग? (Is narco test legal in India?)

छोटे-मोटे केस जैसे चोरी, डकैती, लूटपाट आदि के लिए कभी नार्को टेस्ट नहीं किया जाता. इसमें पुलिस ही इनका पता लगा लेती है. लेकिन कई बार बम ब्लास्ट करने वाली आरोपी जो अपने गुनाह नहीं कबूलते या फिर किसी इन्फोर्मेशन के लिए नार्को टेस्ट का प्रयोग देशों की क्राइम एजेंसियां और सुरक्षा एजेंसियां करती हैं.

नार्को टेस्ट बहुत ही कम परिस्थितियों में किया जाता है. अगर नार्को टेस्ट की दवा का ज्यादा डोज़ दिया जाए तो इसे लेने वाला कोमा में तक जा सकता है क्योंकि इसकी दवा सीधे आपके दिमाग पर हमला करती है और इसके असर से आपका आपके दिमाग पर ही काबू नहीं रहता है.

By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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