Sun. Apr 28th, 2024

श्रमजीवियों की अपेक्षा बड़े आदमी कहलाने वालों को हृदयरोग अधिक घेरते हैं. इस दृष्टि से उनकी शारीरिक श्रम से बचे रहने की आरामतलबी बहुत महंगी पड़ती है. इसी प्रकार उनका चिकनाई प्रधान मसालेदार भुनातला बहुमूल्य आहार अमीरों की शान तो बढ़ाता है परन्तु परिणाम में वह भी हृदय रोग जैसी विपत्ति खड़ी कर देता है.

 क्या करें हार्ट पेशेंट?

यूं तो हृदय रोगियों को पूर्ण विश्राम की सलाह दी जाती है परन्तु यह तीव्र आघात के समय ही ठीक है. सामान्यतः उन्हें टहलने, मालिश करने, हल्के आसन जैसे कम दबाव डालने वाले शारीरिक श्रम करते रहना चाहिए ताकि रक्त संचार प्रणाली में अवरोध उत्पन्न न हो. उसी प्रकार उन्हें आहार में भी फल, शाक आदि ही लेना चाहिए. चिकनाई युक्त वस्तुओं को कम से कम लेना चाहिए. दूध भी मलाई निकालकर ही लेना अच्छा होता है.

 जानिए हार्ट अटैक के कारणों को

रक्त में एक घुलनशील प्रोटीन ‘फ्राई व्रिनोजन‘ पाया जाता है. यह चोट लगने पर रूप बदलता है और रक्त में मकड़ी के जाल के समान बुनाई कर देता है. रूधिर कण उसमें आकर अटक जाते हैं. यही वह थक्का होता है जो चोट लगने के स्थान से बहते हुए रक्त का द्वार बन्द करके उसे रोकता है.

कभी-कभी शारीरिक विकृतियों के कारण भी रक्त में ये थक्के तीव्र गति से बनना प्रारंभ कर देते हैं. वे रक्त नलिकाओं में भ्रमण करते हुए रक्त प्रवाह की स्वाभाविक प्रक्रिया में अड़चन उत्पन्न करते हैं. ये थक्के जहां अटक जाते हैं वहां बेचैनी व भड़भड़ाहट उत्पन्न करते हैं.

हाथ, पैर हृदय से दूर होते हैं अतः इन थक्कों को वहां के हल्के रक्तप्रवाह में अधिक ठहरने व रुकने की सुविधा मिल जाती है. फलस्वरूप जरा जरा-सी बात पर हाथ-पैरों में झनझनाहट होने लगती है. इसे दबाने से कुछ राहत मिलने का यही कारण है कि दबाने से वे थक्के किसी प्रकार कूट-पीसकर एक सीमा तक रक्त के प्रवाह के साथ आगे बढ़ने लायक हो जाते हैं.

चिकित्सकीय भाषा में रक्त के इन थक्कों को ‘थ्राम्बोसिस‘ कहा जाता है. ये कभी-कभी हृदय नलिका में जा पहुंचते हैं और ‘हार्टअटैक’ जैसे प्राणघातक संकट उत्पन्न कर देते हैं. यदि उनका अवरोध कुछ मिनट ही रक्त प्रवाह को अवरूद्ध कर दे तो समझना चाहिए कि हृदय की धड़कन बंद हुई और प्राण गये. थोड़ी देर का अवरोध भी भयंकर छटपटाहट पैदा कर देता है और रोगी को लगता है कि वह अब गया, तब गया.

हार्ट अटैक के लक्षणों को समझिए

बढ़े हुए रक्तचाप से अनिद्रा, दुर्बलता, मूर्च्छा, दौरे पड़ना, अपच, बुरे स्वप्न, पसीने की अधिकता जैसी शिकायतें होती हैं. रक्त में खटाई की मात्रा बढ़ना, शरीर एवं मस्तिष्क का उत्तेजित रहना व बढ़ा हुए रक्तचाप बताता है कि अवयवों के संचालन में जितनी ऊर्जा जुटाई जानी चाहिए, वह जुट नहीं पा रही है. इन विकारों को औषधियों द्वारा ही सामयिक रूप से ठीक किया जा सकता है.

शारीरिक एवं मानसिक संयम द्वारा ही हार्टअटैक को रोका जा सकता है. उसे अपनाकर उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, अनिद्रा, मधुमेह जैसे प्राण घातक रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है. अपच एवं अजीर्ण से बचते रहकर ही ब्लडप्रेशर एवं हार्टअटैक से बचा जा सकता है.

(नोट : यह लेख आपकी जागरूकतासतर्कता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि किसी बीमारी के पेशेंट हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.)

By आनंद कुमार अनंत

लेखक और पत्रकार.

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *