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श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और 16 दिन के पितृ पक्ष के इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण और आखिर दिन होता है अश्विन मास में पड़ने वाली अमावस्या का. इस मास की अमावस्या को पितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है्. कई जगहों पर इसे मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहा जाता है. इस साल पितृ पक्ष में पितृ मोक्ष अमावस्या 6 अक्टूबर 2021 दिन यानी की बुधवार को है. पौराणिक मान्यता है कि इस दिन पितृ धरती पर आते हैं इसलिए इस दिन का खास महत्व होता है. पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व माना जाता है.

पितृ मोक्ष अमावस्या मुहूर्त अमावस्या तिथि

पंडित नितिन कुमार व्यास के अनुसार इस बार सर्व पितृ अमावस्या मुहूर्त-

अमावस्या की तिथि 05 अक्तूबर 2021 को शाम 07 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी जबकि अमावस्या तिथि का समापन 06 अक्तूबर 2021 को शाम 04 बजकर 34 मिनट पर होगा.

जानें क्या है पितृ मोक्ष अमावस्या 

पितृ दोष निवारण के लिए श्राद्ध पक्ष के दौरान आने वाली सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर पूजा करने का विशेष महत्व है. इस अमावस्या पर क्या किया जान चाहिए, क्यों किया जाना चाहिए कैसे किया जाना चाहिए? जानना जरुरी है.

हिंदू धर्म में दिवंगत पूर्वजों का स्मरण कर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए स्नान, दान, तर्पण आदि कार्य किए जाते हैं. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यदि आप नियत तिथि पर अपने पितरों का श्राद्ध नहीं कर सके हैं, तो कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या को श्राद्ध कर सकते हैं. इसीलिए इस तिथि को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है.

क्यों महत्वपूर्ण है पितृ मोक्ष अमावस्या?

पूरे श्राद्ध पक्ष में अमवस्या एक ऐसा दिन है जब आप अपने पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं. अमावस्या को श्राद्ध करने का एक बड़ा कारण यह भी है कि इस दिन पितरों के नाम की धूप देने से मानसिक व शारीरिक तौर पर शांति प्राप्त होने के साथ ही घर में भी सुख-समृद्धि आती है.

साथ ही आपके सरे कष्ट दूर हो जाते हैं. माना जाता है कि पितृ मोक्ष अमावस्या को पितृ अपने प्रियजनों के पास यमलोक से पृथ्वी पर श्राद्ध की इच्छा लेकर आते हैं. ऐसे में उनका पिंडदान नहीं होने पर वे शाप देते हैं. जिसके फलस्वरूप घर की सुख-शांति छिन जाती है और कलह होने लगती है. इसलिए श्राद्ध कर्म करना अवाश्यक है.

क्या कहतें हैं हमारे पुराण?

‘मनुस्मृति’ से लेकर पुराणों तक में श्राद्ध पक्ष का वर्णन मिलता है. ‘गरुड़ पुराण’ में उल्लेख किया गया है कि किस नक्षत्र में श्राद्ध करने से क्या फल मिलता है. कृतिका नक्षत्र में किया गया श्राद्ध आपकी सभी कामनाओं को पूरा करने वाला है. रोहिणी नक्षत्र में श्राद्ध करने से जातक को संतान का सुख मिलता है.

वहीं मृगशिरा नक्षत्र में श्राद्ध करने से गुणों में वृद्धि होती है. आर्द्रा नक्षत्र में ऐश्वर्य व पुनर्वसु में सुंदरता की प्राप्ति होती है. पुष्य नक्षत्र में वैभव, आश्लेषा नक्षत्र में दीर्घायु और मघा नक्षत्र में अच्छी प्राप्त होती है.

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में अच्छा सौभाग्य व हस्त नक्षत्र में विद्या, चित्रा नक्षत्र में प्रसिद्ध संतान और स्वाति नक्षत्र में श्राद्ध करने से व्यापार में लाभ होता है. वहीं विशाखा नक्षत्र में वंश वृद्धि, अनुराधा नक्षत्र में पद-प्रतिष्ठा, ज्येष्ठा नक्षत्र में उच्च अधिकार भरा दायित्व और मूल नक्षत्र में मनुष्य आरोग्य प्राप्त करता है.

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