कब और किसने बनाया था तिरंगा?

13-15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा अभियान’ सरकार के द्वारा चलाया जा रहा है. जिसमें सरकार का कहना है कि भारत में हर व्यक्ति अपने घर पर तिरंगा लगाए.

तिरंगा भारत की शान है लेकिन तिरंगे को किसने बनाया था इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं.  तिरंगे को बनाने वाले भारतीय की कहानी आप आगे की स्लाइड में पढ़ेंगे.

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा तीन रंग केसरिया, सफेद और हरा तथा अशोक चक्र से मिलकर बना है. इसमें हर रंग की अपनी कहानी है अपना महत्व है.

तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है. केसरिया रंग बलिदान का प्रतीक कहा जाता है. ये हिम्मत और निस्वार्थ भवन को दिखाता है. हालांकि इसका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी है. ये अध्यात्म और ऊर्जा का प्रतीक है.

तिरंगे के बीच में सफेद रंग होता है. इसे शांति और ईमानदारी का प्रतीक माना गया है. भारतीय दर्शन शास्त्र में इसे ज्ञान का प्रतीक भी माना गया है.

तिरेंगे के नीचे की ओर हरा रंग होता है. ये देश की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है. ये भारत की हरियाली को दर्शाता है साथ ही प्रकृति से जुड़ाव देता है.

आप जो वर्तमान में तिरंगा देखते हैं उसका स्वरूप हमेशा से ऐसा नहीं था. साल 1947  से पहले देश का एक अलग झण्डा हुआ करता था. ये अभी की तरह ही दिखता था लेकिन इसमें बीच में चरखा होता था.

भारत के वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को डिजाइन करने वाले व्यक्ति आंध्र प्रदेश के पिंगली वैंकेया थे.  इन्होंने 45 साल की उम्र में तिरंगे को डिजाइन किया था.  22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था.

पिंगली वैंकेया 19 साल की उम्र में ब्रिटिश आर्मी के सेना नायक बन गए थे. अफ्रीका में इनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी. तब वे देश सेवा के लिए प्रेरित हुए और भारत वापस लौट आए. इसके बाद इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया.

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