Wed. Apr 24th, 2024
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एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश में अभी करीबन दो करोड़ घरों के निर्माण की ज़रूरत है और इसके लिए  सरकार साल 2022 तक देश में ज़रूरतमंदों को करीब 2 करोड़ घर मुहैया कराने का लक्ष्य लेकर भी चल रही है. इस ज़रूरत को पूरा करने में रियल एस्टेट सेक्टर की बड़ी भूमिका है और इसी कारण यह सेक्टर तेजी के साथ उभर रहा है.

जॉब से लेकर कमाई तक के अवसर  (Real estate business and jobs in India)

देश की मेट्रो से लेकर टियर टू सिटीज में रियल एस्टेट सेक्टर की पहुंच काफी हद तक हो गई है. यह सेक्टर जॉब और कमाई दोनों के लिए ढेरों मौके उपलब्ध करवाता है. रियल एस्टेट से जुड़कर पैसा कमाने के लिए आपको बड़े इन्वेस्टमेंट की भी ज़रूरत नहीं है. आप अपनी कंसल्टिंग फर्म शुरू करने के साथ ही सेक्टर में जॉब भी कर सकते हैं.

घर से शुरू कर सकते हैं कंसल्टिंग फर्म (real estate consulting firm business plan)

कंसल्टिंग फर्म शुरू करने के लिए आपको तीन से चार लोगों की टीम और करीब 50 हजार रुपए की आवश्यकता होगी. अपने घर से ही कंसल्टिंग फर्म का ऑफिस शुरू किया जा सकता है. इसके लिए आपको टेलीफोन कनेक्शन, कंम्प्यूटर या लैपटॉप के साथ ही इंटरनेट कनेक्शन की ज़रूरत होगी.

रियल स्टेट बिजनेस के लिए चुने  अच्छे बिल्डर्स (How to Start a Real Estate Business)

ऑफिस शुरू करने के साथ ही आपको बिल्डर्स का भी चुनाव करना ज़रूरी है. जिन बिल्डर्स को आप काम करने के लिए चुनें उनकी मार्केट में अच्‍छी होनी चाहिए. बिल्डर्स का चयन कर उनके प्रोजेक्‍ट को भी जान लें. इससे आपको सेल या कंसल्टिंग देने में हेल्प मिलेगी.

कैसे बनाएं  बिल्डर्स के बीच नेटवर्क  (how to use real estate agent work)

प्रोजेक्ट्स की पूरी जानकारी और नामी बिल्डर्स के साथ जुड़ने से आपको कम प्रयास में ही काफी खरीददार मिलेंगे. खरीदारों को तलाशने में आप अपने नेटवर्क का भी भरपूर उपयोग करें. अपने फ्रेंड सर्कल के साथ ही रिलेशन में घर या प्लॉट खरीददारों को भी तलाशें.

किसी भी स्टेट एजेंट को जो काम करने होते हैं उनमें प्रापर्टी तलाशना, ओनर से प्रापर्टी की डील करना, ग्राहक ढूढ़ना, खरीददार को प्रॉपर्टी दिखाने के साथ ही प्रॉपर्टी का रखरखाव कराने की भी ज़िम्मेदारी होती है. रेंट पर दिलाई जाने वाली प्रापर्टी की डील फाइनल होने पर rent agreement तैयार कराना और ज़मीन बिकने पर रजिस्ट्री करवाना भी एजेंट का ही काम होता है.

इसके साथ ही किराये पर दिलाई गई प्रॉपर्टी जैसे मकान या दुकान के खाली होते वक़्त उसमें किसी तरह का नुकसान तो नहीं हुआ इसको भी चेक करना स्टेट एजेंट का ही काम होता है. प्रॉपर्टी डीलर को रेंट पर दी गई प्रापर्टी के बिजली बिल और हाउस टैक्स को भी अदा करना होता है.

(नोट: यह लेख आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि आप रियल एस्टेट इंडस्ट्री में करियर बनाना चाहते हैं तो किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)

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