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लीक-लीक कायर चलें, लीकहिं चले कपूत
लीक छोड़ तीनों चलें – शायर सिंह सपूत।

लोकजीवन का यह प्रचलित दोहा नोएडा के 50 वर्षीय पीयूष गोयल की लाइफ पर फिट बैठता है. कहते हैं जिंदगी में जब कोई कुछ अलग करने की ठान ले तो फिर जो भी सामने आता है वह कारनामा ही कहलाता है.

नोएडा के 50 वर्षीय पीयूष गोयल ने उल्टे अक्षरों में श्रीमद्भगवद्गीता, सुई से मधुशाला, मेहंदी से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र लिखकर कुछ ऐसा ही कारनामा किया है.

कुछ अनोखे ही लेखक हैं पीयूष गोयल

पीयूष गोयल ने अब तक जो भी लिखा है वह कलम से नहीं बल्कि मेहंदी के कोण से, सुई और कील से लिखा है. जानकर हैरानी होती है लेकिन पीयूष गोयल ने दीवारों में ठोकनें वाली कील, सिलाई के काम आने वाली सुई और हाथों में मेंहदी रचाने वाले कोण का काम कलम के रूप में किया है.

इंजीनियर से ऐसे बने लेखक

50 वर्षीय पीयूष गोयल की नये-नये तरीकों से किताबें लिखने की कला देखकर हर कोई हतप्रभ है. इस सफर की शुरूआत के बारे में बात करते हुए पीयूष गोयल बताते हैं कि साल 2000 में उनका एक्सीडेंट हुआ था. उन्हें इस हादसे से उबरने में करीब नौ माह लग गए.

इसी दौरान उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को अपने जीवन में उतार लिया. जब वह स्वस्थ हुए तो कुछ अलग करने की चाह ने उनको मिरर शैली अर्थात उल्टे अक्षरों में लिखने की आदत डाल दी.

हिंदी अंग्रेजी अ​नुवाद सहित उल्टे अक्षरों में श्रीमद्भगवद्गीता लिखने वाले पीयूष गोयल कहते हैं, ‘यह शौक धीरे-धीरे जुनून बनने लगा, जैसे आंच पर दूध उबलने लगता है. उल्टे अक्षरों में लिखने का जुनून मुझ पर इस तरह हावी हुआ कि मैंने बहुत कम समय में कई किताबें लिख डाली.’

पीयूष गोयल ने पंचतंत्र की कहानियां मेेेेहंदी के कोण से लिखी हैं.
पीयूष गोयल ने पंचतंत्र की कहानियां मेेेेहंदी के कोण से लिखी हैं.

 

जब पहली बार हर कोई हुआ हतप्रभ

पीयूष गोयल की उल्टे अक्षरों में लिखी श्रीमद्भगवद्गीता ने उनके परिचितों को हैरत में डाल दिया. उल्टे अक्षरों में लिखी गीता को देखकर किसी को समझ नहीं आया कि यह किताब किस भाषा में लिखी गई है, लेकिन जैसे ही किताब आईने के सामने रखी तो आईने में किताब में छपे अक्षर सीधे दिखाई देने लगे. अब इसको हर कोई बड़ी सरलता से पढ़ रहा था.

एक नहीं कई किताबें लिखी हैं पीयूष ने

उल्टे अक्षरों में कई किताबें लिखकर पीयूष गोयल ने कमाल तो कर दिया, लेकिन, दोस्तों और परिचितों से शिकायत मिलने लगी कि आपकी किताब को पढ़ने के लिए आईने की जरूरत पड़ती है. पीयूष गोयल ने इस बात को सकारात्मक तरीके से लेते हुए कुछ नये तरीके से लिखने की सोची.

ऐसे लिखी सुई से मधुशाला

काफी सोच-विचार के बाद पीयूष गोयल ने कलम छोड़कर सुई उठाई, और अमिताभ बच्चन के पिता और मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की विश्व प्रख्यात रचना मधुशाला सुई से कागज पर छेद करते हुए लिख डाली. अब पीयूष गोयल की तैयार की मधुशाला को मिरर के सामने बैठकर और कागज को पलट भी बड़े आराम से पढ़ा जा सकता था.

पीयूष गोयल बताते हैं कि ‘मधुशाला’ को सुई से मिरर इमेज में लिखने में करीब ढाई माह का समय लगा. और यह दुनिया की अब तक की पहली ऐसी किताब है, जो सूई से मिरर इमेज शैली में लिखी गई है.

पीयूष ने मेहंदी के कोण से टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति गीतांजलि को भी लिखा.
पीयूष ने मेहंदी के कोण से टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति गीतांजलि को भी लिखा.

 

गीतांजलि भी लिखी

हरिवंशराय बच्चन की मधुशाला मिली सराहना के बाद पीयूष गोयल ने मेहंदी के कोन से नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति ‘गीतांजलि’ को लिखने का विचार बनाया.

इस बारे में बात करते हुए श्री गोयल कहते हैं, ‘मैंने 8 जुलाई 2012 को मेहंदी के कोण् से गीतांजलि लिखनी शुरू की और 5 अगस्त 2012 को सभी 103 अध्याय पूरे कर दिए. गीतांजलि लिखने में 17 कोन और दो नोट बुक प्रयोग में आई है.’

कलम के रूप में चुना कील को भी
सुई और मेहंदी कोन के बाद कील से पीयूष वाणी लिखने का फैसला भी चौंकाने वाला था. इस बारे में बात करते हुए पीयूष गोयल कहते हैं, ‘कील से पीयूष वाणी लिखने का ख्याल सूई से लिखी मधुशाला से प्रेरित था. इस बार मैं कुछ नया करना चाहता था. कुछ ऐसा जो अभी तक न किया गया हो.

मैंने ए 4 साइज की एक एल्युमिनियम शीट ली और उस पर कील से लिखने का निर्णय किया. इस काम को पूरा करने में मुझे लगभग चार महीने का समय लगा. जब यह बनकर तैयार हुई तो हर कोई चकित रह गया था. इसमें मैंने अपने विचारों को जगह दी थी.’

पीयूष ने मेहंदी कील से हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कृति मधुशाला को लिखा.
पीयूष ने मेहंदी कील से हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कृति मधुशाला को लिखा.

कार्बन पेपर के साथ नया प्रयोग

आम तौर पर नकल बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कार्बन पेपर के साथ नया प्रयोग करते हुए नोएडा के रहने वाले पीयूष गोयल ने आचार्य विष्णु शर्मा की लिखी पंचतंत्र को लिखा.

41 कथाओं वाली पंचतंत्र को मिरर इमेज शैली में लिखते समय गोयल ने कागज के नीचे कार्बन पेपर को सामान्य प्रयोग विधि से विपरीत करके रखा. इस तरह एक ही कागज के एक तरफ मिरर इमेज शैली, तो दूसरी तरफ सामान्य अक्षर लिखे गए.

लगातार नये प्रयोग करने वाले पीयूष गोयल के भविष्य को लेकर बहुत सी नई प्लानिंग है. वे जल्द ही कुछ नई रचनाओं को अपने अनूठे लेखन से कागज पर उतारेंगे.

(इस लेख के विचार पूर्णत: निजी हैं. यहां प्रकाशित होने वाले लेख और प्रकाशित व प्रसारित अन्य सामग्री से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. आप भी अपने विचार या प्रतिक्रिया हमें editorindiareviews@gmail.com पर भेज सकते हैं.)

By कुलवंत शर्मा

कुलवंत हैप्पी, फाउंडर एंड कॉलमिस्ट, फिल्मी कैफे.

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