15 अगस्त को ही क्यों आजाद हुआ था भारत, जानिए किसने तय की थी तारीख?

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भारत को आजाद हुए 75 वर्ष हो चुके हैं और इसी अवसर पर भारत में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है.

सभी जानते हैं कि भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि भारत 15 अगस्त को ही क्यों आजाद हुआ था? भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख ही क्यों चुनी गई थी?

ब्रिटिश शासन से पहले भारत के अधिकतर भागों पर मुगल साम्राज्य स्थापित हो चुका था. लेकिन साल 1600 के अंत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ प्रथम से एक रॉयल चार्टर लेकर आई.

तब भारत में व्यापार करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई. ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार तो कर रही रही थी लेकिन साथ ही भारतीय लोगों का शोषण कर रही थी, भारत में जो रियासते थी उन्हें अपने कब्जे में ले रही थी.

अंग्रेजों ने अपनी कूटनीति से सभी व्यापारिक कंपनियों को बाहर खदेड़ दिया और अपनी व्यापारिक संस्था का विस्तार किया. साल 1857 में जब भारतीय लोगों ने इनके खिलाफ आंदोलन किया जिसे 1857 की क्रांति कहा जाता है तो भारत में ब्रिटिश शासन का हस्तक्षेप हुआ.

1857 की क्रांति के बाद भारत में ब्रिटिश ताज का शासन शुरू हुआ और ईस्ट इंडिया कंपनी को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया. ब्रिटिश ताज ने कुछ सालों तक भारत के शासन को संभालने की कोशिश की लेकिन इनकी नीतियों के चलते भारत में इनके विरुद्ध आंदोलन शुरू हो गया.

कई वर्षों तक स्वतंत्रता संग्राम चलते रहे. अंत में ब्रिटिश संसद ने लॉर्ड माउण्टबेटन को 30 जून 1948 तक सत्ता को हस्तांतरित करने का आदेश दे दिया. हालांकि माउण्टबेटन ने इसे 15 अगस्त 1947 को सौंपा.

स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय गवर्नर सी राजगोपालचारी के अनुसार माउण्टबेटन सत्ता हस्तांतरित करने के लिए और समय ले सकते थे क्योंकि वे ये सुनिश्चित करना चाहते थे कि कोई दंगा या रक्तपात न हो.

माउण्टबेटन द्वारा ब्रिटिश सरकार को दी गई समीक्षा के बाद 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद के हाउसोफ़ कॉमन्स में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम को पारित कर दिया गया था.  18 जुलाई 1947 को इसे शाही स्वीकृती भी मिल चुकी थी.

फ़्रीडम एट मिडनाइट में बताया गया है कि उन्होंने भारत की आजादी के लिए जो तारीख चुनी वो किसी प्लानिंग का हिस्सा नहीं थी बल्कि उन्होंने अचानक से चुनी थी.  वे ये बताना चाहते थे कि सब कुछ उनके हाथ में है.

माउंटबेटन से जब तारीख तय करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने 15 अगस्त का सुझाव दिया. उनका कथन था कि इस दिन दूसरे विश्वयुद्ध में जापान ने आत्मसमर्पण किया था.  माउंटबेटन के कहने पर ही 15 अगस्त को भारत की आजादी का दिन मुकर्रर किया गया था.

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