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भारतीय सिनेमा में हास्य का अपना एक विशेष महत्व है. बगैर किसी कॉमेडियन के हिंदी फिल्मों की कल्पना भी बेमानी सा लगता है, हालांकि वक्त के साथ हिंदी सिनेमा में भी बदलाव आया है. इस बदलाव के तहत फिल्मों में कॉमेडी और कॉमेडियन दोनों की कमी खलने लगी है. पुरानी हिंदी फिल्मों की जान रहे कुछ ऐसे ही कॉमेडियन जिनके निभाए किरदार अमर हो गए. 

बहुमुखी प्रतिभा वाले महमूद  

मुंबई में 29 सितंबर, 1932 को जन्में महमूद अपने किरदारों से दर्शकों को हंसाने व रूलाने दोनों में ही माहिर थे. उनके बहुमुखी अभिनय ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचाया. फ़िल्म फ़ेयर सहित कई पुरस्कार पाने वाले महमूद गायक, निर्माता और निर्देशक भी रहे. विकलांगों पर बनी फ़िल्म “कुँवारा बाप” उनकी अभिनय यात्रा में मील का पत्थर साबित हुई.

अंग्रेजों के जमाने के जेलर

राजस्थान के एक सिंधी परिवार में 1 जनवरी 1941 को जन्में असरानी का पूरा नाम ‘गोवर्धन असरानी’ है. हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन और चर्चित फिल्मों में से एक शोले में उन्होंने अपने किरदार अंग्रेजों  जमाने के जेलर को अमर कर दिया.

असरानी ने साल 1967 में ‘हरे कांच की चूड़ियां’ फ़िल्म से इंडस्ट्री में कदम रखा. हालांकि उन्हें पहचान ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म ‘सत्यकाम’ से मिली और कामयाबी का दौर जब शुरू हुआ तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. असरानी के बारे में कहा जाता है कि उन्हें इंटरव्यू देने से परहेज है, वे इससे बचते हैं. 

हर रोल को खुलकर जिए उत्पल 

हिंदी सिनेमा में शायद ही ऐसा कोई किरदार रहा हो जो उत्पल दा ने न निभाया हो. 29 मार्च, 1929 को पूर्व बंगाल के बारीसाल में जन्में उत्पल दत्त हिंदी के साथ ही बांग्ला फिल्मों में भी सक्रिय रहे. उत्पल दा को खासकर एक हास्य अभिनेता के रूप में याद किया जाता है.

साल 1979 में उन्होंने ‘भवानी शंकर’ का किरदार निभाकर आमोल पालेकर के साथ वाली फिल्म गोलमाल को सुपरहिट कर दिया. उत्पल दत्त एक उच्च दर्जे के अभिनेता के साथ ही एक कुशल निर्देशक और नाटककार भी थे. सीरियल से लेकर कॉमेडी तक के हर रोल को उन्होंने बड़ी संजीदगी से निभाकर यादगार बना दिया.

कॉमेडी किंग राजेंद्र नाथ 

राजेंद्र नाथ का जन्म 1931 को ब्रिटिश कालीन भारत के पेशावर शहर में एक पुलिस अधिकारी के घर में हुआ था. बड़े भाई प्राणनाथ ने पृथ्वी थियेटर में काम मिलने के बाद राजेंद्र को मुंबई बुला लिया था. राजेंद्र नाथ ने सबसे अधिक प्रभावी किरदार अपने दोस्त शम्मी कपूर  साथ वाली फिल्मों में निभाए. जानवर, जवां मोहबब्त, तुम हसीं मैं जवां, जैसी कई फ़िल्में राजेंद्र नाथ के करियर में मील का पत्थर साबित हुईं.

“सूरमा भोपाली” जगदीप 

मध्य प्रदेश के दतिया जिले में 19 मार्च 1939 को जन्में जगदीप यानी सैय्यद इश्तियाक अहमद जाफ़री के हाव-भाव देखकर दर्शकों को हंसी आने लगती है. जगदीप ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में बीआर  चोपड़ा की फ़िल्म अफसाना से की थी. 250 से भी ज़्यादा फ़िल्मों में काम कर चुके जगदीप के करियर की ‘शोले’, फिर वही रात, कुरबानी, शहनशाह, अंदाज अपना-अपना बेतरीन फिल्मों में से हैं.                              (सोर्स:भारतकोश.कॉम)

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