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Wearing Bichhiya Before Marriage : क्या कुंवारी लड़कियां पहन सकती हैं बिछिया? जानें हिंदू धर्म की मान्यता

Wearing Bichhiya Before Marriage हिंदू धर्म में कुंवारी कन्याओं का बिछिया पहनना शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए वह यह नहीं पहन सकती.

Wearing Bichhiya Before Marriage : हिंदू धर्म में महिलाओं का बिछिया पहनना काफी शुभ माना जाता है. दोनों पैरों की तीन उंगलियां में बिछिया पहनने का रिवाज है. स्त्रियों के सारे श्रृंगार टीके से लेकर बिछिया तक के बीच में है. शास्त्रों में स्त्रियों के सोलह श्रृंगार के बारे में बताया गया है. इसमें मांग के तक से लेकर पैरों तक कई आभूषण पहने जाते हैं.

सोलह श्रृंगार में मांग टीका, बिंदी, काजल, मेहंदी, चूड़ी, मंगलसूत्र, , झुमके, बाजूबंद, कमरबंद, बिछिया, पायल, अंगूठी आदि कई आभूषणों का प्रयोग किया जाता है. बिछिया औरतों का आखिरी आभूषण होता है. स्त्रियों का सर पर सोने का टीका और पांव में चांदी की बिछिया पहनने के पीछे एक कारण है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इससे सूर्य और चंद्रमा की कृपा पति और पत्नी दोनों पर जीवन भर बनी रहे. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ विवाहित महिलाएं ही बिछिया पहन सकती हैं या कुंवारी लड़कियां भी इसे धारण कर सकती हैं. तो जानते हैं कि शास्त्रों में इसके बारे में क्या कहा गया है.

बिछिया पहनने का महत्व

शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक महिला शादी के बाद अपने पैरों में बिछिया पहन सकती हैं. बिछिया सिर्फ शादीशुदा महिलाओं को ही पहननी चाहिए. विवाहित महिलाओं के लिए बिछिया पहनना बहुत ही जरूरी होता है. बिछिया अंगूठे के पास वाली उंगली में पहना जाता है. इसे हमेशा जोड़े में पहनना चाहिए. आप चाहे तो अपने पैरों की दो उंगलियों में बिछिया पहन सकती हैं. कभी भी तीन बिछिया एक पैर में नहीं पहननी चाहिए ऐसा करना अशुभ माना जाता है. बिछिया माता लक्ष्मी का भी प्रतीक माना जाता है. वहीं दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा को बिछिया पहनी जाती है, जो शुभ होता है. शास्त्रों की माने तो हिंदू धर्म में कुंवारी लड़कियों बिछिया नहीं पहन सकती हैं क्योंकि बिछिया सुहाग का प्रतीक होता है.

बिछिया पहनने का वैज्ञानिक महत्व

स्त्रियों के बिछिया पहनने का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है. बहुत कम लोग यह जानते हैं कि बिछिया पहनने से महिलाओं के गर्भधारण में कोई समस्या नहीं आती है. विज्ञान की बात करें तो ऐसा माना जाता है कि अंगूठे के पास वाली उंगली की नसों का कनेक्शन महिलाओं के गर्भाशय से होता है. बिछिया पहनने से ब्लड सरकुलेशन अच्छा हो जाता है जिसके कारण गर्भधारण करने में कोई परेशानी नहीं होती है. इसे महिलाओं के पीरियड्स में भी समस्या नहीं होती है. मानसिक चक्र नियमित रहता है. बिछिया चांदी की ही होती है इसका भी वैज्ञानिक महत्व है. चांदी शरीर को ऊर्जावान रखता है.

बिछिया चांदी की ही होती है इसका भी वैज्ञानिक महत्व है. चांदी विद्युत की अच्छी सुचालक मानी जाती है धरती से प्राप्त होने वाली ध्रुव ऊर्जा को खींचकर यह पूरे शरीर तक पहुंचती है. चांदी की बिछिया पहनने से महिला ऊर्जावान महसूस करती है.

बीपी रहता है कंट्रोल में

बिछिया पहनने के पीछे दूसरा वैज्ञानिक कारण यह भी है कि यह महिलाओं के ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखता है. पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनने से ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है. बिछिया के दबाव से ब्लड प्रेशर नियमित और नियंत्रित रहता है. जिससे रक्त उचित मात्रा में गर्भाशय तक पहुंचता है.

 

कुंवारी लड़कियां बिछिया क्यों नहीं पहन सकती

हिंदू धर्म में कुंवारी कन्याओं का बिछिया पहनना शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए वह यह नहीं पहन सकती. बिछिया को सिर्फ विवाहित महिलाएं ही पहनती हैं क्योंकि यह सुहाग की निशानी होती है. बिछिया को विवाह के बाद ही पहनना शुभ माना जाता है.

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