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फूँक को ‘थूक’ कहने पर छिड़ी बहस, जानिए क्या है इस्लाम में फूँक का रिवाज

shahrukh khan spitting

लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार के मौके पर श्रद्धांजलि देने कई कलाकार और प्रमुख हस्तियां आईं. इनमें बॉलीवुड के शाहरुख खान और उनकी मैनेजर पूजा ददलानी भी पहुंची. दोनों ने लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर के पास पहुँचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. जिसके बाद ट्विटर से लेकर हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बहस छिड़ गई. 

शाहरुख का ‘थूक’ विवाद (Shahrukh Khan Spitting Controversy) 

इस कांट्रोवर्सी को थूक विवाद के नाम से कहा जा रहा है. असल में जब शाहरुख और पूजा ददलानी लता मंगेशकर जी के पार्थिव शरीर के पास उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो पूजा ददलानी ने अपने दोनों हाथ जोड़कर लता जी के लिए प्रार्थना की.

वहीं शाहरुख खान ने अपने इस्लामिक रिवाज में दोनों हाथ खोलकर लता जी के लिए दुआ की. दुआ खत्म होते ही उन्होने मास्क हटाकर फूंक दी. जिसे ट्विटर पर कहा जा रहा है कि क्या शाहरुख ने थूका है?

किसने किया शाहरुख का विवादित ट्वीट? (Spitting Controversy Tweet) 

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी हरियाणा के आईटी सेल के प्रभारी अरुण यादव ने इस विवाद को हवा दी. अरुण यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा ‘क्या इसने थूका है?’ इसके साथ ही अरुण यादव ने वो वीडियो भी शेयर किया था जिसमें वे फूंकते दिख रहे हैं. इस ट्वीट के शेयर करते ही ट्विटर पर बहस छिड़ गई.

फूंक को थूक का नाम देकर शाहरुख को ट्रोल किया जाने लगा. लेकिन इस विवाद में कई जाने-माने चेहरे कूद उठे और उन्होने अरुण को सबक सिखाते हुए कई ट्वीट किए.

लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते समय शाहरुख खान और पूजा ददलानी की जो तस्वीर सामने आई है उसकी भी काफी प्रशंसा की जा रही है. एक तरफ ‘दुआ’ तो दूसरी तरफ ‘प्रार्थना’. इस तस्वीर को भारत की असली तस्वीर कहकर लोग तारीफ कर रहे हैं.

इस्लाम में फूंक का महत्व (Foonk Ritual in Islam) 

शाहरुख खान की फूंक को थूक कहकर उन्हें ट्रोल करने की नाकाम कोशिश की गई. हालांकि शाहरुख ने जो किया वो बिलकुल सही था. इस्लाम में फूंक का रिवाज है. और शाहरुख ने बिलकुल सही ढंग से इस रिवाज को निभाया. 

इस्लाम में किसी भी नुकसान पहुंचाने वाले चीज से महफूज करने के लिए, मुसीबत से निजात दिलाने के लिए या बेहतर सेहत और भविष्य की दुआ के लिए फूंक मारना एक आम तरीका है. 

कोई भी मुसलमान जब किसी का भला करना चाहता है तो  उसे फूंक मारता है. फूंक मारना सिर्फ मुंह से हफ मारना नहीं है बल्कि इसमें इस्लाम की सबसे पवित्र किताब कुरान की आयतें होती हैं जिन पर लोगों को भरोसा होता है. वो फूंक के जरिये इन आयतों को दूसरे व्यक्ति के शरीर पर फूंकता है. इसे एक पवित्र काम माना गया है. 

पार्थिव शरीर पर फूंक का रिवाज 

पार्थिव शरीर पर फूंक मारने का रिवाज नहीं मिलता है. आमतौर पर कोई व्यक्ति दुनिया से चला जाता है तो उसके लिए दुआ की जाती है. जैसे शाहरुख ने की. इसे गुजर जाने वाले व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इस दौरान शांति की कामना की जाती है. गुजर जाने वाले व्यक्ति के लिए मांगी गई दुआ के बाद फूंक का चलन इस्लाम में नहीं है लेकिन फिर भी यदि किसी व्यक्ति से ऐसा हो जाता है तो उसे बुरा काम नहीं माना गया है. ये एक नेक काम ही है जिसका महत्व आप समझ चुके हैं.

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