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RTE Act 2009 in Hindi : राइट टू एजुकेशन क्या है, बच्चों का फ्री एडमिशन कैसे होता है?

नोबल प्राइस विजेता नेल्सन मंडेला ने कहा है “शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं.” शिक्षा हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इससे उसकी समझ और बौद्धिक क्षमता विकसित होती है और वो दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता है.

भारत में हर बच्चे को शिक्षा मिले इसके लिए ‘शिक्षा का अधिकार’ (Right to Education) लाया गया. इसमें बच्चे को निशुल्क शिक्षा (Free Education Law in India) देने के प्रावधान है. हर बच्चा शिक्षित हो यही Right to education का उद्देश्य है.

Right to Education क्या है? (What is Right to Education?)

भारत में सरकारी स्कूल सालों से हैं. इनमें पढ़ाई का स्तर कैसा है ये भी सब जानते हैं. स्कूल सरकारी हो या प्राइवेट हो सभी में आपको बच्चों को पढ़ाने के लिए फीस देनी पड़ती है लेकिन RTE Act एक ऐसा एक्ट है जो आपके बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भी मुफ्त शिक्षा लेने का अधिकार देता है.

4 अगस्त 2009 को भारतीय संसद ने एक अधिनियम पारित किया जिसे राइट तो एजुकेशन एक्ट 2009 कहा गया. यह सम्पूर्ण भारत में 1 अप्रैल 2010 से प्रभावी हुआ. इस अधिनियम के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया गया. इसके तहत प्राइवेट स्कूल में भी गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया गया.
इस कानून को शिक्षा का अधिकार यानी राइट तो एजुकेशन कहा गया. इसे मौलिक अधिकार के रूप में परिभाषित किया गया है. संविधान के अनुच्छेद 21 में इसका उल्लेख है.

Right to education के प्रमुख प्रावधान (Important Rules of RTE Act 2009)

राइट तो एजुकेशन को अच्छे से समझने के लिए इसके प्रावधान को समझते हैं.

1) इसके अंतर्गत देश के सरकारी स्कूल में 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया गया है.

2) इसके तहत प्राइवेट स्कूलों में भी 6 से 14 वर्ष के गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है. स्कूलों को 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देनी होगी. यदि वे नियम को नहीं मानते हैं तो उन्हें वसूली गई फीस का 10 गुना से भी अधिक जुर्माना भरना होगा और उनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है.

3) राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत स्कूल में बच्चों के लिए स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छ शौचालय होना चाहिए. ये सभी सुविधाएं स्कूल बच्चों को मुफ्त मुहैया कराएगा.

4) आरटीई एक्ट में विकलांग बच्चों का भी विशेष ध्यान रखा गया है. विकलांग बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की अधिकतम उम्र 18 वर्ष राखी गई है.

5) राइट टू एजुकेशन एक्ट में शिक्षकों का भी उल्लेख किया गया है. इसमें कहा गया है कि कोई भी सरकारी शिक्षक स्कूल के अलावा अपना खुद का प्राइवेट ट्यूशन नहीं चला सकता.

RTE Admission के लिए पात्रता (Eligibility for RTE Free Admission)

गरीब और पिछड़े वर्ग के माता-पिता अपने बच्चों का एडमिशन अपने नजदीकी स्कूलों में RTE के तहत निशुल्क करवा सकते हैं. बस इसके लिए कुछ पात्रताओं का ध्यान रखना होगा.
– आरटीई के तहत बच्चे की उम्र 6 वर्ष से 14 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
– परिवार की आय 3.5 लाख रुपये सालाना या उससे कम होनी चाहिए.
– माता-पिता के पास गरीबी रेखा से नीचे के दस्तावेज़ होने चाहिए. जैसे बीपीएल राशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र आदि.

इन सभी के आधार पर बच्चों को आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूल में मुफ्त एडमिशन दिया जाएगा और पूरे वर्ष की फीस भी नहीं ली जाएगी.

RTE Admission कैसे होता है? (How to take admission by RTE Act?)

RTE के तहत एडमिशन के लिए हर साल आप राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफ़िकेशन के अनुसार एडमिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इनके एडमिशन के लिए आपको ऑनलाइन अप्लाई करना होता है.

अप्लाई करने के बाद आपके सभी दस्तावेज़ जाँचे जाते हैं और योग्य होने पर आपके बच्चे को प्राइवेट स्कूल में मुफ्त एडमिशन मिलता है. इसके साथ ही उसकी सालभर की स्कूल फीस और स्कूल के अन्य खर्चे माफ होते हैं.

इस एक्ट के तहत स्कूल की 25 प्रतिशत सीट पर ही आरटीई के तहत एडमिशन दिया जाता है. यदि कोई स्कूल एडमिशन देने से मना करता है तो आप उसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं और कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं.

हर बच्चे को बेसिक मुफ्त शिक्षा मिले यही इस कानून का उद्देश्य है. ये एक मौलिक अधिकार है इसलिए हर माता-पिता को अपने बच्चों को 6 से 14 वर्ष की उम्र में पढ़ाना चाहिए. यदि आप प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ा पा रहे हैं तो सरकारी स्कूलों में पहली से आठवी तक मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है. इसके बाद की शिक्षा भी काफी कम फीस में सरकारी स्कूलों में दी जाती है. अपने बच्चों को शिक्षित करें और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करें.

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By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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