लाइफ की एक खास स्टेज में लड़के-लड़कियां प्यार को टाइम पास लव बना देते हैं. यह जिंदगी का वह समय होता है जब ना तो फैमली की जिम्मेदारी होती है और ना ही सोसायटी से ज्यादा कनेक्शन होता है. युवा प्रेम को मन बहलाने के साधन के रूप में अपनाते हैं. प्रेम के इस खेल में कई लड़के-लड़कियां पहले से ही मन में तय रखते हैं कि यह उनका लव रीयल ना होकर खास उम्र में खास मजे के लिए है.
इधर, कुछ दिन बाद इस अस्थायी प्रेम के यथार्थ को समझ जाते हैं और फिर भविष्य में संभलना शुरू करते हैं, लेकिन बर्बादी की कगार पर वही लड़का या लड़की पहुंचते हैं जो बिना दृढ़ इच्छा, हिम्मत, विश्वास और योग्यता के आगे बढ़ते जाते हैं और दोनों में से एक कोई वक्त आने पर प्रेम को टाइम पास लव साबित कर मुंह मोड़ने लगता है तो यकीनन दूसरे का जीवन बर्बादी की कगार पर पहुंच जाता है.
इस तरह का प्यार वास्तव में अपरिपक्व होता है, जिसमें दोनों पक्षों की सही सोच-समझ, योग्यता तथा लगन का खासा अभाव रहता है. इसमें बिना हकीकत को जाने ही फिजिकल अट्रैक्शन के तहत लड़के लड़कियां प्रेम की पींगें बढ़ाते जाते हैं, दोनों ही साथ-साथ जीने और मरकर भी न बिछड़ने कसमें खाते रहते हैं लेकिन हकीकत की एक चोट इनके दिलों से प्रेम भुला देती है अगर कुछ बचता है तो मात्रा पछतावा, उदासी और मानसिक यन्त्रणा.
इसका भी गंभीर प्रभाव उसी पक्ष पर पड़ता है, जो इस प्रेम का मर्म न जान कर इसे शाश्वत प्रेम समझकर दिल में बसा लेता है और फिर उम्र भर न जाने कैसे-कैसे दण्ड भरता रहता है.
अतः ध्यान रहे कि यह वक्ती प्रेम वास्तविक प्रेम न होकर मात्रा छलावा साबित होता है. इस प्रेम रूपी छलावे से किसी का जीवन नरक बन सकता है इसीलिए प्रत्येक लड़के या लड़की को खास ध्यान रखना चाहिए कि यदि वे प्रेम के बंधन में बन्धना ही चाहें तो मन और आत्मा से परिपक्व, सोच-समझ, ज्ञान और योग्यता के आधार पर बन्धें तथा प्रेम को नैतिकता के दायरे से बाहर न जाने दें.