तिरंगा कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जानिए तिरंगे की यात्रा?

भारत में 15 अगस्त और 26 जनवरी के मौके पर तिरंगे को फहराया जाता है. भारत की पहचान तिरंगा आज जिस स्वरूप में हमें दिखाई देता है वैसा हमेशा से नहीं था. इसका एक लंबा इतिहास रहा है.

भारत के राष्ट्रीय ध्वज में कई बार परिवर्तन किए गए हैं. भारत में जब ब्रिटिश शासन शुरू हुआ तो उससे पहले भारत भी भारत में अलग-अलग ध्वज फहराए जाते थे. उस समय पर भारत में अलग-अलग जगह पर अलग-अलग लोगों के शासन हुआ करते थे.

भारत के इतिहास के अनुसार भारत के कुछ राज्यों पर मुगल साम्राज्य काबिज था तो कुछ पर हिन्दू शासन हुआ करता था. भारत में कई रियासते हुआ करती थी कई राज्य हुआ करते थे. इसलिए उस समय सम्पूर्ण भारत के लिए कोई एक ध्वज नहीं था.

अंग्रेजों के शासन के शुरू होने के बाद जब उनका अत्याचार बढ़ता गया और वे देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़ते गए तो भारत संगठित होना शुरू हुआ और तब सबने एक साथ मिलकर देश की आजादी की लड़ाई लड़ी.

भारत का पहला झण्डा साल 1906 में अस्तित्व में आया था.  उस समय कलकत्ता में इसे फहराया गया था. इसमें तीन रंग हरा, पीला और लाल रंग था. बीच में वंदे-मातरम लिखा हुआ था. इसके साथ ही इसमें चाँद-सूरज और 8 कमल के फूल भी थे.

साल 1907 में ही इसमें संशोधन किया गया और मैडम काम और कुछ क्रांतिकारी साथियों ने मिलकर पेरिस में भारत का एक झण्डा फहराया. इसमें केसरिया, पीला तथा हरे रंग की पट्टियां थी. बीच में वंदे मातरम लिखा हुआ था. इसके साथ ही इसमें चाँद, सूरज तथा 8 सितारे बने हुए थे.

साल 1917 में एनी बेसेंट और लोक मान्य तिलक ने एक नया झण्डा फहराया जिसमें पाँच लाल और 4 हरे रंग की पट्टी  थी. इसमें सात तारे, आधा चाँद और सितारे थे.  बाईं तरफ इसमें यूनियन जैक भी था.

साल 1921 में भारत को चौथा झण्डा मिल. इसे गांधीजी द्वारा चुना गया था. इसमें लाल, सफेद और हरे रंग की पट्टी थी. इसके साथ ही बीच में चरखा भी दिया था जो देश के विकास को दर्शाता था.

साल 1931 में कांग्रेस के द्वारा फिर से भारत के झंडे को बदला गया और आधिकारिक तौर पर अपनाया गया. इसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टी थी और चरखा केंद्र में रखा गया था.

1931 में बना झंडा ही आज के वर्तमान भारतीय तिरंगे से काफी मिलता जुलता है. हालांकि 1947 में इसमें थोड़ा संशोधन करते हुए चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को रखा गया.

1931 में जो झण्डा बना था वो आज के तिरंगे से काफी हद तक मिलता-जुलता है. असल में साल 1947 में पुराने झंडे में परिवर्तन किए गए थे. इसमें चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को लगाया गया था.

उस समय जो तिरंगा डिजाइन किया गया था वो आज भी देश की पहचान बना हुआ है. इतनी लंबी यात्रा करके तिरंगा आज आपको वर्तमान स्वरूप में दिखाई देता है.

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