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ventilator kya hota hai

किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य जब ज्यादा खराब हो जाता है तो उसे अस्पताल में भर्ती किया जाता है. डॉक्टर कहते हैं की ICU में Ventilator पर रखना होगा. कई लोग इस बात का मतलब समझते हैं लेकिन कई लोग ये नहीं जानते कि Ventilator क्या होता है? (Ventilator in hindi) वेंटिलेटर कैसे काम करता है? और Ventilator price कितना होता है?

Ventilator क्या है?

Ventilator एक मशीन होती है (What is Ventilator?) जो रोगी को सांस लेने में मदद करती है. जिस मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है उनके मुंह, नाक या गले में छोटा सा कट करके एक नली के द्वारा oxygen को भेजा जाता है. इसे ही वेंटिलेटर कहा जाता है. इसे मैकेनिकल वेंटिलेटर (Mechanical Ventilator) भी कहा जाता है क्योंकि जब रोगी प्राकृतिक तरीके से सांस नहीं ले पाता तो इसके जरिये उसके शरीर में हवा भेजी जाती है. इसका मुख्य काम फेफड़ों तक ऑक्सीजन को पहुंचाना, शरीर से कार्बनडाइऑक्साइड को बाहर निकालना होता है. वेंटिलेटर को तब तक ही उपयोग किया जाता है जब तक मरीज ठीक से सांस नहीं ले पा रहा हो.

Ventilator कैसे काम करता है?

Ventilator एक मशीन है जो ऑक्सीजन सिलेन्डर से जुड़ी होती है और मरीज को सांस लेने में मदद करती है. (How ventilator works?) इसमें एक ट्यूब होती है इसे रोगी के मुंह, गले या नाक पर लगाकर फेफड़ों की नली में उतारा जाता है ताकि वो सही तरीके से सांस ले पाये. इसकी मदद से उसके फेफड़ों में ऑक्सीजन भेजी जाती है. Ventilator oxygen के फ्लो को मोनिटर करने का भी काम करता है. इसकी नली या तो सीधे नाक या मुंह के जरिये लगा दी जाती है. लेकिन कभी-कभी इसे लगाने के लिए गले पर हल्का सा कट या फिर सर्जरी भी करनी पड़ती है.

वेंटिलेटर के प्रकार

वेंटिलेटर मुख्य तौर पर दो प्रकार (Types of ventilator) के होते हैं. 1. पॉज़िटिव प्रेशर वेंटिलेटर 2. नेगेटिव प्रेशर वेंटिलेटर

1. पॉज़िटिव प्रेशर वेंटिलेटर (Positive Pressure Ventilator)

ये शरीर पर पॉज़िटिव प्रेशर बनाने वाले वेंटिलेटर होते हैं जो सीधे फेफड़ों में ऑक्सीजन का संचार करते है. इसमें भी तीन प्रकार के पॉज़िटिव प्रेशर वेंटिलेटर होते हैं.

A) वॉल्यूम साइकिल्ड वेंटिलेटर (Volume Cycled Ventilator)

इस तरह के वेंटिलेटर का उपयोग अधिकांश रोगियों पर किया जा सकता है. ये शरीर के वायुमार्ग पर तब तक दबाव बनाते हैं जब तक कि पहले से निरधारती की मात्रा के बराबर वायुदाब न होने लगे. मतलब ये तब तक अपना काम करते हैं जब तक फेफड़ों को सहीं तरीके से ऑक्सीजन मिलने लगे और वे सही से काम करने लगे.

B) प्रेशर साइकिल्ड (Pressure cycled ventilator)

प्रेशर साइकिल्ड वेंटिलेटर में प्रेशर की मात्रा पहले से ही तय होती है. ये 50 PSI तक की रेंज के वेंटिलेटर होते हैं. ये श्वास नली पर पॉज़िटिव प्रेशर डालते हैं. मतलब अंदर की ओर ऑक्सीजन का संचार करते हैं.

C) टाइम साइकिल्ड (Time Cycled ventilator)

इस तरह के वेंटिलेटर का उपयोग शिशुओं के लिए किया जाता है. इस प्रकार के वेंटिलेटर में समय पहले से निर्धारित किया जाता है. उस निर्धारित समय पर पहुँचने तक वेंटिलेटर पॉज़िटिव प्रेशर बनाता रहता है.

2. नेगेटिव प्रेशर वेंटिलेटर (Negative pressure ventilator)

इसका उपयोग थोड़ा कम किया जाता है. आमतौर पर इसका उपयोग फेफड़ों से कार्बनडाइऑक्साइड को बाहर निकालने के लिए किया जाता है. इसमे लगाए गए फोर्स के कारण छाती उठती है और फैलती है. इसका प्रेशर सीधे रोगी की छाती पर लगाया जाता है.

वेंटिलेटर की कीमत

अस्पताल में कोई व्यक्ति भर्ती है और उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है तो सिर्फ वेंटिलेटर का ही एक दिन का चार्ज 4 हजार से 10 हजार रुपये (Ventilator charge in hospital) के बीच हो सकता है. अगर कोई व्यक्ति घर पर वेंटिलेटर को इन्स्टाल करवाना चाहता है तो उसे स्वदेशी वेंटिलेटर खरीदने पर 4.75 लाख से 5.5 लाख रुपये (Ventilator price in india) तक खर्च करने होंगे. वहीं विदेशी वेंटिलेटर के लिए आपको कम से कम 7 लाख रुपये तक खर्च करने होंगे.

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए देश में वेंटिलेटर की काफी ज्यादा जरूरत हो रही है क्योंकि अधिकतर लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. ऐसे में आप घर पर रहकर इस चीज का इलाज नहीं कर सकते हैं. इस लेख के माध्यम से वेंटिलेटर के बारे में आप काफी सारी चीजे समझ गए होंगे.

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