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सर्दियों का मौसम बच्चों, बीमारों और बूढ़ों के लिए ज्यादा ध्यान रखने वाला होता है. सर्दियां वैसे तो सबको पसंद होती हैं. गर्म कपड़े पहन करें कहीं भी जाया जा सकता है. खाने-पीने का भी सही मजा सर्दियों में आता है. हमारी चयापचय प्रणाली इन दिनों तेज होती है. सर्दियों का पूरा मजा लेना हो तो सेहत के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है क्योंकि इन दिनों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं. आइए जानें कुछ कामन सेहत संबंधी समस्याओं के बारे में और अपना बचाव उनसे कैसे करें.

सर्दियों में कैसे कंट्रोल करें BP (How to Control High Blood Pressure in winter)

सर्दियों में ब्लड प्रेशर अक्सर थोड़ा बढ़ जाता है क्योंकि लोग व्यायाम और खाने-पीने में लापरवाह हो जाते हैं. वैसे एक हेल्दी इंसान का नार्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होता है. डाक्टर के अनुसार ऊपर का ब्लड प्रेशर अगर अधिक हो तो चिंता की बात होती है. अगर आपका ब्लड प्रेशर 100 से 70 रहता है तो घबराने की बात नहीं होती.

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण (symptoms of of high blood pressure)

-चक्कर आना.

-सिर में भारीपन और दर्द एहसास.

-सांस फूलना विशेषकर जब आप सीढ़ियां चढ़ते हैं या काम ज्यादा करते हैं.

-हाथों-पैरों में दर्द रहना.

-जी घबराना, नींद न आना, आलस आना आदि.

-काबू करने के लिए:-

-नियमित व्यायाम करें.

-वजन पर काबू पाएं.

-शराब धूम्रपान से परहेज करेें.

-नमक और चीनी का प्रयोग कम करें.

-चावल, मैदे से बने खाद्य पदार्थों से परहेज करें.

-अपना बीपी समय समय पर चेक कराएं.

सर्दियों में खास ध्यान रखें हार्ट पेशेंट (health tips for heart patient in winter season)

सर्दियों में नसों में ब्लड सप्लाई की रफ्तार थोड़ी कम हो जाती है जिससे हार्ट को मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है. बूढ़ेे लोगों को इसलिए सर्दियों में हार्ट अटैक की समस्या ज्यादा होती है विशेषकर डायबिटीज वाले लोगों को.

डायबिटीज और अधिक आयु वाले लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक ज्यादा होता है. इससे जिसे अटैक आता है उसे उसके लक्षण साफ नहीं महसूस होते हैं. ऐसे अटैक को साइलेंट हार्ट अटैक कहते हैं. ऐसे अटैक में अक्सर रोगी की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो जाती है.

हार्ट अटैक से बचने के उपाय और लक्षण (heart attack symptoms and first aid)

-हार्ट अटैक का लक्षण होते ही डॉक्टर को इमरजेंसी काल करें.

-एस्प्रिन की एक गोली को चबा लें और थोड़ा पानी पी लें.

-अगर सीने में दर्द हो रहा हो तो छाती पर हाथ रखकर पंपिंग करते हुए दबाएं.

-अगर रोगी को सांस लेने में कठिनाई हो तो उसे उसी समय मुंह से सांस दें.

-अगर रोगी अचेत हो गया हो तो 10 मिनट के अंदर उसके सीने को दबाएं.

ऐसे करें कंट्रोल –

-मोटापा कंट्रोल करें

-मानसिक कंट्रोल करें

-मानसिक तनाव पर काबू रखें.

-छाती में अकड़न और घबराहट होने पर एस्प्रिन की गोली का सेवन करें.

-प्राणायाम, योगाभ्यास नियमित करें.

-सर्दियों में कानों को ढककर रखें ताकि कानों को ठंडी हवा न पहुंचे. ठंडी हवा कानों पर लगने से ब्लडप्रेशर बढ़ सकता है.

अपने ब्लड प्रेशर पर काबू रखें (how to control high blood pressure)

-दवा नियमित लें.

-ज्यादा नमक और तले हुए भोज्य पदार्थों का सेवन कम करें.

-धूम्रपान से परहेज रखें.

-अधिक ठंडे में बाहर न निकलें.

खांसी-जुकाम दूर करने के घरेलू उपाय  (how to cure cold and cough in winter) 

बदलता मौेसम सबसे ज्यादा प्रभाव गले पर डालता है. इससे खांसी-जुकाम का होना आम बात है. अगर 3-4 दिन में जुकाम ठीक नहीं होता तो फ्लू बन सकता है. 

ठंड में कैसे रखें सेहत का ख्याल  (health tips for health in winter season) 

-ठंड से पूरी तरह स्वयं को बचा कर रखें.

-नाक बंद होने वर विक्स या लिप्टस ऑयल गर्म पानी में डालकर भाप लें. राहत मिलेगी.

-डॉक्टर से संपर्क कर देवा लें.

-प्रातः नमक वाले गर्म पानी से गरारे करें.

-कान,गला ढककर रखे. गर्म कपड़े पहनें और ठंडी हवा से बचकर रहें.

-चावल, दही, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक आदि से परहेज करें.

-रात्रि में सोने से पहले कच्ची हल्दी वाला दूध लें.

घरेेलू चीजों का काढ़ा बना कर सिप सिप कर पिएं. दो लौंग, दो काली मिर्च, छोटा टुकड़ा अदरक, 1 चम्मच चाय की पत्ती, 5-6 पत्ते तुलसी के, 1 चम्मच चीनी डालकर उबालें और धीरे धीरे कर पिएं. ध्यान रखें बाद में 1 सेे 2 घंटे तक पानी का सेवन न करें.

ठंड में गठिया के रोगी कैसे रखें ध्यान ( health tips for arthritis patients in winter) 

-काबू करनेेे के उपाय:-

-गर्म पानी की सिंकाई करें.

-डॉक्टर की सलाह अनुसार पेनकिलर लें.

-दर्द और सूजन होने पर व्यायाम न करें.

-जुराबें पहनें, घुटनों को भी ढक कर रखें. दर्द कम करने वाली क्रीम का प्रयोग करें. अधिक दर्द होने पर सैर न करें, सीढ़ियां कम से कम चढ़े.

-अपने खान- पान को सुधारें.

-धूप में 40 मिनट तक बैठें ताकि विटामिन डी की कमी दूर हो. डॉक्टर के अनुसार विटामिन डी के सप्लीमेंट लें.

ठंड में दमा रोग कैसे रखें ध्यान (health tips for asthma patients in in winter)

अस्थमा दो प्रकार का होता है, एलर्जिक और नाॅन एलर्जिक. एलर्जिक अस्थमा तभी होता है, जब आदमी उस चीज के संपर्क में आता है जिससे उसे एलर्जी हो. नान एलर्जिक अस्थमा का अटैक ज्यादा एक्सरसाइज, ठंडी हवा और सांस में इंफेक्शन से होता है.

ठंड में अस्थमा के रोगी कैसे बचें (Asthma symptoms treatment and prevention) 

-धूल मिट्टी से दूर रहें.

-पालतू जानवरों से दूरी रखें.

-प्राणायाम नियमित करें, जिससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ सके.

-धूम्रपान न करें, धूम्रपान करने वालों से दूरी बनाकर रखें.

-शुरूआती अस्थमा में इनहेलर का प्रयोग करते रहें.

-ज्यादा होने पर डॉक्टर से शीघ्र संपर्क करें.

-ठंड से स्वयं को बचाकर रखें.

 

(नोट: यह लेख आपकी जागरूकता और समझ बढ़़ा़ने के लिए साझा किया गया है. यदि आप हार्ट पेशेंट या अस्थमा रोगी हैं तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें. )

By नीतू गुप्ता

लेखक और पत्रकार.

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