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भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है. लेकिन यहां कृषि जोखिम के अधीन है. यानि कभी आपकी फसल अच्छी हो सकती है तो कभी खराब. वैसे आप चाहे तो एक अच्छी फायदे वाली खेती कर सकते हैं. फायदे वाली खेती के लिए जरूरत होती है एक अच्छी फसल की जो आपको सालभर कमाई करके देती रहे. ऐसी ही एक फसल है रेशम की खेती (Silk Farming) .

रेशम की खेती क्या है? (What is silk farming?)

रेशम की खेती (Silk farming) अन्य फसलों की तरह नहीं बल्कि उससे भिन्न है. इसमें आपको रेशम के कीटों को पालना पड़ता है और उनके भोजन के लिए इंतजाम करना होता है. आपको रेशम के कीट पालने के लिए ज्यादा जगह नहीं लगती लेकिन उनके भोजन का इंतजाम करने के लिए आपको एक खेत की जरूरत पड़ती है.

रेशम की खेती कैसे करें? (How to do silk farming?)

रेशम की खेती शुरू (Silk farming) करने के लिए आप आधा या एक एकड़ का खेत (Land for silk farming) ले सकते हैं. शुरूवाती तौर पर कम जमीन पर ही रेशम की खेती करना उचित है. रेशम की खेती के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज है उनका भोजन. रेशम के कीट शहतूत की पत्तियां खाकर जीवित रहते हैं और रेशम का निर्माण करते हैं. इसलिए आपको कम से कम आधा या एक एकड़ में अच्छे से शहतूत की खेती करनी होती है. शहतूत की खेती करने के लिए इसका प्रशिक्षण लेना जरूरी है.

रेशम कीट रेशम का निर्माण कैसे करते हैं? (How to make silk by silkworm?)

रेशम के कीट (Silk worm) द्वारा रेशम का निर्माण किया जाता है. रेशम कीट मुश्किल से दो या तीन दिन तक ही जीवित रहते हैं. हालांकि इनके प्रजनन का समय थोड़ा लंबा होता है. इनमें मादा अपने अंडों को शहतूत की पत्तियों पर देती है. ये एक ही बार में 300 से 400 अंडों का अंडारोपण करती है. प्रत्येक अंडे से लगभग दस दिनों में एक नन्हा मादा कीट लार्वा निकलता है जो इल्ली के जैसा दिखाई देता है.

पैदा होने पर ये तीन दिनों तक अपने सिर को इधर-उधर हिलाकर अपने चारों ओर लार ग्रंथियों से एक घोल द्वारा लंबे धागे का जाल बनाते हैं. इसे कोया या ककून भी कहा जाता है. ये ककून जब वायु के संपर्क में आता है तो सूखकर रेशमी धागा बन जाता है. इस ककून में ये महफूज रहते हैं और 10 से 12 दिनों में ये इसे काटकर बाहर आ जाते हैं लेकिन रेशम पाने के लिए इनके निकलने से पहले ही गर्म पानी में डालकर भीतर ही भीतर मार दिया जाता है ताकि अच्छा रेशम प्राप्त हो सके.

रेशम की खेती सालभर में कितनी बार होती है? (Silk crop in one year)

रेशम की खेती को फायदे वाली खेती कहा जाता है. इसका कारण ये है की ये आपको 3 महीनों में ही कमाई करके दे देती है. अन्य फसलों में आपको ज्यादा समय देना पड़ता है. रेशम की खेती सालभर में 4 बार हो जाती है. कई लोग इसे 5 बार भी कर लेते हैं. हालांकि अगर आप सही तरीके से रेशम की खेती करना चाहते हैं तो आप 4 बार ही करें क्योंकि हर एक फसल के बाद आपको कुछ समय के लिए रेशम पालने वाली जगह को खुला छोड़ना होता है ताकि वो जगह साफ़ हो सके.

रेशम की खेती से कमाई (Earning by silk farming?)

रेशम की खेती से कमाई की बात करें तो इसकी खेती कर रहे किसानों का कहना है की वे एक एकड़ जमीन पर एक फसल से 1 से 2 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं. इनके अनुसार 1 किलो ककून का दाम इन्हें 250 से 350 रुपये मिल जाता है. हालांकि अन्य फसलों से इस फसल में आप अच्छा कमा सकते हैं लेकिन इसके लिए आपकी जगह ऐसी होनी चाहिए जहां आप आप शहतूत की खेती आसानी से कर सके.

रेशम की खेती पर सबसिडी (Government subsidy for silk farming?)

रेशम की खेती एक फायदे का सौदा है और सरकार भी किसानों का फायदा चाहती है. इसलिए अगर आप रेशम की खेती करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सरकार से सबसिडी भी मिलती है. आप ये मान कर चलिये की सबसिडी के रूप में आपकी आधी लागत आपको मिल सकती है. यानि शहतूत की खेती की लागत, शेड बनवाने का खर्च, रेशम के कीट का खर्च आदि के लिए पैसे आपको सरकार से सबसिडी के रूप में मिल जाते हैं.

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