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Bhai Dooj 2023 : भाई दूज आज, जानें भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त, महत्व और पौराणिक कथा

भाई दूज भाई-बहन का पवित्र त्यौहार है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर लंबी उम्र के लिए पूजा करती है.

Bhai Dooj 2023 Date : कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में दिवाली के तीन दिन बाद भाई दूज (Bhai dooj) मनाया जाता है. इस साल यह त्यौहार 15 नवंबर को मनाया जाएगा. इस त्योहार के साथ ही पांच दिवसीय दीवाली का समापन होता है. 

भाई दूज भाई-बहन का पवित्र त्यौहार है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर लंबी उम्र के लिए पूजा करती है. तो आईए जानते हैं भाई दूज की पौराणिक कथा, तिथि और महत्व.

भाई दूज की तिथि (when is Bhai dooj in 2023)

भाई दूज का त्योहार 15 नवंबर 2023 बुधवार के दिन मनाया जाएगा. 15 नवंबर को दिन में 1 बजकर 47 मिनट तक मान्य रहेगी. इस तरह से उदयातिथि के अनुसार, भाई दूज का त्योहार 15 नवंबर को मनाया जाएगा.

तिलक करने का शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2023 Shubh Muhurt)

भाई दूज पर भाई के माथे पर तिलक करने के दो शुभ मुहूर्त हैं. पहला शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक है. जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजे तक है.

भाई दूज की पौराणिक कथा

भाई दूज को लेकर पौराणिक कथा यमुना जी और यमराज से जुड़ी हुई है. भगवान ने सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा की दो संताने थी, बेटा यमराज और बेटी यमुना. यम पापियों को दंड देते थे, यमी  को निर्मल करती थी. एक दिन जब यमराज को अपनी बहन की बहुत याद आने लगी तो वह उनसे मिलने उनके घर गए. भाई को अचानक देख यमी बहुत प्रसन्न हुई. उन्होंने अपने भाई के लिए तरह-तरह के पकवान बनाएं. यम को भोजन करने के बाद यमुना जी ने उन्हें तिलक लगाया और एक नारियल दिया.

बहन के इस सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने कहा कोई एक बार मांग लो. इस पर यामी ने अपने भाई यमराज से कहा कि मेरे पास सब कुछ है बस मुझे यही चाहिए कि साल में एक बार आप मिलने जरूर आए. यमराज ने अपनी बहन से वादा किया कि वह साल में एक बार मिलने जरूर आएंगे. तभी से भाई दूज के परंपरा शुरू हुई. मान्यता है कि इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाए और अपनी बहन से तिलक कारण तो उनकी उम्र लंबी होती है. साथ ही उनकी सारी समस्याएं भी दूर होती है.

दूसरी पौराणिक कथा

दूसरी कथा के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण ने रक्षा नरकासुर का वध किया उसके बाद वह अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे. भाई के आने की खुशी में सुभद्रा ने भी उनका पूरा सत्कार किया था और उन्हें तिलक लगाकर उनकी पूजा की थी. इसलिए इस दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है.

तिलक का महत्व

तिलक लगाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. माना जाता है कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपद तिथि पर यदि बहनें अपने भाई को कुमकुम का तिलक लगाती हैं, तो उनके भाई को लंबी उम्र और सुख समृद्धि मिलती है. अकाल मृत्यु नहीं होती. हिंदू धर्म में मान्यता है कि यदि भाई दूज के दिन भाई अपनी बहन के घर जा कर भोजन करता है और तिलक लगवाता है तो उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती. 

नारियल क्यों दिया जाता है

भाई दूज के दिन भाई को तिलक लगाकर नारियल दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जब यम अपनी बहन के घर गए थे तो विदाई के समय यमुना जी ने उन्हें नारियल भेंट में दिया था. इसी दिन से नारियल देने की प्रथा शुरू हुई. बहाने अपने भाई की विदाई करते समय उन्हें नारियल देती हैं.

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