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शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर है, 12 ज्योतिर्लिंग कौन से हैं?

shivling aur jyotirling me kya antar hai

सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग (Shivling and Jyotirling Kya hai?) दोनों रूपों में होती है. अधिकतर लोग शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग के बीच का अंतर नहीं समझते हैं. शिवलिंग पूरी दुनिया में काफी सारे हैं लेकिन ज्योतिर्लिंग सिर्फ 12 हैं. 

ज्योतिर्लिंग क्या होते हैं? (Jyotirling Kya hai?) ज्योतिर्लिंग की स्थापना की कहानी क्या है? (Jyotirling Ki Katha) दुनिया में 12 ज्योतिर्लिंग कौन से हैं? इन सभी बातों के बारे में आप इस लेख में जान पाएंगे. 

शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर है? (Shivling aur Jyotirling me antar) 

आपने देखा होगा कि अधिकतर मंदिरों में शिवलिंग होते हैं जबकि ज्योतिर्लिंग सिर्फ 12 हैं. शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग देखने में एक जैसे हो सकते हैं लेकिन इनके बीच एक बड़ा अंतर होता है. 

शिवलिंग वे होते हैं जो मानव द्वारा स्थापित किए गए हैं. कई शिवलिंग मानव द्वारा ही निर्मित होते हैं वहीं कई शिवलिंग नदी या जमीन से निकलते हैं. जब इन्हें मंदिर में स्थापित किया जाता है तो उसे शिवलिंग कहते हैं.

ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के स्वयंभू अवतार है. ज्योतिर्लिंग का मतलब भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना है. ज्योतिर्लिंग मानवनिर्मित नहीं है बल्कि ये स्वयंभू शिव के अवतार हैं. इनकी संख्या 12 है और ये भारत ज्योतिर्लिंग भारत में ही स्थित है.

ऐसा कहा जाता है कि जिन 12 जगह पर ज्योतिर्लिंग हैं वहाँ भगवान शिव ने खुद दर्शन दिये थे, वे वहाँ एक ज्योति के रूप में उत्पन्न हुए थे. ऐसी जगह को ज्योतिर्लिंग को कहा गया और वहाँ ज्योतिर्लिंग स्थापति किए गए. 

ज्योतिर्लिंग कैसे उत्पन्न हुए? (Jyotirling Kaise Bane?) 

ज्योतिर्लिंग के उत्पन्न होने का रहस्य शिवपुराण की पौराणिक कथा (Jyotirling Katha) में छुपा है. इस कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा में इस बात को लेकर विवाद हुआ कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है? 

इस विवाद का कोई हल नहीं निकल रहा था, दोनों के बीच काफी विवाद बढ़ चुका था और दोनों ही अपने आप को श्रेष्ठ साबित करने पर डटे थे. दोनों में से कौन श्रेष्ट है इसका फैसला करने वाला वहां कोई तीसरा भी नहीं था.

ऐसी स्थिति में भगवान शिव ने दोनों के भ्रम को दूर करने के लिए एक महान ज्योति स्तम्भ का रूप लिया. जिसे ज्योतिर्लिंग कहा गया. ज्योतिर्लिंग से आवाज आई कि दोनों में से जो भी ज्योतिर्लिंग का अंत ढूंढ लेगा वो श्रेष्ठ होगा. 

खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया और धरती के नीचे ज्योतिर्लिंग का छोर ढूँढने निकल पड़े. वहीं ब्रह्मा जी ने एक कीट का अवतार लिया और आकाश की ओर ज्योतिर्लिंग का छोर ढूँढने निकल पड़े. 

काफी ढूँढने पर भी न तो ब्रह्मा जी को और न तो विष्णु जी को ज्योतिर्लिंग का छोर दिखाई दिया. 

अतः ये तय हुआ कि ब्रह्मा और विष्णु से भी श्रेष्ठ ये दिव्य ज्योति है. इसके बाद भगवान शिव ने जहां-जहां ज्योति के रूप में दर्शन दिये वहां ज्योतिर्लिंग की स्थापना की जाने लगी. 

12 ज्योतिर्लिंग कौन से हैं? (12 Jyotirling in India) 

भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं जो देश के अलग-अलग हिस्सों में है. बड़ी मात्रा में श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने के लिए जाते हैं. कहा जाता है कि जो व्यक्ति ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है वो अपने पापों से मुक्ति पाता है और भोले बाबा उसकी हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं. 

यदि आप ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि 12 ज्योतिर्लिंग कहाँ पर स्थित हैं और वहां कैसे पहुंचा जा सकता है.

1) सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirling) 

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र जिले में स्थित है. इस प्रसिद्ध मंदिर को 6 बार ध्वस्त किया गया. साल 1022 ईस्वी में हुए महमूद गजनावी के आक्रमण के कारण इसे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था. लेकिन लोगों की श्रद्धा के कारण आज भी सोमनाथ ज्योतिर्लिंग जहां है वहीं पर है. 

2) मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjun Jyotirling) 

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश के कुर्नुल में स्थित है. ये कृष्ण जिले में कृष्ण नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर विराजमान है. इस ज्योतिर्लिंग को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है.

3) महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirling)

मध्यप्रदेश के उज्जैन मे स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग शिप्रा नदी के तट पर स्थित है. ये दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जो पूरे भारत में सिर्फ एक ही है. ये ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के महंकाल रूप को दर्शाता है. हर 12 साल में उज्जैन में कुम्भ का मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु महाकालेश्वर के दर्शन करते हैं.

4) ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirling) 

मध्यप्रदेश में ही ओंकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है. ये मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में है. नर्मदा नदी के किनारे बसा ये छोटा सा टापू शहर किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यहाँ पर ज्योतिर्लिंग के प्रथक रूप हैं एक ओंकारेश्वर है और दूसरे मामलेश्वर है. इनमें से ओंकारेश्वर को ही स्वयंभू समझा जाता है.

5) केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirling) 

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में बसा केदारनाथ काफी प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है. हर वर्ष यहाँ लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं. यहां पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. मन्दाकिनी नदी के किनारे स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से लोगों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है.

6) भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bheemashankar Jyotirling) 

महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग काफी महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग है. ये भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर स्थित है.

7) काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kashi Vishvnath Jyotirling)

मोक्ष नगरी काशी में सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंग है जिसे काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. गंगा के तट पर स्थित यह स्थान हिन्दू धर्म के लिए एक पवित्र स्थान है.

8) त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Tryambakeshwar Jyotirling) 

महाराष्ट्र में ही एक दूसरा प्रमुख ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है. ये नासिक जिले में गोदावरी नदी के तट पर स्थित है. इस स्थान पर पवित्र नदी गोदावरी का उद्गम स्थल भी माना जाता है.

9) वैधनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidhnath Jyotirling) 

एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में भी स्थित है. इसे वैधनाथ ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. ये महाराष्ट्र के पास परभनी नामक रेल्वे स्टेशन से थोड़ी दूर है. 

10) नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirling) 

गुजरात की द्वारका कृष्ण के लिए प्रसिद्ध है लेकिन यहाँ पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है जो काफी मान्यताप्राप्त ज्योतिर्लिंग है. शास्त्रों में कहा गया है कि इसके दर्शन करने से जीवन के सभी पापों से छुटकारा मिलता है और अंत में पवित्र दिव्य धाम की प्राप्ति होती है. 

11) रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (Ramehswar Jyotirling) 

तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम में स्थित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग है. इस ज्योतिर्लिंग की पूजा भगवान राम ने लंका विजय के पशकाट की थी. 

12) घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Ghrushneshwar Jyotirling) 

इन्हें श्रीघुश्मेश्वर, गिरीश्नेश्वर, घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहते हैं. इनका स्थान महाराष्ट्र प्रान्त में दौलताबाद स्टेशन से बारह मील दूर बेरूल गाँव के पास है. 

ये 12 ज्योतिर्लिंग भारत में स्थित है. आप अपने जीवन में यदि इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेते हैं तो आपको सभी पापों से मुक्ति मिलती है और आपका जीवन धन्य होता है. इनके दर्शनमात्र से ही लोगों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है.

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