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लोन लेने से पहले जानिए क्या है Fixed & Floating Rate?

fixed and floating rate in hindi

होमलोन या फिर कोई और लोन हो. हर लोन में आपको ब्याज देना होता है और उसका रिपेमेंट आपको EMI के रूप में करना होता है. लोन लेते समय आपको ब्याज की दर बताई जाती है और आप उसी के आधार पर लोन लेते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं की EMI पर लगने वाली ब्याज दरें भी दो तरह की होती हैं. अगर आप लोन ले रहे हैं तो आपको इन दोनों तरह की ब्याज दरों के बारे में जानना चाहिए.

ब्याज दर के प्रकार (Types of Interest Rate) 

एक ही तरह के लोन पर अलग-अलग बैंक की ब्याज दरों में थोड़ा बदलाव हो सकता है. जैसे कोई एक बैंक यदि होम लोन 7 प्रतिशत ब्याज दर पर दे रही है तो दूसरी बैंक उसी होम लोन को 8 प्रतिशत पर भी दे सकती है. हालांकि ये आपके प्रोफ़ाइल और बैंक पर निर्भर करता है कि आपको किस ब्याज दर पर लोन देना है.

लोन लेते समय एक निश्चित ब्याज दर तो आपको बताई जाती है लेकिन आगे चलकर ये बदल भी सकती है. असल में लोन पर लगने वाली ब्याज दर दो तरह की होती है, जिन्हें fixed rate और floating rate कहा जाता है.

फ़िक्स्ड रेट क्या होता है? (Fixed Rate in Hindi)

कोई बैंक लोन देते समय यदि आपको Fixed rate ऑफर कर रहा है तो इसका मतलब ये है कि उस बैंक ने जो ब्याज दर आपको लोन देते समय बताई है. आपको बस उसी के हिसाब से ब्याज देना है. मतलब आपने यदि 9 प्रतिशत ब्याज दर पर लोन लिया है तो आपने जितने समय के लिए भी लोन लिया है आपको उतने समय तक 9 प्रतिशत ब्याज दर के हिसाब से ही ब्याज देना है. ये जब तक आपका लोन चलेगा तब तक नहीं बदलने वाली.

फ़िक्स्ड रेट का फायदा (Fixed Rate Benefits)

Fixed Rate लेने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि आपको Loan Tenure तक एक ही रेट से ब्याज देना होता है. हम सभी जानते हैं कि लोन पर ब्याज दर हमेशा बढ़ते ही है. इनके कम होने के चांस बेहद कम होते हैं. इसलिए Fixed Rate पर लोन लेना एक बेहतरीन चॉइस मानी जाती है.

फ्लोटिंग रेट क्या होता है? (Floating Rate in Hindi)

कोई बैंक लोन देते समय यदि आपको Floating Rate ऑफर कर रहा है तो इसका मतलब ये है कि बैंक ने जो ब्याज दर आपको लोन देते समय बताई है वो आगे चलकर बदल सकती है. जब आप EMI देंगे तो वो EMI पर ब्याज उस समय की ब्याज दर के हिसाब से होगा. मान लीजिये आपने जब लोन लिया तो आपकी ब्याज दर 9 प्रतिशत थी. आपने एक साल तक 9 प्रतिशत के हिसाब से EMI जमा की. लेकिन अगले ही साल ब्याज दर 9.5 प्रतिशत हो गई. तब आपको 9.5 प्रतिशत के हिसाब से EMI जमा करनी होगी.

फ्लोटिंग रेट का फायदा (Floating Rate Benefit)

Floating Rate पर लोन लेने कुछ हद तक फायदा होता है. असल में हर दो महीने में RBI की Monetary Policy आती है. जिसमें ब्याज दरों में बदलाव किए जाते हैं. ऐसे में कई बार महंगाई को कंट्रोल करने के लिए ब्याज दरों में कटौती भी की जाती है. जिसका असर सीधे आपकी EMI पर पड़ता है. यदि ब्याज दरों में कटौती हुई तो आपकी ईएमआई अपने आप कम हो जाएगी.

कौन सी रेट है फायदेमंद?

लोन लेते समय कौन सी रेट आपके लिए फायदेमंद हो सकती है. इसका जवाब देना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन लोन लेने वाले ग्राहक अधिकतर Fixed Rate को ही चुनते हैं. क्योंकि हम सभी जानते हैं कि ब्याज दरें घटती कम है और बढ़ती ज्यादा है. इसके अलावा अगर आप Floating Rate पर लोन लेते हैं तो आपकी EMI कितनी आएगी ये आपको पता नहीं रहता. इसलिए Fixed rate पर लोन लेना बेहतर रहता है. क्योंकि इसमें EMI और ब्याज के बारे में आपको पहले से पता होता है.

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