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Shani sade sati : शनि की साढ़े साती व ढैया, चरण, प्रभाव, उपाय

ज्योतिष के शनिदेव को 9 ग्रहों में न्याय का देवता माना जाता है.ज्योतिष के शनिदेव को 9 ग्रहों में न्याय का देवता माना जाता है.

शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है. कई लोगों से आपने सुना होगा और पढ़ा भी होगा ही की शनि की साढ़े साती (shani sade sati) आती है जो बहुत खराब रहती है. कई लोग ये भी कहते हैं की ये अच्छी होती है. वैसे अच्छे-बुरे के बारे में जानने से पहले ये जानना जरूरी है की शनि की साढ़े साती या शनि की ढैया (shani dhaiya) क्या होती है? शनि की साढ़े साती कितने समय (shani sade sati period) की होती है? शनि की साढ़े साती के कितने चरण (shani sade sati pahse) होते हैं? शनि की साढ़े साती के उपाय (shani sade sati remedies) क्या हैंं?

शनि की साढ़े साती क्या है?

भारतीय ज्योतिष के हिसाब से नौ ग्रह हैं और उनमें से एक है शनि. सभी ग्रह समय-समय पर अपनी जगह राशियों में बदलते रहते हैं. सभी की तरह शनि भी अपनी जगह राशियों में बदलता है. शनि के राशि में स्थान बदलने का तरीका थोड़ा अलग होता है जिसे शनि की साढ़े साती (shani sade sati) कहा जाता है.

दरअसल, शनि राशि में भ्रमण के दौरान जन्मकालीन चन्द्र से बारहवेंं भाग में प्रवेश करता है तो उसे शनि की साढ़े साती का आरंभ माना जाता है. इसके तीन चरण होते हैं.

शनि की साढ़े साती कितने समय की होती है?

शनि की साढ़े साती सात (shani sade sati period) साल 6 महीने की होती है इसलिए इसे साढ़े साती कहा जाता है. साढ़े सात साल एक एक चक्र में शनि ग्रह राशियों में भ्रमण करता है. उसके ये साढ़े सात साल 3 भागों में बटे होते हैं जिन्हें शनि की ढैया कहते हैं. ढैया का मतलब ढाई साल से होता है. शनि किसी एक राशि में ढाई साल तक रहता है और उस राशि से जुड़े व्यक्ति को प्रभावित करता है.

शनि की साढ़े साती के चरण

शनि की साढ़े साती के (shani sade sati phase) तीन चरण होते हैं जिनके प्रभाव अलग-अलग होते हैं. इन तीनों चरणों में शनि अपना स्थान बदलता रहता है. शनि की साढ़े साती के तीन चरण निम्न हैं

शनि साढ़े साती उदय चरण

इसे शनि की साढ़े साती का शुरुवाती दौर (shani sade sati starting phase) कहा जाता है. इस दौरान शनि चन्द्र से 12वें भाग में होता है. ये चरण आमतौर पर आर्थिक हानि, छुपे हुए दुश्मनों से नुकसान, बिना मतलब की यात्रा, विवाद और गरीबी को दर्शाता है.

इस कालखंड में आपके जीवन में कई तरह की परेशानियांं आ सकती है. इससे आपका काम, आपकी पर्सनल लाइफ, सबकुछ प्रभावित हो सकता है. लेकिन ये समय आपके सीखने का भी होता है क्योंकि ये जिंदगी की चुनौती वाला समय होता है जिसमें यदि आप सीखते हैं तो आपको अच्छा फल जरूर मिलता है. ऐसे समय में कोई भी जोखिम वाला काम करने का खतरा न उठाएंं.

शनि साढ़े साती शिखर चरण

शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण (shani sade sati second phase) आपके लिए और भी मुश्किल भरा होता है. पहले चरण में जहां दूसरे आपको नुकसान पहुचाते हैं वहीं इस चरण में आपका स्वास्थ्य और दिमाग दोनों प्रभावित होता है.

इसमें शनि स्वस्थ्य संबंधी समस्या, चरित्र हनन की कोशिश, रिश्तों में दरार, मानसिक अशांति और दुख की ओर संकेत करता है. इस चरण में होने पर आप सफलता पाने में कठिनाई महसूस करते हैं. आप इस समय में कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन आपको फल नहीं मिलता. आप खुद को बंधा हुआ महसूस करते हैं. आपकी सेहत आपका साथ नहीं देती. इस स्थिति में आपको धैर्य से काम लेना चाहिए क्योंकि इस समय के निकाल जाने के बाद ही आपको किए गए काम का परिणाम मिलेगा.

शनि साढ़े साती अस्त चरण

शनि की साढ़े साती का आखिरी चरण (shani sade sati end phase) आपके लिए थोड़ा राहत भरा हो सकता है क्योंकि आप पिछले दो चरण में काफी कुछ झेल चुके हैं और अब इससे कम झेलने वाले हैं.

इस आखिरी चरण में आपको व्यक्तिगत और वित्तीय परेशानियांं आ सकती हैं. इस दौरान आप पर आर्थिक दबाव भी देखा जा सकता है. ऐसी स्थिति में आपको उत्साह के साथ परिस्थितियों का सामना करने की जरूरत है नहीं तो बड़ी परेशानियांं भी पैदा हो सकती हैं. अपने घर में, बिजनेस में या नौकरी में होने वाले आर्थिक मामलों को सूझ-बूूझ के साथ हल करें.

शनि साढ़े साती के उपाय

शनि की साढ़े साती ज़िंदगी में कई तरह के बदलाव लेकर आती है. इसके अधिकतर फल बुरे (shani sade sati remedies) होते हैं लेकिन कुछ लोगों के लिए ये अच्छी भी होती है. अगर किसी की जिंदगी में साढ़े साती के बुरे प्रभाव नजर आ रहे हैं तो उसे शनि की साढ़े साटी के उपाय करना चाहिए.

– शनि की साढ़े साती से बचने के लिए आपको शनि महाराज को प्रसन्न करना चाहिए. इस समय शनि का दान, मंत्र जाप, पूजन करने से काफी राहत मिलती है.

– शनि को शांत रखने के लिए शनि बीज मंत्र की कम से कम तीन मालाएँ अवश्य करनी चाहिए और मंत्र जाप से पहले संकल्प जरूर करना चाहिए. शनि बीज मंत्र – “ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:”

– जब किसी दिन शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र हो रहा हो तो शमी की जड़ को काले धागे में बांध कर अभिमंत्रित करके धारण करने से भी लाभ मिलता है.

– शनि देव से संबन्धित वस्तुएं जैसे तेल, लोहा, काली मसूर, काले जूते, काले तिल, कस्तुरी आदि दान करे से भी राहत मिलती है.

– किसी भी शनिवार से शुरू करके लगातार 43 दिन तक हनुमान जी के मंदिर में सिंदूर, चमेली का तेल, लड्डू और एक नारियल चढ़ना चाहिए.

– सुंदरकाण्ड का पाठ करने के बाद हनुमान चालीसा और श्रीहनुमाष्ठक का पात करने से भी शनि से मिलने वाले कष्ट कम होते हैं.

इन सभी के अलावा यदि आप इन चीजों में मानते हैं तो अपनी कुंडली ज्योतिष को दिखवा सकते हैं. वो आपको बताएंगे की आपकी राशि में शनि की साढ़े साती है या नहीं और आपको इसके लिए क्या उपाय करना है. हो सकता है की ज्योतिष की सलाह से आप शनि की साढ़े साती से राहत पाएंं. 

 

पंडित विजय कुमार काशिव पेशेवर ज्योतिषी हैं और मप्र के हरदा जिले में रहते हैं. वे पिछले 20 सालों से ज्योतिष संबंधी सेवाएं दे रहे हैं.

By विजय काशिव

ज्योतिषी

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