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Vehicle Scrappage Policy: नई e-Car या e-Bike कितने सालों में हो जाएगी कबाड़, जानिए सरकार के नियम

vehicle scrappage policy

दुनिया भर में प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण को बचाने के लिए ई व्हीकल को एक विकल्प के रूप में तेजी से अपनाया जा रहा है. लोग तेजी से ई कार, ई बाइक, ई रिक्शा, ई बस आदि वाहन खरीद रहे हैं. लेकिन सरकार की Vehicle Scrappage Policy के अनुसार ये कुछ ही सालों में कबाड़ हो जाएंगे.

अगर आप ई कार, ई बाइक या कोई भी ई वाहन खरीद रहे हैं तो आपको ये जरूर जानना चाहिए कि ये कितने सालों में चलन से बाहर हो जाएंगे. इसके लिए सरकार की एक Vehicle Scrappage Policy है जिसके आधार पर ये तय होता है कि सड़कों पर आपके वाहन कितने साल चलने के बाद कबाड़ हो जाएंगे.

क्या है व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी? (Vehicle Scrappage Policy in Hindi)

Vehicle Scrappage Policy सरकार की एक नीति है जो ये तय करती है कि आपके द्वारा खरीदा गया कोई भी वाहन कितने सालों तक सड़कों पर चलेगा. जैसे आजकल कई पुरानी गाड़ियों के सड़कों पर चलाये जाने पर कार्यवाही होती है. ये ठीक उसी तरह रहेगा.

इस पॉलिसी में पेट्रोल, डीजल और इलेक्ट्रोनिक व्हीकल शामिल है. सरकार इस पॉलिसी में ये बता चुकी है कि ‘कितने सालों में आपके वाहन कबाड़ हो जाएंगे?’ इस पॉलिसी का मुख्य मकसद ये होगा कि सड़कों पर आधुनिक गाडियाँ दौड़े और प्रदूषण कम हो. अगर कोई वाहन Vehicle Scrappage Policy के तहत कबाड़ हो चुका है और सड़कों पर दौड़ रहा है तो सरकार उस पर कार्यवाही कर सकती है.

इसे आप वैसे ही समझ सकते हैं जैसा कि स्मार्टफोन में होता है. यदि किसी स्मार्टफोन में कोई बहुत पुराना ऑपरेटिंग सिस्टम डला होता है तो काफी सारे एप उस पर अपना काम करना बंद कर देते हैं. क्योंकि एप बनाने वाली कंपनी उस सिस्टम के लिए एप ही नहीं बनाती. मतलब वो स्मार्टफोन इनके नजरिए से Scrap हो चुके हैं.

पेट्रोल-डीजल वाहन कितने साल में कबाड़ होंगे? | Life of Petrol and diesel vehicle?

Vehicle Scrap Policy के अनुसार यदि पेट्रोल वाहनों की बात की जाए तो ये 15 साल में कबाड़ हो जाएंगे और डीजल वाहन 20 साल में. इसमें जो निजी वाहन है उनके लिए 20 साल की सीमा दी गई है. वहीं कमर्शियल वाहनों को 15 साल की सीमा दी गई है.

e-Vehicle कितने सालों में कबाड़ हो जाएंगे ? | e-Vehicle Scrappage Policy

नई व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के अनुसार ई वाहन जैसे कार, बाइक, स्कूटर, बस, रिक्शा आदि को लेकर भी वही नियम हैं जो पेट्रोल और डीजल वाहनों को लेकर है. इसमें भी कमर्शियल वाहन 15 साल और निजी वाहन 20 साल में कबाड़ हो जाएंगे.

Vehicle Scrap Policy के फायदे

केंद्र सरकार के अनुसार Vehicle Scrap Policy के कई सारे फायदे हैं. जैसे :

– करीब एक करोड़ पुराने वाहन सड़क से हट जाएंगे

– पुरानी गाडियाँ हटने से प्रदूषण में कमी आएगी

– गाड़ियों में तेल की खपत कम होगी और रख रखाव सस्ता होगा

– कार की स्क्रेपिंग वैल्यू गाड़ी के मालिकों को दी जाएगी

– नई गाड़ी खरीदने के लिए 5 प्रतिशत की छूट दी जाएगी, रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स में भी छूट मिलेगी.

– देश में निवेश और रोजगार बढ़ेगा, देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी.

क्यों जरूरी है व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी?

आप सोच रहे होंगे कि एक तो इंसान इतनी मुश्किल से कोई वाहन खरीदता है और अगर वो भी 15 से 20 साल बाद चलन से बाहर हो जाए तो कितनी दिक्कत होगी. असल में यदि इन्हें चलन से बाहर नहीं किया गया तो ज्यादा दिक्कत होगी. क्योंकि

– 70 प्रतिशत वायु प्रदूषण के लिए पुरानी गाडियाँ जिम्मेदार हैं.

– नई गाड़ियों के मुकालबे पुरानी गड़िया 10-12 फीसदी अधिक प्रदूषण करती है.

– एक पुराना ट्रक या बस 14 नई बस और ट्रक के बराबर प्रदूषण करता है.

– एक पुरानी टैक्सी 11 नई टैक्सी के बराबर प्रदूषण फैलाती है.

– 40 प्रतिशत सड़क हादसों के लिए पुरानी गाडियाँ जिम्मेदार हैं.

नई स्क्रैप पॉलिसी से आपके वाहन तो कबाड़ हो जाएंगे लेकिन इसकी वजह से हम पर्यावरण को बचा सकेंगे ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियाँ खुली हवा में सांस ले सके.

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