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Sensex क्या होता है, सेंसेक्स ऊपर नीचे होने का मतलब क्या होता है?

शेयर मार्केट (Share market) में सेंसेक्स (SENSEX) के बारे में तो आपने सुना ही होगा. आए दिन खबरों में सुनने को मिलता है की सेंसेक्स ऊपर उठा, नीचे गिरा. नीचे गिरा तो बहुत नुकसान हुआ. ये सब हम बस सुनते और पढ़ते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं की सेंसेक्स क्या होता है? (What is sensex?) सेंसेक्स कैसे बढ़ता-घटता है? (Sensex ups and down condition)

सेंसेक्स क्या होता है? (What is sensex?)

सेंसेक्स शेयर मार्केट का ही एक भाग है. सेंसेक्स बीएसई (BSE) के अंतर्गत आता है. बीएसई यानि बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज (Bombay stock exchange). सेंसेक्स का पूरा नाम सेंसिटिव इंडेक्स (Sensitive index) होता है. ये बीएसई का बेंचमार्क है. दरअसल बीएसई के अंतर्गत कई सारी कंपनियां हैं. इन कंपनियों के शेयर के दाम ऊपर-नीचे होते रहते हैं. इन दामों को सेंसेक्स के जरिये बताया जाता है. सेंसेक्स एक तरह का इंडेक्स है जो इन कंपनियों के शेयर के दामों को बताता है.

बीएसई क्या है? (What is BSE?)

बीएसई भारत का पहला और सबसे बड़ा स्टॉक एक्स्चेंज है. इसे साल 1875 में शुरू किया गया था. बीएसई के अंतर्गत लगभग 6000 कंपनियां लिस्टेड हैं. बीएसई में इन 6000 कंपनियों की जगह 30 प्रमुख कंपनियों ने ली है जो इन कंपनियों का नेतृत्व करती हैं. इन 30 प्रमुख कंपनियों को ब्लू चिप कंपनियाँ कहा जाता है. सेंसेक्स में आने वाली वैल्यू इन 30 कंपनियों के शेयर से आती है.

सेंसेक्स की शुरुवात और वैल्यू (Sensex history and value)

सेंसेक्स को साल 3 जनवरी 1986 में शुरू किया गया था. उस समय इसकी वैल्यू 100 मानी गई थी. सेंसेक्स की वैल्यू को 100 इसलिए माना गया था ताकि इसमें होने वाले उतार-चढ़ाव को आसानी से समझा जा सके. इसकी वैल्यू 100 रुपये से शुरू होकर आज लगभग 30 हजार तक पहुँच चुकी है.

सेंसेक्स कैसे निकाला जाता है? (How to calculate sensex?)

सेंसेक्स निकालने के लिए इन 30 कंपनियों के शेयर पर नजर राखी जाती है. इसे निकालने के लिए Free Float marketing capitalization method का उपयोग किया जाता है. Free Float का मतलब होता है, ऐसे शेयर जो खरीदने या बेचने के लिए बाजार में उपलब्ध हो. वैसे कंपनी के सारे शेयर बेचने के लिए नहीं लाये जाते. कुछ शेयर कंपनी खुद अपने पास या सरकार अपने पास रखती है.

मार्केट केपिटलाइजेशन क्या होता है? (What is market capitalization?)

आपने कई बार ये सुना होगा की किसी कंपनी के शेयर गिरने से उसकी मार्केट वैल्यू कम हो गई या उसकी मार्केट केपिटलाइजेशन कम हो गई. मार्केट केपिटलाइजेशन हमेशा स्टॉक एक्स्चेंज में मौजूद सभी कंपनी के शेयर के पैसों के बराबर होता है. किसी कंपनी का कितना मार्केट कैप है ये इस बात पर तय करता है की उस कंपनी के कितने शेयर मार्केट में है और उनकी क्या वैल्यू है.

बीएसई की टॉप 30 कंपनियां (BSE top 30 company list)

बीएसई में सेंसेक्स के लिए टॉप 30 कंपनियाँ है. सेंसेक्स हर मिनट में बदलता है. ऐसे में 6000 कंपनियों के शेयर की हर मिनट में वैल्यू निकालना काफी मुश्किल काम है. इसलिए बीएसई ने 30 ब्लू चिप कंपनियों को चुना है.

Source : wikipedia

सेंसेक्स के ऊपर और नीचे होने का मतलब (Sensex trading means)

कोई भी कंपनी जब अपने शेयर लाती है तो उसका मतलब होता है की वो लोगों से निवेश करवाना चाहती है ताकि उस कंपनी की वृद्धि हो और उसका बिजनेस और बढ़ सके. कंपनी किसी निश्चित दाम पर अपने शेयर को लॉंच करती है. इसके बाद अगर वो शेयर अच्छे बिकते हैं और कंपनी को फायदा होता है तो शेयर के दाम बढ़ जाते हैं. शेयर के दाम बढ्ने के साथ ही सेंसेक्स की वैल्यू भी बढ़ जाती है इसे सेंसेक्स का उठना कहते हैं. कई लोग इसे सेंसेक्स में उछाल भी कहते हैं. इसके अलावा जब लोग किसी कंपनी के शेयर में से अपना पैसा निकालने लगते हैं तो उस कंपनी का मार्केट केपिटलाइजेशन घाट जाता है और शेयर के दाम कम होते चले जाते हैं. इससे सेंसेक्स की वैल्यू में कमी आ जाती है. इसको सेंसेक्स का गिरना कहते हैं.

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