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साइंस और टेक्नोलाॅजी के क्षेत्र में मौलिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हमारे देश में प्रसिद्ध वैज्ञानिक डाॅ. शांतिस्वरूप भटनागर की स्मृति में “शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार” प्रदान किया जाता है.

विज्ञान के सात अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को यह अवाॅर्ड दिया जाता है. सम्मान श्रृंखला के इस साल छ्ह दशक पूरे होने जा रहे हैं.ऐसे में अवाॅर्ड देने के यदि 60 सालों पर गौर किया जाए तो यह हमारी उपलब्धियों को गिनने के साथ ही हमारे पिछड़े पहलुओं पर भी ध्यान दिलाता है.

विज्ञान की सात शाखाओं के लिए दिया जाता है पुरस्कार

देश में डाॅ भटनागर को अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए याद किया जाता है. विज्ञान की सात शाखाओं जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, इंजीनियरिंग, मैथ्स, चिकित्सा विज्ञान, भौतिक शास्त्र, पृथ्वी, वायुमंडल, महासागर और खगोल विज्ञान में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को दिया जाता है.

पुरस्कार के रूप में वैज्ञानिकों को पांच लाख रुपए की नकद राशि, प्रशस्ति-पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किया जाता है. 60 सालों में 535 वैज्ञानिकों को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है.

16 महिला वैज्ञानिक भी हुईं सम्मानित 

वैसे हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन 60 साल के इतिहास में इस पुरस्कार को केवल 16 महिला वैज्ञानिक ही प्राप्त कर सकी हैं. हालांकि वर्ष 2010 के बाद से इन परिस्थितियों में बदलाव लाने के लिए प्रयास किए गए हैं. यह प्रयास महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में काफी साबित नहीं हुए हैं. 

वैज्ञानिक क्षेत्र में मिला प्रोत्साहन

देश में वैज्ञानिकों को मिलने वाले पुरस्कार से इस क्षेत्र में आने वाली युवा पीढ़ी को भी प्रोत्साहन मिलता है. 60 साल पहले भारत की पहचान केवल एक कृषि प्रधान देश के रूप तक ही सीमित थी. लेकिन अब स्थितियों में काफी बदलाव आया है और अब देश के साइंटिस्ट सराहनीय कार्य कर रहे हैं. इसका ही परिणाम यह है कि आज हमारा देश आॅटोमिक एनर्जी से लेकर साइंस के क्षेत्र में बहुत आगे आ चुका है. 

सम्मानित हस्तियां 

“शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार” पुरस्कार से सम्मानित व्यक्तियों की सूची में आसिमा चटर्जी से लेकर डाॅ. के. कस्तूरीरंगन तक के नाम शामिल हैं. वहीं वैज्ञानिकों की सूची में मराठी और हिंदी के सुप्रसिद्ध विज्ञान कथा लेखक और विज्ञान संचारक जयंत विष्णु नार्लीकर और इंग्लिश में विज्ञान विषय पर लिख रहे डी.बाला सुब्रमण्यम शामिल हैं. 

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