टीबी (TB) के बारे में तो आपने सुना ही होगा. ये एक खतरनाक और संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से फैल सकता है. टीबी का पूरा नाम टीबी ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis) है और ये दुनियाभर में दूसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है. टीबी सिर्फ हवा के माध्यम से फैलता है और ये उन लोगों के संपर्क में आने से फैल जाता है जिन्हें पहले से ही टीबी (TB) है. किसी भी व्यक्ति को कई बार इसके होने पर पता भी नहीं चलता की उसे टीबी है. ऐसे में हर व्यक्ति को पता होना चाहिए की टीबी क्यों होता है (TB causes) , टीबी के क्या लक्षण हैं (TB symptoms), टीबी का इलाज (TB treatment) क्या है, और टीबी से कैसे बचा जाए?
टीबी का कारण
टीबी यानि (Tuberculosis)क्षयरोग होने का कारण माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस (mycobacterium tuberculosis) नाम का बैक्टीरिया है. टीबी कई प्रकार (TB types) की होती है. टीबी के फैलने का कारण (TB causes) एक संक्रामण है. ये एक टीबी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति को आसानी से हो जाती है. टीबी के बैक्टीरिया जब किसी संक्रमित व्यक्ति के छींकने, खाँसने, बोलने या गाने से हवा में फैलते हैं तो ये दूसरे व्यक्ति में सांस के द्वारा चले जाते हैं और दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है.
टीबी के होने के निम्न कारण भी हो सकते हैं.
– खराब जीवन शैली जिसके कारण शरीर में कमजोरी हो.
– छोटे बच्चेन या बुजुर्ग जिनकी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो.
– एचआईवी से संक्रमित होने पर
– मादक पदार्थों का अधिक उपयोग करने से.
टीबी होने का कारण (TB infection causes) आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली है. ये जितनी कमजोर होगी कोई भी व्यक्ति उतनी जल्दी टीबी का शिकार बन जाएगा. इसलिए जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है यदि वे टीबी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो उन्हें बहुत ही सावधानी के साथ उनके पास जाना चाहिए.
टीबी के प्रकार
टीबी मुख्यतः दो प्रकार (TB types) की होती है.
लेटेंट टीबी : लेटेंट टीबी (Letent TB) का मतलब होता है की टीबी के बैक्टीरिया आपके शरीर में हैं तो सही लेकिन आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उसे सक्रिय नहीं होने दे रही है. आप इसमें टीबी के लक्षणों का अनुभव नहीं कर पाएंगे. इसके अलावा आपके कारण ये टीबी दूसरों को नहीं फैलेगी. लेकिन ध्यान रहें की ये आपके लिए जोखिम भरी भी हो सकती है. इसकी रोकथाम की जा सकती है इसलिए इसके बारे में पता लगते ही डॉक्टर के पास जरूर जाएँ.
एक्टिव टीबी : (Active TB) इसका ये मतलब होता है की इसके टीबी के बैक्टीरिया आपके शरीर में विकसित हो रहे हैं और आप इनके लक्षण को भी महसूस कर रहे हैं. अगर एक्टिव टीबी आपके फेफड़ों में हैं तो आपके कारण दूसरों को भी टीबी हो सकती है.
टीबी के लक्षण
टीबी के लक्षण (TB symptoms) एकदम से सामने नहीं आते. ये धीरे-धीरे नजर आते हैं. इससे संक्रमित व्यक्ति लंबे समय तक इससे संक्रमित रह सकता है जब तक की उसका उपचार न किया जाए. इसके इलाज के लिए इसके लक्षणों पर गौर करना चाहिए. टीबी के लक्षण निम्न हैं.
– 2 हफ्तों से ज्यादा खांसी
– खांसी के साथ बलगम में खून आना
– बेवजह थकान होना
– बार-बार बुखार आना
– रात में पसीना आना
– छाती में दर्द रहना
– सांस फूलना
– भूख न लगना
– वजन का कम होना
– पीठ में अकड़न होना
– ग्रंथियों में सूजन
– पेट में दर्द
– स्थायी सिरदर्द होना
टीबी का इलाज
भारत में टीबी का इलाज (TB treatment) हर सरकारी अस्पताल में मुफ्त किया जाता है. टीबी के लिए सही समय पर अस्पताल की ओर से रोगी को दवाई दी जाती है. इसके इलाज के लिए भारत में काफी अच्छी सुविधा की गई है ताकि ये बीमारी संक्रमित व्यक्ति की वजह से दूसरे व्यक्ति को न फैले.
टीबी से बचाव
टीबी से बचाव (TB prevention) के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं जिनसे दूसरे व्यक्ति टीबी से संक्रमित होने से बच सकते हैं. टीबी से बचाव के निम्न उपाय हैं.
– टीबी से बचाव के लिए बचपन में टीबी का टीका (TB vaccine) लगाया जाता है.
– अगर किसी व्यक्ति को टीबी है तो उसके साथ बंद कमरे में समय न बिताएँ जब तक की उस व्यक्ति का इलाज कम से कम 2 हफ्ते तक न हुआ हो.
– अगर आप टीबी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ रहे हैं तो मुंह पर मास्क लगा कर जाएँ.
– टीबी से संक्रमित व्यक्ति को भीड़-भाड़ वाली जगह पर नहीं जाना चाहिए.
– टीबी से संक्रमित व्यक्ति को अपने मुह को ढँक कर रखना चाहिए.
टीबी एक खतरनाक बीमारी है जिसके लक्षण का पता लगते ही आपको अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर टीबी की जांच करवा लेनी चाहिए. अगर टीबी संक्रमित पाये जाते हैं तो तुरंत इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए. जिससे संक्रमित व्यक्ति जल्दी से जल्दी ठीक हो सके और उसकी वजह से कोई और टीबी का रोगी न बने.
नोट: यह लेख आपकी जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि आप संबंधित बीमारी से ग्रस्त हैं अथवा बीमारी के लक्षण महसूस होते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें. बिना चिकित्सकीय सलाह के किसी भी तरह के उपाय ना करें और बीमारी को लेकर धारणा ना बनाएं. ऐसा करना सेहत के लिए नुकसानदायक है.
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