Stamp Paper Scam देश का एक प्रमुख घोटाला है, जो 20 हजार करोड़ रुपये का हुआ था. इसी घोटाले को लेकर ‘Scam 2003’ वेबसीरीज बनने जा रही है. ये वेबसीरीज ठीक उसी तरह बनेगी जिस तरह हर्षत मेहता की ‘Scam 1992’ बनी थी.
भारत में आए दिन कोई न कोई घोटाला सामने आता रहता है. कोई घोटाला सरकार के द्वारा किया जाता है, कोई किसी मंत्री के द्वारा, कोई किसी सरकारी अधिकारी के द्वारा तो कोई घोटाला किसी बिजनेसमैन के द्वारा.
Stamp Paper Ghotala भारत का सबसे चर्चित घोटाला रहा है. इसके मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी को कोर्ट द्वारा सजा भी सुनाई गई थी लेकिन अब अब्दुल करीम तेलगी ज़िंदा नहीं है. अब्दुल करीम तेलगी कौन है (Who is Abdul Karim Telgi?) और उसने कैसे इतने बड़े घोटाले की साजिश रची? इस नई वेबसीरीज के आने से पहले जानते हैं.
कौन है अब्दुल करीम तेलगी? (Who is Abdul karim Telgi?)
अब्दुल करीम तेलगी एक आम इंसान था, जो काफी गरीबी से निकलकर इतने बड़े घोटाले का मास्टरमाइंड बना था. अब्दुल करीम तेलगी साल 1961 में कर्नाटक के खानपुर में जन्म था.
करीब के पिता रेलवे कर्मचारी थे और कम उम्र में ही चल बसे. उस समय परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए करीम ने रेलवे स्टेशन पर ठेला लगाकर सब्जी, फल और मूंगफली बेचने का काम करता था. किसी तरह अब्दुल करीम ने गरीबी में अपना बचपन जिया और इंटरमिडिएट तक अपनी पढ़ाई पूरी की.
पैसा कमाने के लिए गया सऊदी (Abdul Karim Telgi and Saudi Connection)
जिस दौर में अब्दुल करीम जवान हो रहा था उस दौर में पैसा कमाने के लिए लोग सऊदी जाते थे. वहां कम समय में ज्यादा पैसा कमाने का चलन था और भारतीय युवा इसी चलन के चलते सऊदी में जाकर काम कर रहे थे.
अब्दुल करीम सऊदी गया और उसने खूब सारा पैसा कमाया. सऊदी में रहने के दौरान ही उसमें ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने का जुनून सवार हो गया. सऊदी से पैसा कमाकर वो वापस भारत लौट आया.
मुंबई से शुरू किया फर्जी स्टांप बनाने का धंधा (Fake Stamp Scam 2003)
अब्दुल करीम सऊदी से पैसा लेकर लौटा और आकर एक ट्रैवल एजेंट बना. वो जानता था कि देश दुनिया के हर काम में स्टांप पेपर और कई तरह के सरकारी कागजात की जरूरत पड़ती है तो मुंबई आकर उसने नकली स्टांप पेपर (Telgi Scam 2003) बनाने का काम शुरू किया, जिससे वह सऊदी में लोगों को भेज सके.
अब्दुल करीम के काम की भनक 1993 में इमिग्रेशन अथॉरिटी को लग गई और उसने करीम के एक्शन पर नजर रखना शुरू कर दी. जिसके बाद अब्दुल करीम को जेल की हवा खानी पड़ी. अब्दुल करीम पर चीटिंग और जालसाजी का आरोप लगा था.
जेल में लिखी घोटाले की कहानी (Explain Fake Stamp Paper Scam 1993?)
अब्दुल करीम जब पुलिस कस्टडी में थे तो उनकी मुलाक़ात राम रतन सोनी से हुई. राम रतन एक सरकारी स्टांप वैंडर थे जो कलकत्ता के थे और वहीं उनका सारा कारोबार था. जेल के अंदर दोनों की पहचान हुई और इस स्टांप पेपर घोटाले के आइडिया ने जन्म लिया.
राम रतन सोनी ने अब्दुल करीम को तेलगी को स्टैम्प और गैर न्यायिक स्टांप पेपर बेचने के लिए कहा जिसके बदले में कमीशन की डिमांड की. इसके बाद अब्दुल करीम तेलगी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
साल 1994 में अब्दुल करीम ने सोनी के साथ काम करते हुए अपने कनैक्शन का सहारा लिया और लाइसेन्स लेकर एक लीगल वेंडर बना गया. दोनों ने मिलकर कई जाली स्टांप पेपर तैयार किए और अपने बिजनेस को आगे बढ़ाया. ये दोनों असली स्टांप पेपर के साथ नकली स्टांप पेपर मिलाकर बेचते थे, जिससे ये खूब सारा पैसा कमा रहे थे.
टूट गई पार्टनरशिप और बिखरने लगा बिजनेस (How did stamp paper scam in India?)
साल 1995 में अब्दुल करीम तेलगी और राम रतन सोनी ने अपने रास्ते अलग-अलग कर लिए. इस दौरान अब्दुल करीम तेलगी का बिजनेस मुश्किलों में फँसने लगा. इस दौरान मुंबई पुलिस ने अब्दुल करीम तेलगी के खिलाफ नकली स्टांप पेपर बेचने के आरोप में केस दाखिल किया और इनका लाइसेन्स कैंसल करवा दिया.
तेलगी इस समय तक इतने माहियार हो चुके थे कि वे इन सबसे निकलना सीख गए थे. अब्दुल करीम तेलगी ने पावरफुल लोगों को हायर करके अपनी खुद की प्रेस खोली. अपने बिजनेस को भारत के कई शहरों में फैलाया.
लोग नकली स्टांप पेपर को खरीदने लगे. कई जगह पर इन स्टैम्प पेपर की वजह से गलत ढंग से प्रॉपर्टी रजिस्टर के जा रही थी. फेक इन्शुरेंस के डॉकयुमेंट बनाए जा रहे थे. जो भी सरकारी काम स्टांप की मदद से होता था उसमें इनके कारण गड़बड़ी होने लगी. आगे चलकर ये पूरा घोटाला 20 हजार करोड़ रुपये का बन गया.
कैसे उजागर हुआ स्टांप घोटाला? (How fake stamp scam identify?)
स्टांप घोटाले की भनक मुंबई पुलिस को भी थी और उन्होने इसे पकड़ने की काफी कोशिश भी की थी. कई दिनों से पुलिस ने इन पर नजर बनाए रखी थी, इनके बिजनेस को भी पुलिस फॉलो कर रही थी.
साल 2000 में दो लोग फेक स्टांप पेपर बेचते हुए बैंगलोर में पकड़ाये थे. इन दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद ये पूरा घोटाला उजागर हुआ, जिसके बाद साल 2001 में अब्दुल करीम तेलगी को गिरफ्तार किया गया.
बाद में इस केस को सीबीआई को सौंपा गया जिसमें पाया गया कि पूरे देश में तेलगी का बिजनेस चल रहा था. उसके पास 36 प्रॉपर्टी थी. 100 से ज्यादा बैंक अकाउंट थे जो 18 देशों में खोले गए थे. पूरे घोटाले को 20 हजार करोड़ रुपये का घोटाला माना गया था.
इस घोटाले ने पूरे देश को हिला दिया था. साल 2006 में अब्दुल करीम तेलगी और उनके साथियों को 30 साल की सजा सुनाई गई थी. सभी पर 202 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. साल 2017 में जेल मे रहने के दौरान ही मल्टीपल ऑर्गन फेलयोर की वजह से अब्दुल करीम तेलगी की मौत हो गई थी.
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